शारदा सहायक कमांड क्षेत्र में अधिकतम धान के उत्पादन एवं जल उत्पादकता हेतु जल प्रबंधन तकनीक
कृषि के लिये जल एक सीमित संसाधन है जिसकी फसलोत्पादन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जल की कमी ना अत्यधिक मात्रा के कारण फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है संसार के समस्त जल संसाधनों का केवल 2.6 प्रतिशत जल ही पीने एवं फसलों को सिंचाई के लिये उपलब्ध है। इसलिये कृषि में इसका उपयोग आवश्यकतानुसार संतुलित मात्रा में करना बहुत ही आवश्यक है अतः आज के इस जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि में जल की बचत करने की अत्यधिक आवश्यकता है। देश के उत्तरप्रदेश राज्य के शारदा सहायक नहरी कमांड क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 15.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र जाता है तथा यहाँ पारंपरिक तरीकों से लगभग 27.60 प्रतिशत क्षेत्र में हो सिंचाई हो पाती है। चाँदपुर रजबहा एवं इसकी छ अपिकाओं के अधीन 4551 हैक्टेयर कृषि क्षेत्र ही आता है (तालिका 1 ) एवं पारंपरिक विधियों से मात्र 27.68 प्रतिशत क्षेत्र की ही सिंचाई हो पाती है।
धान की खेती लेव लगे खेत में रोपाई के द्वारा की जाती है। यहाँ कृषकों का मानना है कि धान के खेत में लगातार जल भरकर खेती करने से फसल का अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जबकि कल्ले निकलते समय खेत में अधिक समय तक जल नहीं भरा रहना चाहिये अन्यथा कल्लों की संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा साथ ही धान का उत्पादन भी कम हो जाता है। शारदा सहायक नहरी कमांड क्षेत्र में अधिकतर किसान धान की फसल में एक खेत से दूसरे खेत में बाड़ सिंचाई विधि से 10-12 सेंटीमीटर गहराई की सिचाई करते है जिससे जल को उत्पादकता काफी कम हो जाती है। साथ ही धान के खेत में लगातार जल भरे होने से कई तरह के संकट जैसे कीट एवं रोगों का प्रकोप बढ़ गया है एवं उर्वरक उपयोग दक्षता में भी कमी पायी गयी है जिसके फलस्वरूप थान का वांछित उत्पादन किसानों को प्राप्त नहीं हो पाता है। ऊपर वर्णित परिस्थितियों को ध्यान में पायी गयी है। रखकर चाँदपुर रजबहा के क्षेत्र में धान की फसल में 10 x 10 मीटर के चैक बेसिन विधि द्वारा 7 सेंटीमीटर नल प्रति सिचाई की दर से सिचाई जल सूखने के तीन दिन बाद सिंचाई करने से धान के उत्पादन, रोगों पर नियंत्रण, उर्वरक उपयोग क्षमता एवं सिंचाई जल की उत्पादकता में वृद्धि पाई गई है।
किसानों के खेत पर उजत जल प्रबंधन तकनीक द्वारा धान की सिंचाई किसानों के खेत पर उन्नत सिंचाई विधि द्वारा किये गये धान के परीक्षणों से प्राप्त आँकड़े तालिका 2 में प्रस्तुत किये गये है। किसानों को इस विधि द्वारा धान की फसल में सिचाई करने से धान का उत्पादन 3.75 टन/ हेक्टेयर से बढ़कर 4.80 टन/ हेक्टेयर तक प्राप्त हुआ तथा सिचाई जल की उत्पादकता 0.42 किग्रा / घनमीटर से बढ़कर 0.68 किग्रा/ घनमीटर प्राप्त हुई जो यह दर्शाता है कि यह उन्नत सिचाई तकनीक 27.90 प्रतिशत धान की उत्पादकता एवं 61.90 प्रतिशत जल की उत्पादकता में वृद्धि प्राप्त करने में सफल सिद्ध हुई। इसके साथ ही इस विधि से सिंचाई करने से 37.70 प्रतिशत सिंचाई जल की बचत होती है जिससे 36.70 प्रतिशत धान का अतिरिक्त क्षेत्र इस उपलब्ध जल से सिंचित किया जा सकता है।
इस विधि के अन्तर्गत धान का अधिक उत्पादन एवं सिचाई जल में बचत होने के कारण पारंपरिक सिंचाई विधि के सापेक्ष किसानों को ₹18270 प्रति हेक्टेयरप्रति किसान अतिरिक्त शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ जिससे लगभग 2.32 करोड़ अतिरिक्त लाभ चाँदपुर रजबहा के किसानों को होने का अनुमान है जिसके कारण इस तकनीक का विस्तार शारदा सहायक नहरी कमांड क्षेत्र के किसानों में बहुत अधिक हो रहा है।