दमचोक गाँव के घरों में पहुंचा नल से जल,लद्दाख
लेह जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा से पहले अंतिम लद्दाखी गांव दमचोक के ग्रामीणों के लिए घर पर नल से निर्बाध बहता पानी पाना अब कोई सपना नहीं रह गया है। इस शून्य-सीमा वाले गाँव में पानी लाने के लिए ग्रामीणों द्वारा सुबह के समय को कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती है क्योंकि उन्हें अब अपने घरों में नल का पानी मिल रहा है।
सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए दमचोक के ग्राम प्रधान एवं नंबरदार श्री कर्मा एशाय कहते हैं, 'पहले हमें दूर-दराज की जल धाराओं से पानी लाना पड़ता था और सर्दियों में कभी-कभार सेना के टैंकरों से बहुत मदद मिलती थी। लेकिन आज जल जीवन मिशन के तहत हर दरवाजे पर पानी का कनेक्शन हमारे लिए एक सपने के सच होने और जीवन बदलने वाली आजादी जैसा है। मैं इस नेक कदम के लिए सरकार और सभी अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूँ।
दमचोक लेह से 325 किलोमीटर दूर 13,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। निवासी बारहमासी भूजल स्रोतों पर निर्भर रहते थे, जो धाराओं के रूप में बहते हैं। उनका अधिकांश समय विशेषकर महिलाओं और लड़कियों का अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी लाने में व्यतीत होता था। आजादी के 75 साल बाद, जल जीवन मिशन के तहत दमचोक गांव के 38 घरों में से प्रत्येक को अब गुणवत्तापूर्ण नल का पानी मिल रहा है, जिससे यह गांव 'हर घर जल' बन गया है।
इस सपने को साकार करना प्रशासन के लिए आसान काम नहीं था। एक स्थायी जल स्रोत का पता लगाने और पाइपलाइन नेटवर्क बिछाने के लिए पुरुषों और उपकरणों को लाना एक कठिन काम था क्योंकि कोई मोटर वाहन योग्य सड़क नहीं थी। यूटी की जल जीवन मिशन टीम ने धातु के बजाय उच्च घनत्व पॉलीथीन (एचडीपीई) पाइपों को चुना क्योंकि एचडीपीई पाइप टिकाऊ होते हैं और कठोर तापमान में प्रभावी ढंग से काम करते हैं। इस प्रकार, यह आपूर्ति किए जा रहे पानी को जमने से रोकते हैं। आपूर्ति पाइप फ्रॉस्ट लाइन के नीचे रखे गए थे। अनावरित पाइपों को कांच ऊन और एल्यूमीनियम जैकेटिंग से कवर किया गया था। प्रवाह के लिए ज्यादातर गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल किया गया था। जहां जल आपूर्ति योजना का स्रोत भूजल है, वहां सोलर पंप लगाए जा रहे हैं। प्रशासन ने पुरुषों और सामग्रियों को दूरस्थ स्थलों तक ले जाने के लिए हेलिकॉप्टरों का भी इस्तेमाल किया है।
''हमारी मुख्य चुनौती सर्दियों के दौरान पानी का बहाव बनाए रखना था। दूसरी चुनौती पीने योग्य पानी के बारहमासी स्रोतों की पहचान करना था। बिना सड़क के गांवों में पाइप और अन्य उपकरण ले जाना एक और चुनौती थी। उन्हें आउट- ऑफ-द-बॉक्स समाधान की आवश्यकता थी. श्री श्रीकांत बालासाहेब सुसे, डीएम, लेह ने कहा। उन्होंने आगे कहा, "हमारा ध्यान सौर पंपों के उपयोग पर है. नियमित और निर्बाध आपूर्ति को बनाए रखने के लिए गांव में आठ सौर सबमर्सिबल पंप स्थापित किए गए हैं। विशेष ध्यान पाइपलाइनों के इन्सुलेशन पर है। यहां हमने फ्रास्ट लाइन से नीचे पाइपलाइन बिछाने के लिए कड़ी मेहनत की है।"
पूर्वी लद्दाख में तैनात भारतीय सेना की यूनिफॉर्म • फोर्स ने जल आपूर्ति योजनाओं की त्वरित प्रगति के लिए पर्वतीय स्थलों पर श्रमिकों, इंजीनियरों, उपकरणों और सामग्री को ले जाने के लिए हवाई साधन उपलब्ध कराकर यूटी प्रशासन की मदद की थी।
यूटी प्रशासन 40 डिग्री तक नीचे जाने वाले अत्यधिक ठंडे तापमान को देखते हुए यह सुनिश्चित करता है कि गांव तक पहुंचने वाले पाइपों को इंस्युलेटिड रखा जाए, ताकि सर्दियों के दौरान पानी जम न जाए। लेह प्रशासन अब फोबरांग जैसे अन्य गांवों में पानी की आपूर्ति के काम पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो गोगरा हॉट स्प्रिंग क्षेत्र तक पहुंच मार्ग का संरक्षण करता है, जो लगातार प्रगति कर रहा है। लेह जिले में अब तक 11,000 से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया गया है, जो कि 50% से अधिक कार्य संपूर्णता है, जबकि अगस्त 2019 में 'हर घर जल' कार्यक्रम के शुभारंभ के समय यह मात्र 5% था। यह पहाड़ी भूगोल, अलग-अलग बसावटों, सड़क की कमी और खराब मौसम को देखते हुए, यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।