शिवालिक समूह (Siwalik System)

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शिवालिक समूह (Siwalik System) भारत में अल्पनूतनं युग (Miocene period) के अपराह्व से शैलों के एक नए समूह का आरंभ होता है, जो अलवण जलीय निक्षेपों से बना है और शिवालिक समूह के नाम से प्रसिद्ध है। तृतीय कल्प के आगमन के समय से ही सारी पृथ्वी की समाकृति में अनेकानेक परिवर्तन हुए और जल तथा थल के वितरण में उलट फेर हुआ। हिमालय प्रदेश, जो पुराजीव कल्प से ही गंभीर सागर से ढँका था, धीरे धीरे उच्च भूमि के रूप में बदलने लगा और अनेक भूसंचलनों के फलस्वरूप एक उच्च पर्वतश्रेणी में परिवर्तित हो गया। अल्पनूतन युग से जल छिछले तालों के रूप में हिमालय के दक्षिणी भूभाग में फैल गया और धीरे धीरे एक बड़े नद का रूप धारण कर लिया। इस बड़े नद को हिंद ब्रह्मपुत्र नद या शिवालिक नद कहते है। यह नद पूर्व में असम से लेकर पश्चिम में पंजाब से होते हुए बलूचिस्तान, सिंध तक फैला था और अरब सागर में मिलता था। इसी नद के द्वारा लाए हुए निक्षेप शिवालिक समूह के अंतर्गत आते हैं।

वर्गीकरण

वर्गीकरण

शिवालिक शैलसमूह

कालविभाजन

जीवाश्म

उपरि शिवालिक

गोलाश्म संगुटिकाश्म

(Boulder conglomerate)

पिंजार स्टेज

(Pinjor stage)

टैट्राट स्टेज़

(Tatrot stage)

निम्न अत्यंतनूतन युग

(Lower Pleistocene)

अतिनूतन युग

(Pliocene)

प्राइमेट्स, स्यार, कुत्ता, बिल्ली, शेर, चीता, लोमड़ी, हाथी, घोड़ा।

राइनोसिरस (Rhinoceros), गैंडा, हिपोपॉटैमस, भैंसा, ऊँट आदि।

मध्य शिवालिक

धोक पठान स्टेज

(Dhok Pathan stage)

नागरी स्टेज

(Nagari stage)

पॉन्टैन

(Pontain)

सारमेशैन

(Sarmatian)

प्राइमेट्स, मांसाहारी जीव और रोडेंट्स (Rodents)

स्तनधारी जीव, प्राइमेट्स, शिवाथेरियम, मांसाहारी जीव, सूँड़धारी जीव, जिराफ।

पूर्व शिवालिक

चिंजी स्टेज

(Chinji stage)

कमलियाल स्टेज

(Kamlial stage)

टॉरटोनिऐन

(Tortonian)

हेल्वीशैन

(Helvetian)

पक्षी वर्ग, रेंगनेवाले जीव (घड़ियाल, छिपकली साँप, कछुआ आदि)।

मछली।

विस्तार तथा वर्गीकरण-
शिवालिक समूह का महत्व-

अन्य स्रोतों से:

गुगल मैप (Google Map):

बाहरी कड़ियाँ:


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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):

संदर्भ:


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