रिसर्च
कृषि उत्पादकता, पोषण स्तर एवं कुपोषण जनित बीमारियाँ : निष्कर्ष एवं सुझाव
विकास और उससे उत्पन्न समस्याओं का आश्य यह नहीं है कि धरा का कोष रिक्त हो गया है और भी भारत में अप्रयुक्त और अल्प प्रयुक्त संसाधनों का विपुल भंडार विद्यमान है आवश्यकता है विवेकपूर्ण विदोहन की, उर्वरक शक्ति का उपयोग करने के साथ-साथ लौटाने की विकास की प्रत्येक संकल्पना और परिकल्पना को पर्यावरण की कसौटी पर अहर्य सिद्ध होने पर ही विकास के लिये व्यवहार में लाना होगा।
सुझाव :-
1. प्राकृतिक समस्याओं के निवारण हेतु सुझाव :
(अ) जल निकास की समुचित व्यवस्था -
(ब) भूमित जल का सदुपयोग -
(स) भूक्षरण की रोकथाम -
2. ऊसर भूमि सुधार -
3. फसल प्रतिरूप तथा भूमि उपयोग में सुधार -
4. गहन कृषि का विस्तार -
5. मुद्रादायिनी फसलों में विस्तार -
6. कृषि से संबंधित क्रियाओं को प्रोत्साहन -
(अ) पशुपालन को प्रोत्साहन -
1. डेरी फार्मिंग -
2. मुर्गी पालन -
3. सुअर पालन -
4. मछली पालन -
(ब) रेशम उत्पादन को प्रोत्साहन -
(स) खाद्य संवर्द्धन उद्योग को प्रोत्साहन -
7. कृषि आधारित ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहन -
(अ) कृषि पदार्थों का विधायन -
(ब) कृषि उत्पादन का उपयोग करने वाले उद्योग -
(स) ग्रामीण दस्तकारी एवं उद्योगों का विकास -
8. संतुलित भोजन का ज्ञान -
(अ) शिशु का भोजन -
(ब) वृद्धावस्था का भोजन -
(स) गर्भवती महिला का भोजन -
(द) स्तनपान कराने वाली महिला का भोजन -
(य) युवकों को भोजन -
(र) भोजन संबंधी अन्य आवश्यक सुझाव -
(ल) भोजन पकाने संबंधी सुझाव -
शोध अध्ययन का सार संक्षेप
शोध ग्रंथ सूची
कृषि उत्पादकता, पोषण स्तर एवं कुपोषण जनित बीमारियाँ, शोध-प्रबंध 2002 (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।) | |
1 | प्रस्तावना : कृषि उत्पादकता, पोषण स्तर एवं कुपोषण जनित बीमारियाँ |
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7 | कृषकों का कृषि प्रारूप कृषि उत्पादकता एवं खाद्यान्न उपलब्धि की स्थिति |
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11 | कृषि उत्पादकता, पोषण स्तर एवं कुपोषण जनित बीमारियाँ : निष्कर्ष एवं सुझाव |