झारखण्ड में जल स्रोत
पूनम मिश्र
मस्त लोग, प्राकृतिक छटाओं से गौरवान्वित एवं जंगल, पहाड़, पठार, खनिज सम्पदाओं से अलंकृत झारखण्ड की धरती पर जीवन को प्राणवान बनाने के लिए अनेक नदियां एवं जल प्रपात भी है। प्रतिवर्ष लगभग एक हजार मिली मीटर से अधिक वर्षा वाला प्रदेश झारखण्ड भू-गर्भीय जल में भी पीछे नहीं है। कोयल, शंख, अजय, गुमानी, मथुराक्षी, स्वर्ण रेखा, दामोदर आदि नदियाँ अपने जल एवं कलख से प्रकृति और प्रकृति के प्राणियों में प्राण का संचार करती रहती हैं।
लेकिन इस प्रदेश की अधिकांश नदियां भारत की अन्य नदियों से भिन्न है। झारखण्ड में कठोर चट्टानों के कारण भूमिगत जल का स्तर नदियों से अलग रह जाता है। ये नदियां कठोर एवं पथरीले और पहाड़ी भू-भाग से प्रवाहित होने के कारण बिहार एवं उत्तर प्रदेश की नदियों की तरह अपने मार्ग नहीं बदलती है, साथ ही साथ यहां की नदियों का प्रवाह भू-आकृति के कारण नियंत्रित रहता है। कमो-बेस झारखण्ड की सभी नदियां बरसाती होती रहती है अत: बरसात के दिनों में उमड़ पड़ती है परन्तु गर्मियों के दिनों में अल्प मात्रा में जल रहता है या ये नदियां लगभग सूख जाती हैं। इस प्रदेश में उत्तर की ओर प्रवाहित होने वाली नदियां मैदानी भाग में प्रवेश करने के कारण मंद पड़ जाती है और कम कटाव कर पाती हैं। जबकि ठीक इसके विपरीत दक्षिण की ओर बहने वाली नदियां दूर तक तीव्र गति से बहती हैं। अत: वे अधिक कटाव कर पाती हैं। झारखण्ड की किसी भी नदी में नाव नहीं चलायी जा सकती है क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण ये नदियां नाव चलाने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
नदियों के अलावा इस प्रदेश में अनेक प्राकृतिक जलकुण्ड भी हैं जो अपने भौगोलिक परिवेश, धार्मिक, प्राकृतिक, वैज्ञानिक एवं अन्य महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। इन प्राकृतिक जलकुण्डों का जल हमेशा गर्म रहता है। हजारीबाग, दुमका, सिमडेगा, गुमला, धनबाद आदि जिले में गर्म पानी के इस तरह के झरने अवस्थित हैं। ये गर्म पानी हिमाचल प्रदेश के तत्ता पानी को याद दिलाते हैं। ठीक हिमाचल के तत्तापानी की तरह इनके जल में भी गंधक एवं खनिज लवणों का मिश्रण घुला होता है। इस कारण अनेक रोगी विशेषतौर से त्वचा रोगों से त्रस्त मरीज इन गर्म जलकुण्ड के पानी में नहाने आते हैं जिससे की उनकी बीमारी का इलाज हो जाए। इस चिकित्सा में धर्म की मान्यता भी जुड़ी होती है। इन सभी कारणों से ये प्राकृतिक स्रोत पर्यटकों के लिए आकर्षण के केन्द्र बने हुए हैं।
हजारीबाग का सूरजकुंड जैसा कि नाम से ही विदित है, सबसे गर्म एवं विख्यात जलकुण्ड है। इसका तापमान 1900 होता है। हजारीबाग में गर्म जल के अनेक झरने हैं जिनमें पिण्डारकुण्ड, कावा, लुरगाथा आदि प्रमुख हैं।
सिंचाई
इसी तरह से इस प्रदेश में लगभग 20 छोटे-बड़े और आकर्षक जलप्रपात भी हैं, जो जीवन को जल से प्राणवान करते हैं। हुन्डरु का जलप्रपात झारखण्ड का सबसे जलप्रपात है। अब से यह इस प्रदेश के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में विख्यात हो चुका है। यहां पानी की जलधारा लगभग 300 फिट की से गिरती है। हुण्डरु रांची शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जलप्रपात से सिकीदिरी पनबिजली संयंत्र में बिजली का उत्पादन भी होता है।
सिंचाई
दूसरा आकर्षक जलप्रपात रांची शहर के किलोमीटर की दूरी पर कांची नदी स्थित दशम जलप्रपात है। चूंकि यह दस जलधाराओं का प्रपात है इसीलिए इसे दशम जलप्रपात कहा जाता है। सदनी जलप्रपात गुमला जिले में है। शंखनदी पर स्थित इस जलप्रपात में जलधारा लगभग 200 फिट की से गिरती है। झारखंड के प्रसिद्ध शक्तिपीठ (धार्मिक स्थल) रजरप्पा में दामोदर नदी पर रजरप्पा जलप्रपात भी काफी आकर्षक है। नेतरहार में घघटी नदी पर स्थित जलप्रपात पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षक का केन्द्र है। इसकी जलधारा लगभग 150 फिट की से नीचे गिरती है।
इन जलप्रपातों के अलावा हिरणी जलप्रपात, जोन्टा जलप्रपात, डुमेर-सुमेर जलप्रपात, नागफेनी जलप्रपात, लोधा जलप्रपात आदि भी आकर्षक हैं।