कृत्रिम उपग्रह

Published on
1 min read

कृत्रिम उपग्रह माननिर्मित ऐसे उपकरण जो पृथ्वी की निश्चित कक्षा में परिक्रमा करते हैं। अपने संतुलन को बनाए रखने के लिए ये उपग्रह अपने अक्ष पर भी घूमते रहते हैं। 1957 में सर्वप्रथम रूस ने एक कृत्रिम उपग्रह-स्पुतनिक-1 अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था। स्पुतनिक-1 के पश्चात्‌ हजारों कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए (विशेष द्र. अंतरिक्ष यात्रा तथा उपग्रह)।

कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में कुछ प्रमुख उद्देश्यों के लिए प्रक्षेपित किए जाते हैं जिनमें दूरसंचार, मौसम विज्ञान संबंधी अध्ययन और अंतरराष्ट्रीय जासूसी प्रमुख हैं। इस समय (1975 ई.) 700 से भी अधिक कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं।

भारत ने अपना पहला कृत्रिम उपग्रह 19 अप्रैल, 1975 को रूस से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। भारत के इस कृत्रिम उपग्रह का नाम पाँचवीं शताब्दी के भारतीय खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ आर्यभट के नाम पर आर्यभट रखा गया है। इसका भार 3560 किलोग्राम है। यह 8 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है और 96.41 मिनट में एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। आर्यभट के 26 मुख हैं जिनपर 18,500 सौर सेल लगाए गए हैं। अपने प्रक्षेपण काल से लगभग 6 महीने तक अंतरिक्ष में कतिपय वैज्ञानिक प्रयोग एवं शोध करना इसका लक्ष्य था: किंतु कुछ खराबी आ जाने के कारण प्रयोग अधिक समय तक नहीं किया जा सका। (निरंकार सिहं)

अन्य स्रोतों से:

गुगल मैप (Google Map):

बाहरी कड़ियाँ:


1 -
2 -
3 -

विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):

संदर्भ:


1 -

2 -

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org