Draught
Draught

बारिश और बिजली के बिना भुखमरी के कगार पर किसान

Published on
3 min read

ग्रेटर नोएडा, 1 अगस्त। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बरसात न होने और बिजली न आने के कारण किसानों की धान की फसल सूख गई है। जो बची है उसे देखकर किसान बेहद परेशान हैं। जहां पर नहर का पानी है वहां पर फिर भी धान की फसल बची हुई है। लेकिन ज्यादातर जिलों में धान और ज्वार की फसल बर्बाद हो गई है। इससे किसान के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा होने लगा है। वहीं पशुओं के लिए चारे का भी संकट पैदा हो गया है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, बुलंदशहर समेत दूसरे जिलों में सबसे ज्यादा इस मौसम में धान की खेती की जाती है। धान की उपज के लिए सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। इन जिलों में ज्यादातर किसान बासमती, सेला, 1509, 1121 और सुगंध धान की खेती ज्यादा करते हैं। बासमती को छोड़ बाकी की खेती में पानी की काफी सख्त जरूरत होती है। धान की रोपाई करने से पहले खेत में घोल लगाया जाता है। इस घोल के लिए पहले खेत में बड़ी मात्रा में पानी भरा जाता है। घोल लगने के बाद खेत में धान की पौध की रोपाई की जाती है। रोपाई के बाद कम से कम चार दिन तक खेत में पानी का भरा रहना जरूरी होता है। इसके बाद ही धान की पौध जड़ें पकड़ पाती है। इस बार किसानों ने किसी तरह धान की रोपाई तो कर दी। लेकिन अब वे पछता रहे हैं।

इस बार बारिश नहीं होने के कराण फसलों को पानी नहीं मिल पा रहा है। कुछ जगह नहर का पानी है तो कुछ जगहों पर ट्यूबवेल लगे हुए हैं। इस साल बरसात न होने से किसी तरह किसान अपनी ट्यूबवेल से धान की खेती कर लेता था। लेकिन इस साल बिजली न आने से किसान की कमर टूट गई है। बिना पानी के धान की फसल जस की तस है। उसका बढ़ना भी बंद हो गया है। जबकि किसान ने खाद भी लगा दिया है। फिर भी फसल की बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है।

दूसरी ओर इस समय किसान की धान की फसल बर्बाद के साथ ही पशुओं के चारे का भी संकट पैदा हो गया है। जो चरी और ज्वार किसान ने बोई थी। वह भी बिना पानी के सूख रही है। हालात ये हैं कि चारे की कमी के कारण ज्वार की कीमत पांच हजार से लेकर छह हजार रुपए प्रति बीघा हो गई है। जबकि हर साल ज्वार की फसल 15 सौ से लेकर ढाई हजार रुपए बीघा बिकती थी। सबसे ज्यादा हालत बिजली न आने के कारण है। यहां पर बिजली न आने का समय है और न जाने का समय है। कभी-कभी तो बिजली आती है पर वोल्टेज इतनी कम होती है कि ट्यूबवेल की मोटर भी नहीं चल पाती है। बरसात न होने और बिजली न आने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान इस साल बर्बादी के कगार पर है। यह किसान अपना दुखड़ा सुनाए तो किसे कोई सुनने वाला तक नहीं है।

किसान बीरेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार बरसात न होने और बिजली न आने से धान की फसल की लागत भी हासिल नहीं हो पाएगी। जबकि हर साल उसके खाद, बीज, जुताई के खर्चे के साथ बच्चों की फीस का खर्चा आसानी से निकाल लिया जाता था। किसान सरकार और व्यापारियों से इस फसल के नाम पर कर्ज लेते थे। लेकिन इस बार वे पूरी तरह कर्ज में डूब जाएंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाए का भी मिल मालिक भुगतान नहीं कर रहे हैं।

हो बकाए का भुगतान

भारतीय किसान यूनियन की एक पंचायत गुरुवार को दनकौर में हुई। पंचायत गुरुवार को दनकौर में हुई। पंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के करोड़ों रुपए के बकाया गन्ने के भुगतान का मुद्दा उठाया गया। पंचायत की अध्यक्षता संगठन के जिलाध्यक्ष अजयपाल शर्मा ने की। शर्मा ने कहा कि किसानों के बकाया गन्ने का भुगतान मिल प्रबंधन जल्द करे नहीं तो भारतीय किसान यूनियन तालाबंदी जैसी कार्रवाई करने के लिए मजबूर हों। किसानों का करोड़ों रुपए सालों से बकाया है। वे भुखमरी के कगार पर हैं। लेकिन इस मामले पर न तो सरकार कुछ कर रही है न ही मिल प्रबंधन किसानों का भुगतान कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जल्द आंदोलन किया जाएगा।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org