नदी विसर्प या नदी मोड़ (River meander)

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बाढ़ के मैदान में नदी का टेढ़ा-मेढ़ा या सर्पिल मार्ग। समतल मैदानी भाग में नदी क्षैतिज अपरदन द्वारा विस्तृत बाढ़ के मैदान का निर्माण करती है जहाँ प्रवाह मार्ग का ढाल अत्यंत मंद होने के कारण नदी (जल की मात्रा कम होने पर) टेढे-मेढ़े या सर्पीले मार्ग से प्रवाहित होती है जिसे नदी मोड़ या नदी विसर्प कहा जाता है। वर्षा ऋतु में बाढ़ की दशा में नदी पुनः सीधे मार्ग से बहने लगती है और विसर्प प्रायः समाप्त हो जाते हैं। नदी के क्षैतिज अपरदन द्वारा सामान्य विसर्प की उत्पत्ति होती है और उसके अंतर्गत गहरे कटाव द्वारा अधःकर्तित विसर्प (incised meander) का निर्माण होता है। नदी में जल की मात्रा काफी कम हो जाने पर पूर्व विसर्प की अपेक्षा कम चौड़े विसर्प बन जाते हैं जिन्हें बेमेल विसर्प (misfit or unfit meander) कहते हैं।

अन्य स्रोतों से

बाहरी कड़ियाँ:

विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):

शब्द रोमन में:

संदर्भ:

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