बदलते परिवेश में संसाधन-उपयोग दक्षता एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु संरक्षण खेती की भूमिका (Role of conservation agriculture in enhancing productivity and resource use efficiency in changing scenario)

Published on
4 min read

सारांशः

Abstract

प्रस्तावना

संरक्षण खेती से संबंधित महत्त्वपूर्ण तकनीकें

शून्य जुताई की खेती

सारणी-1 धान गेहूँ फसल-चक्र में संरक्षण खेती की तकनीकों का प्रभाव

तकनीक

धान की पैदावार (टन/है)

गेहूँ की पैदावार (टन/है)

गेहूँ में तुल्यांक दोनों फसलों की पैदावार (टन/है)  

शुद्ध लाभ (रु/है हजार में)

पानी की उत्पादकता (किग्रा. धान/है मिमी)

सीधी बुवाई-शून्य

5.15

4.80

13.97

97.5

6.12

जुताई+धान फसल अवशेष सीधी बुवाई-शून्य

5.45

4.95

16.50

111.2

6.35

जुताई+धान फसल अवशेष मूँग रोपाई-शून्य जुताई द्वारा बुवाई

5.55

4.88

14.76

100.1

3.75

रोपाई -सामान्य बुवाई

5.58

5.07

15.00

102.1

3.65

स्रोत- शर्मा व अन्य (2012)

बिना जुताई वाली खेती में कुछ सावधानियाँ और मुश्किलें भी हैं। एक तो बुवाई के समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए ताकि मिट्टी और बीज का संपर्क अच्छी तरह हो जाए। दूसरे बुआई के समय ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत होती है कि कहीं सीड ड्रिल की पाइपें बंद न हो जाए। य़द्यपि सीड ड्रिल की पाइपें पारदर्शी होती हैं उनसे बीज गिरता हुआ स्पष्ट नजर आता है। इस तकनीक द्वारा बुआई करने पर लगभग 20-25 प्रतिशत ज्यादा मात्रा में बीज और उर्वरक डालना आवश्यक माना गया है क्योंकि कभी-कभी किसी कारणवश प्रति इकाई क्षेत्र पौधों की कम संख्या व बढ़वार की वजह से पैदावार कम न हो। खरपतवारों के नियंत्रण में भी ज्यादा सावधानी की जरूरत होती है। इसके लिये बुआई से पहले पेराक्वाट अथवा ग्लाईफोसेट नामक खरपतवारनाशी का प्रयोग करना चाहिए जिससे पहले से उगे हुए सारे खरपतवार नष्ट हो जाए। कुछ भारी जमीनों में पौधों की जड़ों की वृद्धि कम हो सकती है। इसके लिये मिट्टी पर फसल अवशेषों या अन्य वनस्पति पदार्थों की परत डालने से पौधों की जड़ों और विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

मेड़ों पर खेती

लेजर विधि द्वारा मिट्टी का समतलीकरण

सारणी-2 कपास-गेहूँ फसल-चक्र में संरक्षण खेती की तकनीकों का प्रभाव

तकनीक

कपास की उपज (टन/है)

गेहूँ की उपज (टन/है)

दोनों फसलों की गेहूँ तुल्य उपज  (टन/है)  

शुद्ध लाभ (रु/है हजार में)

सिंचाई जल की उत्पादकता (कि.ग्रा./है)

सामान्य बुवाई-समतल भूमि

2.44

4.85

10.29

92.8

9.0

शून्य जुताई-मेड़ों पर

2.71

4.55

10.60

96.3

11.6

शून्य जुताई-मेड़ों पर + फसल अवशेष

2.96

4.61

11.23

102.2

12.9

स्रोत- शर्मा व अन्य (2012)

फसल विविधीकरण

सारणी 3- विभिन्न फसल प्रणालियों में शून्य जुताई के अंतर्गत गेहूँ के तुल्यांक प्रणाली उत्पादकता

उपचार

कपास गेहूँ (टन/है)

अरहर गेहूँ (टन/है)

मक्का गेहूँ (टन/है)

परम्परागत समतल बुवाई  

11.29

8.81

8.22

शुन्य जुताई संकरी मेंड़

11.60

9.10

8.00

शुन्य जुताई संकरी मेंड़ + फसल अवशेष

12.23

9.28

8.26

शुन्य जुताई चौड़ी मेंड

12.81

9.35

8.71

शुन्य जुताई चौड़ी मेंड़ + फसल अवशेष  

12.16

10.35

8.78

स्रोत - शर्मा व अन्य (2012)

सारणी 4 - सिंचित दशाओं में विभिन्न फसल प्रणालियों के अंतर्गत गेहूँ तुलयांक प्रणाली उत्पादकता और शुद्ध लाभ

फसल प्रणाली

गेहूँ तुल्यांक प्रणाली उत्पादकता (टन/है)

शुद्ध लाभ (रु/है) (हजार में)

मक्का गेहूँ (शून्य जुताई चौड़ी मेंड़) + फसल अवशेष

8.78

61.5

अरहर-गेहूँ (शून्य जुताई चौड़ी मेंड़) + फसल अवशेष

10.55

73.8

 

