वायु प्रदूषण (Air pollution)

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वातावरण में प्रदूषण का मुख्य कारण धुँआ है। शहरों में बसों, ट्रक्स रिक्सा, स्कूटर और अनेका स्वचलित वाहनों से निकलने वाला धुँआ दिन प्रतिदन बढ़ता जा रहा है। इसके कारण वातावरण में सल्फर डाय ऑक्साइड (SO2), नायट्रोजन डाय ऑक्साइडû (NO2) और कार्बन मोनोक्साइड(CO) इन सभी गैसों का प्रमाण बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा बैनजीन (Benzene) नामक कार्बन द्रव्य भी वायुमंडल में बढ़ता जा रहा है, जो कि बहुत ही चिंतादायक है। इस द्रव्य के कारण कैंसर जैसे रोग होने की संभावना बढ़ रही है। ये कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि ये नाक से होते हुए सांस की नली में पहुँच जाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप फेफड़े की बीमारी, खाँसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी व्याधी बढ़ जाती है।

इसके साथ- साथ घरों और कारखानों से निकलने वाला धुँआ भी इस वायु प्रदूषण को बढ़ाता है। कारखानों में इस्तेमाल किया जाने वाला कोयला और भूगर्भीय इंधन के जलने से SO2 उत्पन्न होता है।

वायु प्रदूषण


NO2 और अन्य उत्सर्जित कणों पर जब सूर्यप्रकाश पड़ता है तो उनकी रसायनिक प्रक्रिया के कारण ओज़ोन तैयार हो जाता है। वातावरण में इस प्रकार कई घातक गैंसों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।ऐतिहासिक रूप से देखा जाये तो वायु प्रदूषण, वायु में सल्फर डाय ऑक्साइड (SO2) की मात्रा बढ़ने से होता है, जो कि सल्फर युक्त भूगर्भीय ईधनों तथा घरेलू व करखानों में प्रयोग से उत्पन्न होता है।

स्मॉग (Smog) जो कि धुँए व अम्लीय एरोसाल के सम्मिलित प्रभाव से उत्पन्न होता है और उत्तरीय यूरोप में सदियों से देखा जा रहा है और दुनिया के कई विकसित देशों में अभी भी देखा जा सकता है। वाहनों के ईधन(पेट्रोल व डीजल) से उत्सर्जित धुँए में नायट्रोजन के ऑक्साइडû (NOx), कार्बन मोनोक्साइड(CO), वाष्पित कार्बनिक यौगिक (VOCx) तथा कुछ सुक्ष्म कण निकलकर शहरों में वायु की गुणवत्ता को कम करते है। इसके अतिरिक्त नायट्रोजन के ऑक्साइडû (NOx) व वाष्पित कार्बनिक यौगिक (VOCx) सुर्य के प्रकाश में अभिक्रिया करके ओज़ोने बनाते है।

अम्ल वर्षा जो कि एक दीर्ध कालिक प्रदूषक है, वाहनों से निकलने वाले धुँए में उपस्थित नायट्रोजन के ऑक्साइड (NOx) से होते है।
घरों और कारखानों से उत्पन्न होने वाले मुख्य प्रदूषक निम्न हैं:

सल्फर डाय ऑक्साइड (SO2)
तरंगित अतिसूक्ष्म दूषित कण (Suspended Particulate Matter- SPM)
कार्बन मोनोक्साइड(CO)
नायट्रोजन डाय ऑक्साइडû (NO2)
ओजोन (O3)
हायड्रोकार्बन्स (Hydrocarbons)
शीशा (Lead) व भारी धातु (Heavy Metals)

वायु प्रदूषण के स्रोत


स्वास्थ पर पड़ने वाला प्रभाव:
वायु में उपस्थित शीशा (Pb) की अधिक मात्रा रक्त, हृदय, नसों, किडनी व रोगप्रतिकारक शक्ति पर बुरा प्रभाव करता है। वायु में निच्ली सतह पर पाये जाने वाला शीशा बच्चों के मनसिक कार्य प्रणली व वयस्कों में रक्त चाप पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। शीशा शरीर में एकत्र होता रेहता है इसलिय इसकी कम मात्रा भी हानिकारक है। जहरीले वायु प्रदषक कैंसर जैसे रोगों के कारण बन सकते हैं।

वायुमंडल में बाह्य हानिकारक पदार्थों के पहुंचने से उत्पन्न प्रदूषण जिसके कारण वायुमंडल में गैसों की मात्रा एवं संगठन में असंतुलन उत्पन्न होता है और वायु प्राणियों, वानस्पतिक जीवन तथा मनुष्य के लिए घातक हो जाती है। वायु प्रदूषण प्राकृतिक तथा मानवीय दोनों कारणों से होता है। प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी उद्गार, वनस्पतियों तथा जीवों का सड़ना, दैवाग्नि, रेतीली या धूलभरी आंधियां आदि प्रमुख हैं।

प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न प्रदूषण कुछ समय पश्चात स्वतः समाप्त हो जाते हैं और अधिक हानि नहीं पहुंचा पाते हैं। सर्वाधिक विनाशकारी वायु प्रदूषण मानवीय क्रियाओं द्वारा उत्पन्न होते हैं जिन्हें मनुष्य अपनी सुख-सुविधा तथा आर्थिक लाभ के लिए करता है। कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं। वायुप्रदूषण के नियंत्रण हेतु विनाशकारी मानवीय क्रियाओं पर नियंत्रण तथा वृक्षारोपण अनिवार्य है।

अन्य स्रोतों से

बाहरी कड़ियाँ:

विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):

शब्द रोमन में:

संदर्भ:

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