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आर्गेनिक खाद पर मिले ज्यादा सबसिडी

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नई दिल्ली — पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय संस्था ग्रीनपीस ने पारिस्थितिकी के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2011-12 के बजट में रासायनिक की बजाय आर्गेनिक खाद को सबसिडी बढ़ाने तथा स्वच्छ एवं अक्षय ऊर्जा में ज्यादा से ज्यादा राशि आबंटित करने की मांग की है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ बजट पूर्व सलाह मशविरे में ग्रीनपीस ने सुझाव दिया है कि वित्तीय नीति निर्धारण में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि आर्थिक विकास के साथ-साथ पारिस्थितिकी संतुलन बना रहे। वहीं विकास का लाभ हर तबके को मिले। संस्था ने आगामी बजट में एक पारिस्थितिकी उर्वरक मिशन की स्थापना का भी सुझाव दिया।

भारत में ग्रीनपीस के कार्यकारी निदेशक सैमिट आइश ने वित्त मंत्री से मुलाकात के बाद बताया कि यदि आर्थिक वृद्धि के साथ देश के दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के करोड़ों लोगों तक सस्ती और विश्वसनीय बिजली की पहुंच सुनिश्चित करनी है, तो आगामी बजट में अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनानी होंगी, जिसमें विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा का विकल्प भी शामिल हो। जल, जंगल, जमीन और जैव विविधता जैसे प्राकृतिक संसाधनों के लगातार क्षरण से खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है। रासायनिक खादों में सबसिडी देने की केंद्र सरकार की नीतियों के कारण इनके अंधाधुंध इस्तेमाल से पारिस्थितिकी को गंभीर नुकसान पहुंचा है। श्री आइश ने बताया कि वर्ष 2009-10 के दौरान अकेले रासायनिक खाद में 49980 करोड़ रुपए की सबसिडी दी गई, जबकि आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने वाली विभिन्न योजनाओं में मात्र 5374.72 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जो रासायनिक खादों में सबसिडी का एक दसवां हिस्सा था। संस्था में सुझाव दिया कि पारिस्थितिकी के अनुकूल खाद को बढ़ावा देने के लिए बजट में एक वैकल्पिक सहायता प्रणाली का प्रावधान किया जाना चाहिए, ताकि खेतों की मिट्टी की उर्वरता बरकरार रह सके।
 

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