लाल मिट्टियों में संसाधन संरक्षण एवं ज्वार की उपज बढ़ाने हेतु उन्नत भूपरिष्करण तथा पलवार विधियाँ (Advanced landscaping and Pliable methods to increase the yield of resource protection and Sorghum vulgare in red soil)

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खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने की दिशा में बारानी क्षेत्रों में कृषि उत्पादन बढ़ाने की अपार सम्भावनाएँ हैं जो देश के शुद्ध खेती योग्य क्षेत्र का लगभग 60 प्रतिशत भाग है। लाल मिट्टियों का समूह तीन मृदा समूहों (लाल, काली एवं उप पहाड़ी मिट्टियाँ) में से एक प्रमुख समूह है जो मुख्यरूप से बारानी क्षेत्रों में पाया जाता है। पारम्परिक विधियों से खेती करने पर इन मिट्टियों से जल अपवाह एवं मृदा कटाव होता है जिससे इसकी उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। मध्य भारत के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में लाल मिट्टियाँ लगभग 50 प्रतिशत क्षेत्र में पायी जाती हैं, जहाँ सामान्यतः बारानी खेती की जाती है। भूमि की निचली सतह में पायी जाने वाली अपारगम्य पर्त तथा वर्षा उपरान्त भूमि सतह पर एक कड़ी पर्त बन जाने के कारण इन मिट्टियों से वर्षाजल का एक बड़ा भाग अपवाह के रूप में बहकर नष्ट हो जाता है। अतः वर्षा के मौसम में भी फसलों को सूखे का सामना करना पड़ता है जिसके कारण फसलों की बढ़वार एवं उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इन परिस्थितियों में एक ऐसी तकनीक की आवश्यकता है जो आसानी से इन अवरोधों को दूर कर सके। उन्नत भूपरिष्करण एवं सतही पलवार भूमि सतह के वर्षाजल को ग्रहण करने एवं उसे तीव्रता से भूमि में अवशोषित करने तथा संग्रहित करने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।

प्रस्तावना

तकनीक विवरण

उन्नत भूपरिष्करण एवं पलवार क्यों?

उन्नत भूपरिष्करण

ज्वार की खेती एवं स्व स्थान पलवार की उन्नत विधियाँ

खेत की तैयारी एवं बुआई का समय -
खाद एवं उर्वरक –
जातियाँ –
बीजोपचार –
बीज दर एवं पौध संख्या –
सनई का स्व स्थान पलवार –

फसल सुरक्षा

कीड़े/मकोड़े
तना मक्खी –
तना भेदक –
ज्वार की मिज –
ज्वार के भुट्टे की बग –
पत्ती मोड़क –

रोग नियन्त्रण

बीज विगलन एवं पौध झुलसा –
डाउनी मृदुल आसिता –
जोनेट रोग एवं सरकोस्पोरा रोग के पत्ती पर धब्बे –
दाने का कण्डवा एवं आवृत कण्डवा –
कटाई एवं गहाई –

उन्नत भूपरिष्करण व स्व स्थान पलवार के लाभ

वर्षाजल का संरक्षण –

तालिका-1 : विभिन्न भूपरिष्करण एवं पलवार विधियों द्वारा ज्वार की फसल में वर्षाजल संरक्षण

उपचार

वर्षाजल संरक्षण

मिमी

परम्परागत भूपरिष्करण की तुलना में वृद्धि (%)

परम्परागत भूपरिष्करण

297.3

-

उन्नत भूपरिष्करण

351.8

18

उन्नत भूपरिष्करण + सनई का स्व स्थान पलवार

398.8

34

दाने एवं कड़वी की उपज –

तालिका-2 : भूपरिष्करण एवं सनई का स्व स्थान पलवार का ज्वार के दाने एवं कड़वी की उपज पर प्रभाव

उपचार

उपज (किलोग्राम प्रति हेक्टेयर)

दाना

कड़वी

परम्परागत भूपरिष्करण

2,249

7,358

उन्नत भूपरिष्करण

2,991

9,294

उन्नत भूपरिष्करण + सनई का स्व स्थान पलवार

3,810

9,981

आर्थिक मूल्यांकन

तालिका 3 : विभिन्न भू-परिष्करण एवं पलवार विधियों के अन्तर्गत अतिरिक्त शुद्ध लाभ

उपचार

परम्परागत भूपरिष्करण की तुलना में अतिरिक्त शुद्ध लाभ (रुपये प्रति हेक्टेयर)

परम्परागत भूपरिष्करण

-

उन्नत भूपरिष्करण

4,610

उन्नत भूपरिष्करण + सनई का स्व स्थान पलवार

7,437

सम्भावनायें एवं सीमायें

अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें

केन्द्राध्यक्ष
अथवा
निदेशक
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