एक किसान से दो टूक बात

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यदि फसलें बगैर कृषि रसायनों, उर्वरकों या मशीनों के उगाई जाने लगीं तो बड़ी-बड़ी रसायन निर्माता कंपनियां बेकार हो जाएंगी और सरकार की कृषि सहकारी ऐजेंसी भी ध्वस्त हो जाएंगी। इस मामले को सबके सामने उठाते हुए मैंने कहा, कि सहकारी समितियां तथा कृषि-नीतियां तय करने वालों की सत्ता का आधार विराट कृषि मशीनों और उर्वरकों के कारखानों में लगी विराट पूंजी ही है।

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