कपास-गेहूँ (शून्य जुताई चौड़ी मेंड़) + फसल अवशेष

13.16

95.3

धान की सीधी बुवाई-शून्य जुताई-गेहूँ

13.75

100.1

रोपाई धान-गेहूँ की परंपरागत बुवाई

14.00

102.2

स्रोत - शर्मा व अन्य (2012)

सारणी 5 - विभिन्न शून्य जुताई फसल प्रणालियों में सिंचाई जल की उत्पादकता

फसल प्रणाली

कुल दिया गया सिंचाई जल (है. मिमी)  

सिंचाई जल उत्पादकता (किग्रा/है मिमी)

खरीफ

रबी

खरीफ

रबी

मक्का गेहूँ

 

शून्य जुताई व मेंड़ों पर बुवाई  

150

250

22.67

20.40

समतल बुवाई

210

350

12.57

14.69

अरहर-गेहूँ

 

शून्य जुताई व मेंड़ों पर बुवाई  

350

250

15.00

19.72

सामान्य बुवाई

490

350

7.67

13.89

कपास गेहूँ

 

शून्य जुताई व मेंड़ों पर बुवाई  

550

250

16.93

19.40

सामान्य बुवाई

770

350

9.00

13.86

स्रोत- शर्मा व अन्य (2012)

कपास गेहूँ फसल प्रणाली धान-गेहूँ प्रणाली की तरह तुलनीय उत्पादकता और शुद्ध लाभ उपलब्ध कराती है। यह धान-गेहूँ फसल प्रणाली का विकल्प हो सकती है (सारणी 4)

मक्का-गेहूँ, अरहर-गेहूँ और कपास-गेहूँ फसल प्रणालियों में शून्य जुताई द्वारा बुवाई के अंतर्गत कम सिंचाई जल की आवश्यकता होती है जिसके परिणामस्वरूप समतल बुवाई की अपेक्षा अधिक सिंचाई जल उत्पादकता मिलती है (सारणी 5)।

एस.आर.आई. तकनीक का प्रयोग

कम पानी से एरोबिक धान उगाने की विधि

संदर्भ


1. शर्मा अजीत राम, दास तापस कुमार एवं कुमार वीरेन्द्र उत्पादकता और संसाधन उपयोग दक्षता बढ़ाने हेतु संरक्षण खेती, आई.ए.आर.आई. फोल्डर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (2012) 1-8.

2. आई.पी.सी.सी. समरी रिपोर्ट ऑफ द वर्किंग ग्रुप अॅाफ आई.पी.सी.सी. पेरिस, फरवरी (2007).

3. सिंह अनिल कुमार एवं दुबे श्रवण कुमार, कम पानी से एरोबिक धान उगाने की विधि, प्रसार दूत, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली 10 (1) (2006) 16-18

4. एग्रीकल्चरल स्टैटिस्टिक्स एक दृष्टि में, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, भारत (2012).

5. गुप्ता आर के, होब्स पी आर, लाधा जे के एवं प्रभाकर एस वी आर के, संसाधन संरक्षण तकनीकी, इंडो-गेंगेटिक प्लेंस में धान-गेहूँ फसल पद्धति एक सफल स्टोरी, एशिया पेसिफिक एसोसिशयन ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इन्स्टीट्यूट्स, बैकांक, थाइलैंड, (2003).

6. चन्द्रशेखर जी, इमिशन -ए हॅाट इश्यू, 27 जनवरी 2008, बिजनेस लाइन, नई दिल्ली, भारत (2008).

7. छोकर राजेन्द्र सिंह, शर्मा रमेश कुमार चन्द्र रमेश एवं जगशोरण ए के, जीरो टिलेज अपनाओ खेत की जुताई से मुक्ति पाओ, खाद पत्रिका, एफ.ए.आई, नई दिल्ली भारत 40 (2) (2005) 27-29.

8. कुमार वीरेन्द्र एवं कुमार दिनेश, धान-गेहूँ फसल चक्र के अंतर्गत जीरो टिलेज तकनीक की उपयोगिता, प्रसार दूत, रबी विशेषांक, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र, आई.ए.आर.आई., नई दिल्ली 10 (2) (2006) 10-11.

9. मिश्रा बी, जगशोरण, शर्मा ए के एवं गुप्ता आर के गेहूँ उत्पादन की टिकाउ और लागत प्रभावी तकनीक गेहूँ अनुसंधान निदेशालय करनाल, टेक्नीकल बुलेटिन नं. 8: 36, हरियाणा, भारत (2005).

10. अध्या तपन कुमार एवं शर्मा गोपाल, बेहतर पर्यावरण के लिये धान की खेती, बेहतर पर्यावरण के लिये भारतीय कृषि पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, 16-17 दिसम्बर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, (2008) 72.

11. पाठक हिमांशु एवं प्रसाद राजेन्द्र, भारतीय कृषि में नाइट्रोजन का फेट, एन, ए.ए.एस. बुलेटिन, एन,एस.सी. कॉम्पलैक्स, नई दिल्ली-12 8 (2) (2008) 1-4.

सम्पर्क

वीरेन्द्र कुमार, Virendra Kumar
सस्यविज्ञान संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली 110012, Division of Agronomy, Indian Agricultural Research Institute, New Delhi 110012

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org