राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन उत्तर प्रदेश में आरंभ
मिट्टी के स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत सरकार की नीतियों ने कृषि की वर्तमान चुनौतियों के समाधान में व्यापक स्तर पर गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को क्रियान्वित करने का जो संकल्प लिया है। इसे उत्तर प्रदेश सरकार ने भी वर्ष 2025 से आरम्भ करने का निर्णय लिया है।
जानने की आवश्यकता है कि प्राकृतिक खेती क्या है तथा सरकार की नीतियों के आधार पर प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए कृषकों को कौन-कौन सी सुविधाएं एवं प्रोत्साहन दिये जा रहे हैं।
प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त खेती पद्धति है, जिसमें गौ-वंश आधारित प्राकृतिक खेती के तौर-तरीकों का एक मानक सरकार द्वारा तैयार किया गया है। इसका आधार पूर्णतः वैज्ञानिक है। प्राकृतिक खेती का प्रमुख उद्देश्य मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करना, कृषि लागत में कमी लाना एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करना है। प्राकृतिक खेती से किसान भाइयों को अपनी कृषि में रसायनमुक्त उत्पाद प्राप्त करना एवं उसके प्रमाणीकरण की व्यवस्था को सम्मिलित किया गया है, जिससे कृषकों की आमदनी में भी वृद्धि हो सके। इसके अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती योजना को आरम्भ किया जायेगा। योजना के क्रियान्वयन में कृषकों के समूह को अभिप्रेरित कर 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनाया जायेगा।
क्लस्टर के किसानों को पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती के उद्देश्यों तथा गौ-आधारित प्राकृतिक खेती करने के तरीके को सिखाने में प्रशिक्षण के माध्यम में दक्ष किया जायेगा। प्रशिक्षण की व्यवस्था भारत सरकार द्वारा निर्धारित संस्थानों पर की जायेगी। प्रदेश स्तर के तकनीकी अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों का प्रशिक्षण हरियाणा स्थित राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती केन्द्र गुरुकुल, कुरुक्षेत्र करनाल में किये जाने का भारत सरकार ने निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लिए गए निर्णय के क्रम में प्रथम चरण के अन्तर्गत कुल 1886 कृषक समूह/क्लस्टर का गठन किया जाना है जिसमें 64300 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 310 विकास खण्ड तथा 2346 ग्राम पंचायतें आच्छादित होंगी। इसके अंतर्गत 2 लाख से अधिक कृषकों को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अन्तर्गत आच्छादित किया जाना है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का प्रथम चरण
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लिए गए निर्णय के क्रम में प्रथम चरण के अन्तर्गत कुल 1886 कृषक समूह/क्लस्टर का गठन किया जाना है जिसमें 64300 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 310 विकास खण्ड तथा 2346 ग्राम पंचायतें आच्छादित होगी। इसके अंतर्गत 2 लाख से अधिक कृषकों को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अन्तर्गत आच्छादित किया जाना है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के सफल क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश के चार कृषि विश्वविद्यालयों, 52 कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) तथा जनपद व विकास खण्ड स्तर पर 38 लोकल नेचुरल फार्मिंग इंस्टीट्यूट (एलएनएफआई) का चयन किया गया है। साथ ही चिन्हांकित फार्मर
मास्टर ट्रेनर (एफएमटी) के सहयोग से विभिन्न स्तर पर प्राकृतिक खेती हेतु प्रशिक्षण दिया जायेगा। योजना को सहयोग देने हेतु 75 जनपदों में 150 बायो-इनपुट रिसोर्स सेन्टर (बीआरसी) को भी स्थापित किया जाना है ताकि इच्छुक किसानों को सुगमता से गौ-आधारित निवेश आवश्यकता अनुसार उपलब्ध हो सके। इसी दिशा में प्रत्येक क्लस्टर पर 2-2 कृषि सखी/कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन को भी तैनात किया जायेगा।
प्राकृतिक खेती को सम्पन्न कराने में संस्थानों की भूमिका-
(1) कृषि विश्वविद्यालय प्रदेश के 4 कृषि विश्वविद्यालयों यथा- आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवम् प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी, बांदा, कृषि विश्वविद्यालय तथा सीएसए कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के केन्द्रों पर प्रशिक्षण केंद्र तथा मॉडल विकसित किए जाएंगे।
(2) कृषि विज्ञान केन्द्र- उत्तर प्रदेश के 52 कृषि विज्ञान केन्द्रों पर भी प्राकृतिक खेती मॉडल विकसित किये जाएंगे।
(3) लोकल नेचुरल फार्मिंग इंस्टीट्यूट स्थानीय खेती संस्था सक्रिय प्राकृतिक खेती फार्म है, जो कि विगत 3 वर्षों से लगातार कम से कम 2 एकड़ क्षेत्र पर गौआधारित प्राकृतिक खेती सफलतापूर्वक कर रहा हो। अब तक प्रदेश में ऐसी 38 संस्थाएं क्रियाशील हैं।
(4) फार्मर मास्टर ट्रेनर (एफएमटी)- एफएमटी वे किसान हैं जो न्यूनतम विगत 3 वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और उनके खेत भी प्राकृतिक खेती मॉडल प्रदर्शन के रूप में कार्य करेंगे।
(5) कृषि सखियां (कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन) कृषि सखियां प्राकृतिक खेती का आधार बनेंगी। कृषि सखियों पर प्राकृतिक खेती प्रथाओं और ज्ञान को सरल तरीके से समूह के कृषकों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी। इस हेतु इनको प्रत्येक माह 5 हजार रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिया जायेगा। प्रदेश के समस्त जनपदों में 1886 क्लस्टर में कुल 3772 कृषि सखियां प्राकृतिक खेती कार्यक्रम में संलग्न होगी।
प्रदेश में क्लस्टर स्थापित हेतु सरकार द्वारा कई मानक निर्धारित किए गए हैं।
1 - पहला गंगा नदी के किनारे 5 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित 27 जनपद,
2 - दूसरा- प्रदेश की प्रमुख नदियों के किनारे स्थित 35 जनपद,
3 - तीसरा रासायनिक उर्वरकों की अधिक खपत वाला 01 जनपद,
4 - चौथा-रासायनिक उर्वरकों की कम खपत वाले 2 जनपद,
5 - पांचवां अनुसूचित जनजाति बाहुल्य 3 जनपद,
6 - छठां एसआरएलएम/पैक्स/एफपीओ वाले 7 जनपद।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के सफल संचालन से गौआधारित एकीकृत कृषि-पशुपालन मॉडल क्लस्टर विकसित किये जाएंगे एवं कृषि में इनपुट लागत में कमी से कृषकों में विश्वास पैदा होगा।
प्राकृतिक कृषि के माध्यम से मिट्टी के जैविक कार्बन में सुधार होगा व जलधारण क्षमता बढ़ेगी। इन लाभों को कृषक स्वयं अनुभव करेंगे, जिससे कृषि जगत में आने वाली चुनौतियों का सामना कृषक भाई प्राकृतिक खेती के माध्यम से सुलझा सकने में सक्षम बन सकेगें। प्राकृतिक खेती से हानिकारक रसायनों से मुक्त तथा प्रमाणित उत्पाद प्राप्त होगा और मानव स्वास्थ्य का उद्धार होगा।