पानी की कमी से जूझते किसानों के लिए 'ईएफ पॉलीमर' इन्नोवेशन: फोर्ब्स 2024 सूची में शामिल
भारत में जल संकट एक गंभीर चुनौती बन चुका है। नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 21 प्रमुख शहरों में भूजल स्तर खतरनाक रूप से कम हो चुका है, और लगभग 60 करोड़ लोग जल संकट से प्रभावित हैं। इसके अलावा, देश की 70 फीसदी से अधिक कृषि बारिश पर निर्भर है, जहां पानी की कमी फसल उपज को सीधे प्रभावित करती है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कृषि क्षेत्र वैश्विक स्तर पर उपलब्ध ताजे पानी का बड़ी मात्रा में उपयोग करता है। ऐसे समय में, जयपुर और उदयपुर आधारित स्टार्टअप EF Polymer ने एक अनूठा इनोवेशन और तकनीक विकसित की है, जो खेती में पानी की खपत को 40 फीसदी तक कम करती है, इससे किसानों की पैदावार में 15 फीसदी तक वृद्धि और आय में भी सुधार होता है। यह नवाचार एक खास जैविक पदार्थ ‘बायोडिग्रेडेबल सुपरएब्सॉर्बेंट पॉलीमर (SAP)’ पर आधारित है, जिसे फलों के छिलकों और कृषि अपशिष्ट से तैयार किया गया है। कंपनी का मुख्य प्रोडक्ट ‘फसल-अमृत' नाम से जाना जाता है।
EF Polymer: एक देसी स्टार्टअप की वैश्विक पहचान
EF Polymer की स्थापना 2017 में राजस्थान के नारायण लाल गुर्जर ने की थी। अपने परिवार की फसलों में पानी की कमी से जूझते हुए उन्हें इस नवाचार की प्रेरणा मिली। पानी की कमी के चलते अपने परिवार की फसलें सूखते देख उन्होंने ऐसा समाधान खोजा, जो टिकाऊ हो, सस्ता हो और किसानों के लिए आसान हो। इसीलिए इस स्टार्टअप को 'Forbes 30 Under 30 Asia 2024', 'Japan Ministry of Environment Award 2022' और भारत के राष्ट्रपति द्वारा 'Best Innovation Award 2018' समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। फोर्ब्स इंडिया रिपोर्ट में भी EF Polymer को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक कारगर उपाय बताया गया है।
धीरे-धीरे यह नवाचार भारत के कई राज्यों में फैल गया है और फिर जापान, अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों तक पहुंचा। आज EF Polymer 12 से ज़्यादा देशों में 20,000 से ज़्यादा किसानों तक अपनी तकनीक पहुंचा चुका है। कंपनी के अनुसार, अब तक इसकी मदद से 80 करोड़ लीटर से अधिक पानी की बचत हो चुकी है और किसानों की आय में कुल ₹5.4 करोड़ से अधिक की वृद्धि देखी गई है।
कंपनी का दावा है कि 'फसल-अमृत' की मदद से 30 से 50 फीसदी तक सिंचाई की जरूरत कम हो जाती है और फसल प्रोडक्शन में 15 से 20 फीसदी तक की बढ़त दर्ज की जाती है। यह 100 फीसदी जैविक है और एक बार मिट्टी में मिलाने के बाद अगले 6–12 महीनों तक काम करता रहता है।
क्या होता है बायोडिग्रेडेबल सुपरएब्सॉर्बेंट पॉलीमर?
यह पॉलीमर पाउडर या ग्रैन्यूल (दानेदार) के रूप में होता है, जिसे खेत की मिट्टी में मिलाया जाता है। यह अपने वजन से कई गुना ज़्यादा पानी सोखने की क्षमता रखता है। बारिश या सिंचाई का पानी जब मिट्टी में पहुंचता है, तो यह पदार्थ उसे जेल जैसी अवस्था में संरक्षित कर लेता है। बाद में जब मिट्टी सूखने लगती है, तब यह धीरे-धीरे उस संग्रहित नमी को पौधों की जड़ों तक पहुंचाता रहता है। यही नहीं, यह मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को भी रोक कर रखता है और जरूरत के अनुसार पौधों को देता है। कुछ महीनों के भीतर यह पूरी तरह जैविक खाद में बदल जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।
बायोडिग्रेडेबल सुपरएब्सॉर्बेंट पॉलीमर के लाभ -
पानी की बचत: 30-50 फीसदी तक सिंचाई की आवश्यकता कम होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर लाखों लीटर पानी बचाया जा सकता है।
पर्यावरण-अनुकूल: 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल, जो मिट्टी में विघटित होकर 10-15 फीसदी तक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है।
पोषक तत्वों का प्रबंधन: उर्वरकों का 70-80 फीसदी तक अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों को बहने से रोकता है।
कचरा प्रबंधन: हजारों टन कृषि कचरे (जैसे फलों के छिलके) का उपयोग करके पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देता है।
किफायती: प्रति हेक्टेयर 2-10 किलोग्राम पॉलीमर का उपयोग करने से किसानों की लागत 20-30 फीसदी तक कम हो सकती है।
केस स्टडी: गुजरात से लेकर जापान तक
गुजरात के साबरकांठा जिले के किसानों ने EF Polymer का इस्तेमाल कर ‘कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि’ के बाद भी बेहतर उपज दर्ज की है। राजस्थान के सूखे इलाकों में भी गेहूं और सब्जियों की पैदावार में बढ़ोत्तरी हुई है। यह इस बात का संकेत है कि यह तकनीक न केवल जल संकट से जूझ रहे इलाकों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन क्षेत्रों में भी प्रभावी है जहां अधिक या अनियमित वर्षा की समस्या है। इसके अलावा ईएफ पॉलीमर ने 12 देशों में अपनी तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जिसमें जापान, अमेरिका, और इंग्लैंड शामिल हैं। इन देशों में किसानों ने पानी की बचत और उपज में सुधार की रिपोर्ट की है।
उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जब जल संसाधनों पर दबाव बढ़ हुआ है, ऐसे में EF Polymer की यह तकनीक एक सकारात्मक इनोवेशन के रूप में सामने आई है। हालांकि इसका व्यापक असर जानने के लिए दीर्घकालिक अनुसंधान की जरूरत है, फिर भी यह कहना ग़लत नहीं होगा कि यह इनोवेशन जल संकट की चुनौती में एक नई उम्मीद जगा रहा है।
स्रोत -
सामान्य वैज्ञानिक जानकारी बायोडिग्रेडेबल SAP पर आधारित।