भारतीय कृषि में सोयाबीन

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सोयाबीन एक दलहनी फसल है। इसे जादुई फसल भी कहते हैं। यह बहुत ही पुरानी फसलों में से एक है। इसके खेती का प्रमाण कई सौ साल पहले चीन में हुआ था। ऐसा लोगों का विश्वास है कि समुद्र और भूमि विस्तार के साथ सोयाबीन का आगमन, चीन के पड़ोसी देशों एवं भारत में हुआ था। आज के वर्तमान समय में सोयाबीन चीन, मन्चुरिया, जापान, कोरिया और मलेशिया का महत्त्वपूर्ण फसल हो गया है।

भारत में सोयाबीन का परिचय हिमालय के क्षेत्रों से प्रारम्भ हुआ और 1960 के दशक से यह वृहद रूप से उगाया जाने लगा। विश्व पटल पर क्षेत्रफल की दृष्टि से सोयाबीन की खेती में भारत का चौथा स्थान है। पहले स्थान पर अमेरिका, द्वितीय स्थान पर ब्राजील और तीसरे स्थान पर अर्जेंटीना आते हैं। प्रति हेक्टेयर उत्पादन के आधार पर अमेरिका प्रथम स्थान पर है और भारत आठवें स्थान पर है। भारत में सोयाबीन एक खरीफ की फसल के रूप में जाना जाता है। इसकी बुआई जून-जुलाई के महीनों के मध्य की जाती है और कटाई सितम्बर-अक्टूबर के महीनों में कर ली जाती है। भारत में सोयाबीन की खेती विशेष रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटका, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में होता है।

सोयाबीन की कुछ विशेष प्रजातियाँ हैं, जैसे जे.एस. 335, डी.एस. 1712, पी.के. 1012, पी.के. 1042। इनमें से जे.एस. 335 सन 1994 में, जे.एन.के.वी., जबलपुर द्वारा विकसित किया गया है। यह प्रजाति 90-100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसका उत्पादन करीब 25-30 कुंतल है। जबकि डी.एस. 9712 आई.ए.आर.आई., नई दिल्ली द्वारा विकसित किया है। जबकि पी.के. 1042 सन 1997 में जी.बी.पी.यू.ए.टी., पंतनगर द्वारा विकसित किया गया है। ये तीनों विशेषकर भारत सोयाबीन की खेती के लिये मुख्य रूप से उपयोग में लायी जाने वाली उन्नत किस्में हैं।

सोयाबीन में 38-45 प्रतिशत प्रोटीन तथा इसके साथ-साथ 20 प्रतिशत तैल भी प्राप्त होता है। इतने अधिक प्रतिशत प्रोटीन और तैल एक ही फसल में मिलने के कारण सोयाबीन दलहनी एवं तिलहनी, दोनों श्रेणी में रखा जाता है।

भारत में दालों के लिये मुख्यत: अरहर, चना, मूंग, उरद, मसूर आदि फसलें उगाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त दलहनी फसल में विशेष रूप से सोयाबीन का क्षेत्रफल और उत्पादन काफी तीव्र गति से बढ़ने लगा है। अत: सोयाबीन की उत्पादकता को आगे बढ़ाने वाली विशिष्ट प्रविधियों का उल्लेख किया गया है।

खेती का चुनाव

पृथक्करण

प्रमुख कृषि विधियाँ

खाद

जीवाणु संवर्धन से बीजोपचार

बोने की विधि

सिंचाई

खरपतवार नियंत्रण

रोग नियंत्रण

कीट नियंत्रण

अवांछनीय पौधों को निकालने का प्रयास

(क) फसल की प्रारंभिक अवस्थाओं में

(ख) पीला मोजेक

(ग) सोयाबीन मोजेक

(घ) फूल आने से पहले

(च) बीज फसल की कटाई

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