बुन्देलखण्ड की लाल मिट्टियों में संसाधन संरक्षण एवं टिकाऊ उत्पादन हेतु समोच्य मेड़बन्दी (Reconstitious mercantile for resource conservation and durable production in the Red Soil of Bundelkhand)
बुन्देलखण्ड क्षेत्र मध्य भारत में स्थित है तथा इसका भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 70.4 लाख हेक्टेयर है। इसके लगभग 50 प्रतिशत भू-भाग में लाल मिट्टियाँ पायी जाती हैं परन्तु इनकी उत्पादन क्षमता, इनकी कम जलधारण क्षमता एवं अन्य भूमि-सम्बन्धित समस्याओं के कारण बहुत कम है। कम भूजल उपलब्धता के कारण इस क्षेत्र में मुख्यतः बारानी खेती की जाती है। लाल मिट्टियाँ मुख्यतः ऊँचे स्थानों पर पायी जाती हैं जिसके कारण वर्षा के जल का अधिकांश भाग अपवाह के रूप में बहकर व्यर्थ चला जाता है। लाल मिट्टियों में वर्षा ऋतु में भी, कम अवधि के सूखे के दौरान फसलें जल की कमी का अनुभव करती हैं तथा कम अवधि की वर्षा ऋतु इस स्थिति को और भी गम्भीर बना देती है। लाल मिट्टियों से भी अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है परन्तु इन मिट्टियों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिये कारगर संसाधन संरक्षण विधियों को अपनाने की आवश्यकता पड़ती है। अलाभकारी खेती के स्थान पर किसान अपने ढालू खेतों पर समोच्य मेड़बन्दी करके अधिक मात्रा में वर्षाजल संरक्षण तथा मिट्टी कटाव को कम करके टिकाऊ फसलोत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
परिचय
तकनीकी विवरण
समोच्य मेड़बन्दी मृदा एवं जल संरक्षण में कैसे सहायक है?
समोच्य मेड़बन्दी को कहाँ अपनाना चाहिए?
समोच्य मेड़बन्दी की विधि
प्रथम सोपान
द्वितीय सोपान
मेड़ों के बीच की दूरी
समोच्य मेड़ों पर घास लगाना
मेड़ों की माप
फालतू पानी को खेत से बाहर निकालने के लिये प्रबन्धन
समोच्य मेड़बन्दी के लाभ
तालिका 1 : विभिन्न उपचारों का अपवाह, मृदा एवं पोषक तत्वों की हानि पर प्रभाव | ||||||
उपचार | अपवाह % | मृदा हानि (किग्रा/हे.) | पोषक तत्वों की हानि (किग्रा/हे.) | |||
जैविक कार्बन | नाइट्रोजन | फास्फोरस | पोटाश | |||
पारम्परिक विधि | 31.6 | 939 | 10.40 | 2.36 | 0.63 | 0.93 |
समोच्य मेड़बन्दी | 3.0 | 31 | 0.40 | 0.18 | 0.07 | 0.18 |