खेती के संकट का समाधान

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इधर हमारी समूची खेती प्रकृति के निशाने पर रही है। कभी वह सूखे का सामना करती है तो कभी बाढ़ से त्रस्त होती है। यह स्थिति तब है जबकि हम सिंचाई और जल प्रबन्धन योजनाओं पर अरबों रुपए खर्च कर चुके हैं। इसलिये यह सवाल अहम है कि ये हालात बदलें तो कैसे

हमें अपनी खेती की सिंचाई और पेयजल जरूरतों की पूर्ति के लिये आसान उपलब्ध व सस्ती तकनीकों के प्रचलन को ही बढ़ावा देना चाहिए अन्यथा अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी कुछ हासिल नहीं होगा। हमें चाहिए कि हम देश के सभी शुष्क कृषि प्रक्षेत्रों में शुष्क कृषि तकनीकों के प्रचलन को व्यापक रूप से बढ़ाएँ और उसके अनुकूल संभावित परिस्थितियाँ निर्मित करें।

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