बिलासपुर जिले के जल का घरेलू, औद्योगिक एवं अन्य उपयोग (Domestic, Industrial and other uses of water in Bilaspur District)
पेयजल आपूर्ति जल संसाधन का द्वितीय प्रमुख उपयोग है। बिलासपुर जिले की कुल जनसंख्या 2,95,336 व्यक्ति (1981) है, जो नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आवासित है। पेयजल आपूर्ति की दृष्टि से जिले की जनसंख्या का 70 प्रतिशत आज भी पेयजल की समस्या से ग्रसित है। यद्यपि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रशासन द्वारा पेयजल आपूर्ति की जा रही है तथापि जिले के 45 प्रतिशत ग्राम आज भी पेयजल की दृष्टि से समस्यामूलक है। नगरीय क्षेत्रों में विशेषतः जल संग्राहकों से दूर स्थित क्षेत्रों में, पानी का अभाव रहता है। साथ ही कई नगरीय क्षेत्रों में विशेषतः जल संग्रहकों से दूर स्थित क्षेत्रों में, पानी का अभाव रहता है। साथ ही कई नगरीय क्षेत्रों में जहाँ पेयजल आपूर्ति नदी से होती है। ग्रीष्म काल में जलस्रोत के सूख जाने के कारण जलाभाव की स्थिति रहती है।
ग्रामीण जल प्रदाय
पेयजल प्राप्ति के साधन
तालाब एवं जलाशय
नदियाँ एवं नाले
कुएँ
हस्तचलित पम्प
समस्यामूलक ग्रामों में पेयजल की स्थिति एवं जल आपूर्ति
ग्रीष्मकालीन समस्या मूलक ग्राम
भीषण समस्यामूलक ग्राम
समस्याविहीन ग्राम
समस्यामूलक ग्रामों में जल आपूर्ति
नगरीय जल प्रदाय योजना का विकास
जल प्रदाय के स्रोत
जिले के विभिन्न नगरीय क्षेत्रों में जल प्रदाय की स्थिति
बिलासपुर
कोरबा
चांपा
सक्ती
मुंगेली
तखतपुर
कोटा
रतनपुर
नैला-जांजगीर
नया बाराद्वार
अकलतरा
जलजनित रोग
बिलासपुर जिले के प्रमुख जल जनित रोग
खूनी पेचिस
अतिसार
पीलिया
मियादी बुखार
नारू रोग
अन्य जल जन्य रोग
औद्योगिक कार्यों में जल आपूर्ति
बिलासपुर औद्योगिक क्षेत्र
अकलतरा-चांपा क्षेत्र
कोरबा औद्योगिक क्षेत्र
मनोरंजनात्मक कार्यों में जल का उपयोग
“मनुष्यों के लिये संतोषप्रद बाह्य स्थल मनोरंजन, जो आध्यात्मिक तथा मानसिक शक्ति एवं स्वास्थ्य प्रदान करता है। जल रहित क्षेत्र की कल्पना से परे है।”
(एलन, 1959, 106)।
वर्तमान में जल संसाधन का मनोरंजन की दृष्टि से उपयोग बढ़ता जा रहा है। नदियों पर निर्मित बाँध, नदी घाटी परियोजना केंद्र, नदियों में नौकाविहार की सुविधा, जलक्रीड़ा आदि जल द्वारा प्रदत्त मनोरंजनात्मक उपयोग के साधन हैं।
जिले में मनोरंजन की दृष्टि से कई ऐसे स्थान हैं, जहाँ जल के माध्यम से कई ऐसे मनोरंजन की उत्कृष्ट सुविधायें हैं। मनियारी जलाशय, खारंग जलाशय, हसदो बैराज प्रमुख जलाशय हैं जहाँ पर्यटन की पूर्ण सुविधा है। इन सभी क्षेत्र नौका विहार, आदि अनेक जल क्रीड़ाओं का प्रबंध किया गया है। इनके अतिरिक्त किरारी, जलाशय (पामगढ़ विकासखण्ड) चिल्हाटी जलाशय, कोरबा झील जो कि कोरबा रेलवे स्टेशन के 10 किमी की दूरी पर स्थित है, मनोरंजनात्मक उपयोग की दृष्टि से उत्कृष्ट स्थान है।
जिले के नगरीय क्षेत्रों में तरणपुष्कर निर्मित किये गये हैं बिलासपुर कोरबा में स्थित तरण-पुष्कर उल्लेखनीय है बिलासपुर नगर में स्थित संजय तरण पुष्कर में प्रतिदिन लगभग 500 व्यक्ति जलक्रीड़ा का आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
नौपरिवहन हेतु जल का उपयोग
“नौपरिवहन धाराओं के जल का उपयोग का एक उदाहरण है जो सड़क एवं रेल परिवहन से अधिक सस्ता है।”
(एलन, 1954, 106)।
बिलासपुर जिले में नदियों की कुल लम्बाई 700 किलोमीटर है किन्तु नदियाँ सततवाहिनी नहीं है, ग्रीष्मावधि में जल या तो सूख जाता है अथवा जल की मात्रा अत्यंत न्यून रहती है। अतः नदियों व्ययोग्य नहीं रह जाती हैं, वर्षाकालीन अवधि में, प्रमुख नदियों में जल पर्याप्त रहता है जहाँ नौपरिवहन होता है इनमें प्रमुख हैं हसदो तथा मनियारी नदी जिले में मात्र चांपा के निकट हसदो नदी में जल की गहराई अधिक होने के कारण वर्षभर एक किनारे से दूसरे किनारे तक नौकाएँ चलायी जाती हैं।
मत्स्यपालन हेतु जल का उपयोग
बिलासपुर जिले में मत्स्यपालन की शासकीय इकाइयाँ
सहायक संचालक की मुख्य मत्स्य पालन इकाइयाँ
हसदो बैराज, दर्री
घोंघा जलाशय
आरसमेटा जलाशय
गगनई जलाशय
क्रांति जलाशय
देवरीपाली जलाशय
मत्स्य विकास निगम की मत्स्य पालन इकाइयाँ
खुड़िया जलाशय
दुलहरा जलाशय
निजी मत्स्यपालन इकाइयाँ
मत्स्योत्पादन
सारांश एवं उपसंहार
बिलासपुर जिले में जल संसाधन विकास एक भौगोलिक अध्ययन 1990 (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।) | |
1 | बिलासपुर जिले की भौतिक पृष्ठभूमि (Geographical background of Bilaspur district) |
2 | बिलासपुर जिले की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (Cultural background of Bilaspur district) |
3 | बिलासपुर जिले की जल संसाधन संभाव्यता (Water Resource Probability of Bilaspur District) |
4 | बिलासपुर जिले के जल संसाधनों का उपयोग (Use of water resources in Bilaspur district) |
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