केरल में जैविक खेती पर जोर
केरल में जैविक खेती पर जोर

केरल: हर जिले में जैविक खेती पर जोर

जानिए केरल के कोच्चि शहर में स्थित एलुवा स्टेट सीड फार्म के बारे में जिसे भारत का पहला कार्बन न्यूट्रल सीड फार्म है घोषित किया गया है क्यूंकि यह फार्म रसायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं करता है
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केरल के कोच्चि शहर में थुरुथ आइलैंड है। यह देश का पहला कार्बन न्यूट्रल सीड फार्म यानी ऐसा खेत जहां से कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। इसे एलुवा स्टेट सीड फार्म नाम दिया गया है। यह एक आदर्श फार्म है, क्योंकि इस फार्म में केमिकल्स का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होता है। 13.5 एकड़ में फैले इस फार्म में केवल नाव, बोट या रेलवे ट्रैक से चलकर ही पहुंचा जा सकता है। कोई भी वाहन इस फार्म में प्रवेश नहीं कर सकता ।

यह जगह पेरियार नदी से घिरी हुई है। जमीन के ऊपर कार्बन उत्सर्जन को रोकने और बेअसर करने के लिए, खेत की सीमाओं में 150 से ज्यादा पेड़-पौधों की खेती होती है। स्टेट सीड फार्म की हेड लिसिमोल जे वडुकूट कहती हैं हमारे फार्म में 43 टन कार्बन उत्सर्जन होता है,तो 213 टन कार्बन फार्म खुद स्टोर करता है। इस तरह यहां 170 टन कार्बन क्रेडिट है। यानी यह सिर्फ कार्बन न्यूट्रल ही नहीं बल्कि कार्बन निगेटिव है। हमने इस फार्म में कई नई फार्मिंग तकनीक अपनाई। जैसे हम यहां वृक्षायुर्वेद तकनीक इस्तेमाल करते हैं। इसके तहत पंचगव्य, वर्मीवाश और माइकोराइजा जैसे बायो फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल करते हैं, जिससे पौधों को बिना केमिकल के पर्याप्त फास्फोरस मिलता है।

इससे मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है। हमने डक-पैडी इंटीग्रेटेड फार्मिंग तकनीक भी पेश की है। धान रोपने के 15 दिन बाद हम बत्तखों को खेत में छोड़ देते हैं। भोजन की तलाश में, बत्तख मिट्टी में चोंच मारती हैं, जिससे पानी को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है।

स्रोत-पर्यावरण डाइजेस्ट, वर्ष 38, अंक 03 मार्च 2024

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