जल संरक्षण में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी परियोजना की भूमिका (Role of Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) in water conservation)

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सारांश:

Abstract

प्रस्तवाना

उद्देश्य

सामग्री एवं विधि

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परिणाम एवं विवेचना

सारणी 1- मनरेगा के तहत खनियाधाना जनपद में सम्पन्न विभिन्न जल संरक्षण स्रोत का विवरण

क्र.सं.

ग्राम पंचायत का नाम

तालाब

चेकडैम/स्टोक डेम

सिंचाई कूप

पेयजल कूप (कपिल धारा)

स्ट्रैच (जल संरक्षण के लिये गड्ढे)

1

बुधौन राजापुर

03

03

-

-

-

2

वीरपुर

04

03

03

02

700

3

काली पहाड़ी चदेरी

01

03

-

02

-

4

पडरा

-

02

-

03

1000

5

श्राही

-

03

05

01

-

6

नगरेला

-

05

-

-

-

7

जुन्गीपुर

-

02

02

02

750

8

देवखो

02

-

06

01

-

9

मसूरी

01

03

-

-

-

10

विशनपुरा

-

-

01

09

500

11

कमालपुर

02

-

02

07

2000

सारणी 2- मनरेगा के तहत कोलारस जनपद में सम्पन्न विभिन्न जल संरक्षण स्रोत का विवरण

क्र.सं.

ग्राम पंचायत का नाम

तालाब

चेकडैम/स्टोक डेम

सिंचाई कूप

पेयजल कूप (कपिल धारा)

स्ट्रैच

खेत तालाब (जल संरक्षण के लिये गड्ढे)  

1

भाटी

01

-

-

-

-

07

2

वेहटा

01

-

-

01

-

03

3

कायज्ञ

-

02

-

01

-

02

4

राजगढ़

01

02

20

01

1000

02

5

भडोता

02

02

-

01

-

05

मृदा जलस्तर में वृद्धि करने में मनरेगा योजना मूल रूप से आधारभूत ढाँचा निरंतर तैयार कर रही है। जो जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में कारगर साबित हो रही है जिससे काफी हद तक पेयजल समस्या का समाधान हुआ है।

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में पेयजल की एक विकराल समस्या थी। शिवपुरी जिले की 200 से अधिक ग्राम पंचायतों में अप्रैल, मई जून महीने में पेयजल समस्या एक विकराल रूप धारण कर लेती है। इसी के साथ जिले में वर्षा औसत से कम होने के कारण जिले में सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी न मिलने के कारण तथा जिले के कई हिस्सों में फसलों से पर्याप्त मात्रा में अनाज का उत्पादन न होने के कारण जिले में भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो जाती थी जिससे जिले की 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी पलायन कर जाती थी। लेकिन आज महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के कारण जिले में काफी हद तक पेयजल एवं सिंचाई की समस्या हल हुई है। वहीं वर्षाजल पर निर्भर खेती द्वारा कपिल धारा कूपों के प्रयास से खेतों में सिंचाई की जा रही है। वहीं कुओं के जल स्तर में भी वृद्धि हुई है।

निष्कर्ष

संदर्भ


1. निशीथ राकेश शर्मा, जल संसाधन उपयोग समस्या एवं समाधान, प्रतियोगिता दर्पण, (2001) 2161-2166.

2. त्रिपाठी केपी एवं कुमार पंकज, मनरेगा-कृषि पर्यावरण एवं लघु कृषकों के लिये वरदान, वसुन्धरा 19 (3) (2010) 1-2.

3. परती भूमि, धधकती धरती, परती भूमि विकास समिति, (3) 1 (2003) 42.

4. सेंगर आरएस एवं राव वी पी, धरती पर पानी बचाने की चुनौती, कुरुक्षेत्र. 58(7) (2010) 3-8.

5. गौतम नीरज कुमार, जल प्रबंधनः वर्तमान सदी की आवश्यकता, कुरुक्षेत्र 58 (7) (2010) 13-18.

6. त्रिपाठी कन्हैया, पानी के लिये संघर्ष कितना कारगर, कुरुक्षेत्र 58(7)(2010) (26-29).

7. बिष्ट राजेन्द्र सिंह, स्वच्छ पर्यावरण में स्वच्छ जीवन का विकास, कुरुक्षेत्र 58(7) (2006) 26-29.

8. नरवरिया यश्पाल सिंह, मनरेगा और पंचायत की भूमिका, एकता टुडे 1(10) (2011) 9-10.

सम्पर्क

यशपाल सिंह नरवरिया, Yashpal Singh Narwaria
जलीय जीव प्रयोगशाला, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर 474 001 (म.प्र.), Aquatic Biology Laboratory, Jiwaji University, Gwalior 474 001 (M.P.)

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