Drip irrigation
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ड्रिप सिंचाई के लिए कम्पनी बनाने की तैयारी

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आज से शुरू हो रहे राजिम कुम्भ के लिए महानदी व पैरी नदी के संगम पर राजीव लोचन मन्दिर के सामने अस्थायी घाट बनकर तैयार है। श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने के लिए नदी में पानी भी छोड़ दिया गया है। लेकिन स्नान पर्व के खत्म होते ही नदी फिर सूख जाएगी। इसकी वजह संगम तट पर हर साल तैयार की जाने वाली अस्थायी व्यवस्था है। घाटों और आवास के निर्माण में प्रयोग होने वाली दर्जनों ट्रक मिट्टी, मुरुम और सीमेंट की वजह से नदी की प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ा है। वरिष्ठ आईएएस को दी जानी है जिम्मेदारी सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के लिए एक सरकारी कम्पनी बनाने की तैयारी चल रही है। कृषि विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। शुरुआती योजना में छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के एग्रो प्रकोष्ठ में इसे स्वतन्त्र रूप से चलाने की तैयारी है। यह सारी कवायद गुजरात मॉडल के आधार पर की जा रही है।

गुजरात की सरकारी कम्पनी गुजरात ग्रीन रिवोल्यूशन कम्पनी लिमिटेड कई वर्षों से सूक्ष्म सिंचाई परियोजना पर काम कर रही है। इसका जमीनी अध्ययन करने के लिए जल्दी ही कृषि विभाग के प्रमुख सचिव अजय सिंह गुजरात का दौरान करने वाले है। अधिकारियों का दावा है कि पूरी परियोजना को कम्पनी के तहत् लाने से कामकाज में तेजी आएगी और अनियमितता की शिकायतों को भी दूर किया जा सकता है।

तैयार किया है प्रस्ताव

इस योजना से जुड़ा एक शुरुआती प्रस्ताव उद्यानिकी विभाग ने भेजा है। इसके तहत् इस पूरी परियोजना का खाखा खींचा गया है। इसमें योजना को प्रभावी और किसान के लिए उपयोगी बनाने पर जोर दिया गया है। केन्द्र और राज्य सरकारें सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों के लगाने में काश्तकारों को 75 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध कराती है।

क्या है सूक्ष्म सिंचाई

यह सिंचाई की एक नई विधि है। इससे पानी और खाद की बचत होती है। इसमें पानी को पौधों की जड़ों पर बूँद-बूँद टपकाया जाता है। प्रतिदिन जरूरी मात्रा में पानी देने से पौधों पर दबाव नहीं पड़ता। इससे फसलों की बढ़त और उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरीके से सिंचाई कर 30 से 60 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में ड्रीप और स्प्रींकलर सिंचाई उपकरणों को इस योजना के तहत् लगाया जाता है।

क्यों पड़ी जरूरत

राज्य में सूक्ष्म सिंचाई परियोजना कृषि विभाग के तीन अलग-अलग खण्डों के पास है। कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग और छत्तीसगढ़ राज्य के पास इस योजना में अलग-अलग काम है। ऐसे में काम की प्रभावी मॉनीटरिंग नहीं हो पाती।

पिछले दिनों महासमुंद्र जिले में टपक सिंचाई परियोजना में बड़ा घोटाला सामने आया। अधिकारियों का कहना है कि एक जगह से पूरी मॉनीटरिंग होने से ऐसी नौबत नहीं आएगी।

ऐसे होगा काम

योजना के मुताबिक इस योजना का लाभ पाने के लिए किसान कम्पनी को आवेदन करेंगे। लागत की रकम जमा करेंगे। इसके बाद कार्य आदेश जारी होगा। उपकरण आपूर्तिकर्ता, कम्पनी और किसान के बीच तीन पार्टी करार होगा। उपकरणों की आपूर्ति होगी, लगाया जाएगा। कम्पनी ट्रॉयल रन के बाद उसे किसान को सुपूर्द करेगी। किसान पूरे बीमा कवर के साथ इसे पाएगा। लगाने के बाद सर्विस की जिम्मेदारी भी कम्पनी की रहेगी।

बनेगी कार्ययोजना

अभी बीज निगम के एग्रो सेक्शन के तहत् ले आने की योजना है। गुजरात की कम्पनी के कामकाज का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद इसकी कार्ययोजना बनेगी। अभी बहुत शुरुआत काम हो रहे हैं।

पी.के.दवे, सचिव कृषि विभाग

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