हरी खाद द्वारा बुन्देलखण्ड की लाल मिट्टियों में संसाधन संरक्षण एवं उत्पादकता वृद्धि
बुन्देलखण्ड क्षेत्र मध्य भारत में स्थित है तथा इसका भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 70.4 लाख हेक्टेयर है। इस क्षेत्र में लाल मिट्टियाँ लगभग 50 प्रतिशत क्षेत्रफल में पायी जाती हैं। ये मिट्टियाँ कम से मध्यम गहराई की हैं तथा कम उर्वरा शक्ति होने के कारण इनकी उत्पादन क्षमता भी कम है। लाल मिट्टियाँ मुख्यतः ऊँचे स्थानों पर पाई जाने के कारण उनसे वर्षा ऋतु में वर्षा के जल का अधिकांश भाग बहकर व्यर्थ चला जाता है। इस क्षेत्र में प्रचलित परती-गेहूँ फसल चक्र के कारण अधिकांश पोषक तत्व मिट्टी के कटाव, तत्वों के रिसाव एवं खरपतवारों द्वारा उद्ग्रहण आदि से नष्ट हो जाते हैं। सीमित संसाधनों के कारण इस क्षेत्र के किसान रासायनिक उर्वरकों पर अधिक धन व्यय नहीं कर सकते अतः हरी खाद इस क्षेत्र की मृदा की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन क्षमता बढ़ाने तथा मृदा क्षरण को कम करने के लिये अच्छा विकल्प है। अतः बुन्देलखण्ड के किसान वर्षा ऋतु (खरीफ) में हरी खाद की फसल लेकर लाभान्वित हो सकते हैं।
परिचय
हरी खाद क्यों?
तकनीक को अपनाने के लिये आवश्यक सोपान
आगामी गेहूँ की फसल को उगाने के लिये संस्तुत विधि
प्रजातियाँ
खेत की तैयारी
बुवाई का समय
बीजोपचार
बीज की दर एवं बुवाई की दूरी
उर्वरक प्रयोग की विधि
सिंचाई
रासायनिक खरपतवार नियंत्रण
कटाई एवं गहाई
हरी खाद के लाभ
भूमि में जैव पदार्थ एवं पोषक तत्वों का समावेश
तालिका 1 : लाल मिट्टियों में सनई की हरी खाद द्वारा जैव पदार्थ एवं पोषक तत्वों का समावेश | |
विवरण | मात्रा |
जैव पदार्थ समावेश (टन/हेक्टेयर) | |
हरा जैव पदार्थ | 18.4 |
सूखा जैव पदार्थ | 4.7 |
पोषक तत्वों का समावेश (किलोग्राम/हेक्टेयर) | |
नाइट्रोजन | 45.4 |
फास्फोरस | 3.5 |
पोटाश | 51.9 |
गेहूँ की उपज एवं जल उपयोग क्षमता
तालिका 2 : विभिन्न उपचारों का गेहूँ की उपज एवं जल उपयोग क्षमता पर प्रभाव | ||
विवरण | विधि | |
कृषक विधि (परती-गेहूँ) | उन्नत विधि (हरी खाद-गेहूँ) | |
उपज (किलोग्राम/हेक्टेयर) | ||
दाना | 1477 | 1991 |
भूसा | 2826 | 3676 |
जल उपयोग क्षमता (किग्रा/हे.-मिमी) | 5.22 | 6.76 |
आर्थिक लाभ
तालिका 3 : हरी खाद के प्रयोग का आर्थिक विश्लेषण | ||
विवरण | कृषक विधि (परती-गेहूँ) | उन्नत विधि (हरी खाद-गेहूँ) |
उत्पादन की लागत (रु./हे.) | 19,265 | 23,205 |
कुल प्रतिफल (रु./हे.) | 26,677 | 35,747 |
शुद्ध लाभ (रु./हे.) | 7,411 | 12,541 |
लाभ लागत अनुपात | 1.38:1 | 1.54:1 |
आर्थिक गणना के लिये, जुलाई 2013 में प्रचलित दरें शामिल की गई हैं। |
अन्य लाभ
संसाधन संरक्षण
मृदा गुणवत्ता में सुधार
तालिका 4 : विभिन्न उपचारों का भूमि की भौतिक एवं रासायनिक गुणों पर प्रभाव (5 वर्ष पश्चात)। | ||
विवरण | उपचार | |
कृषक विधि (परती-गेहूँ) | उन्नत विधि (हरी खाद-गेहूँ) | |
भौतिक गुण | ||
स्थूलता घनत्व (ग्रा./घन सेमी) | 1.58 | 1.45 |
रिसाव दर (सेमी/घंटा) | 4.19 | 6.38 |
रासायनिक गुण | ||
जैविक कार्बन (किग्रा/हे.) | 0.28 | 0.32 |
उपलब्ध नाइट्रोजन (किग्रा/हे.) | 194.50 | 254.80 |
उपलब्ध फास्फोरस (किग्रा/हे.) | 12.60 | 16.50 |
उपलब्ध पोटाश (किग्रा/हे.) | 122.20 | 136.50 |
सम्भावनायें
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केन्द्राध्यक्ष
भा.कृ.अनु.प. - भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान अनुसन्धान केन्द्र
दतिया - 475 661 (मध्य प्रदेश), दूरभाष - 07522-237372/237373, फैक्स - 07522-290229/400993, ई-मेल - cswcrtidatia@rediffmail.com
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