रिसर्च : कृषि भूखंड से एकत्रित आँकड़ों की सहायता से मृदा संरक्षण सेवा-वक्र संख्या (SCS-CN) पद्धति का मूल्यांकन

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सारांश

Abstract:

Keywords:

Initial abstraction ratio; Agricultural plot; NEH–4 tables; NRCS.

प्रस्तावना

मृदा संरक्षण सेवा-वक्र संख्या (SCS-CN) पद्धति

जहाँ :


Q = प्रत्यक्ष सतही अपवाह (मि.मी.)
P = वर्षा (मि.मी.)
Ia = प्रारम्भिक पृथक्कीकरण (मि.मी.)
S = संभाव्य अधिकतम अवरोधन (मि.मी.)
λ = प्रारम्भिक पृथक्कीकरण अनुपात

S एवं CN का मान प्रेक्षित P-Q आँकड़ा समूह के आधार पर निम्न समीकरण द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। निम्न समीकरण के अनुसार S का मान 0 ≤S ≤∞ तथा CN की उपयुक्त सीमा 0 ≤CN ≤100 के मध्य परिवर्तनीय हो सकती है।

भूखण्ड चयन एवं विवरण

प्रेक्षण स्थल स्थापना एवं आँकड़ों का एकत्रीकरण

वक्र संख्या आकलन

NEH-4 सारणी वक्र संख्याः


किसी भूखंड के लिये CN मानों को CHHT के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। भूमि-उपयोग, मृदा प्रकार एवं वनस्पति के आधार पर सभी भूखण्डों के लिए NEH-4 सारणी की सहायता से प्रतिनिधित्व AMC-II-CN (या CN 2) के मानों को व्युत्क्रमित किया गया (सारणी-1)।

P-Q आँकड़ों पर आधारित वक्र संख्याः


निम्न समीकरण (5) के प्रयोग द्वारा अपेक्षित वर्षा (P) एवं अपवाह आँकड़ों (Q) के लिये प्रारम्भिक पृथक्कीकरण अनुपात ((λ) का मान 0.2 मानते हुए प्राचल S का मान ज्ञात किया गया। भूखण्ड के लिये प्राप्त CN के मान प्राकृतिक एवं क्रमिक आँकड़ा समूहों को क्रमशः CNLSn एवं CNLSo के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।

इसके पश्चात ((λ) मानों को व्युत्क्रमित करने के लिये S एवं (को उपरोकतानुसार इष्टतमीकृत) किया गया। इसके लिये वर्षा-अपवाह घटकों के कम से कम 10 प्रेक्षणों की उपलब्धता वाले घटकों का उपयोग किया गया। CN (CNHT,CNLSn, oa, CNLSo) मानों को AMC-II स्थिति के लिये माना गया है। आद्र (AMC-III) एवं शुष्क (AMC-I) स्थितियों के लिये CN के मान क्रमशः समीकरण 6 एवं 7 के द्वारा प्राप्त किए गए।

अपवाह के मान को ज्ञात करने हेतु प्रयुक्त किसी ज्ञात वर्षा घटक के लिये AMC के निर्धारण हेतु 5 दिवसीय पूर्वगामी वर्ष (5) का प्रयोग निम्न प्रकार किया गया।

AMC-I : यदि प्रगतिशील ऋतु में P5 (˂) 35.56 मि.मी. या निष्क्रिय ऋतु में P5 (˂) 12.7 मि.मी.;
AMC-II : यदि प्रगतिशील ऋतु में 35.56 ≤ P5 ≤ 53.34 मि.मी. या निष्क्रिय ऋतु में 12.70 ≤ P5 ≤ 27.94 मि.मी.; एवं
AMC-III : यदि प्रगतिशील ऋतु में P5 (˃) 53.34 मि.मी. या निष्क्रिय ऋतु में P5 (˃) 27.94 मि.मी.।

निष्पादन मूल्यांकन के लिये मानदंड

जहाँ :


Qi = वृष्टि घटक (i) के लिये प्रेक्षित अपवाह (मि.मी.);
Qci = वृष्टि घटक (i) के लिये अनुमानित अपवाह (मि.मी.);
N = वृष्टि घटकों की कुल संख्या
Q = समस्त वृष्टि घटकों के लिये माध्य प्रेक्षित अपवाह

निर्धारण नियतांक (R2) का मान 0 से 1 की सीमा में प्राप्त होता है । R2 का 1 मान प्रेक्षित एवं अनुमानित मानों के मध्य श्रेष्ठ सम्बन्ध को दर्शाता है। नैश सुट्क्लिफ्फे क्षमता नियतांक (NSE) का मान -∞ से 1 की सीमा में प्राप्त होता है। NSE का 1 मान प्रेक्षित एवं अनुमानित मानों के मध्य श्रेष्ठ सम्बन्ध को तथा इसका कम मान निकृष्ट सम्बन्ध को दर्शाता है। E का ऋणात्मक मान दर्शाता है कि माध्य प्रेक्षित मान अनुमानित मान से श्रेष्ठ है।

परिणाम एवं व्याख्या

CNHT, CNLSn एवं CNLSo की तुलना

((λ) की व्युत्पत्ति

चित्र - 3 : 27 आंकड़ा समूहों के लिए (λ) के व्युत्पत्तित मान


27 भूखण्डों के सम्पूर्ण आँकड़ों के प्रयोग द्वारा विभिन्न भूखण्डों के लिये Ia-S सम्बन्ध ज्ञात किए गए। Ia एवं S को आपस में प्लॉट करने पर प्राकृतिक एवं क्रमिक आँकड़ा समूहों के लिये अरेखीय सम्बन्ध प्राप्त हुए (चित्र -4)। प्राकृतिक आँकड़ा समूहों के लिये प्रतिगमन समीकरण Ia = -3.16 In (S) + 17.81, R2=0.202 एवं क्रमिक आँकड़ा समूहों के लिये प्रतिगमन समीकरण Ia = -7.98 In (S) + 42.32, R2=0.424 प्राप्त हुई।

अध्ययन की सीमाएँ

निष्कर्ष

सन्दर्भ

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