जल प्रबंधन जरूरी
जल प्रबंधन जरूरी

कृषि में सिंचाई प्रबंधन

नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आतिल, मदन लाल, केतन सिंचाई के लिए पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता के आधार पर सिंचाई प्रबंधन की योजना बनाना कृषि कार्यों की सफलता के लिए आवश्यक है। सिंचाई प्रबंधन का उद्देश्य फसलों को आवश्यक मात्रा में पानी प्रदान करना है, ताकि उनकी वृद्धि, विकास और उत्पादन अधिकतम हो सके।
Author:
3 min read

1. पानी की उपलब्धता और समय प्रबंधन : 

जल स्रोत की उपलब्धता 

सिंचाई प्रबंधन में सबसे पहला कदम जल स्रोत की उपलब्धता को ध्यान में रखना है। यह तय करना कि कितनी मात्रा में पानी उपलब्ध है और किस समय उपलब्ध है, सिंचाई की आवृत्ति और मात्रा को निर्धारित करता है। 

सटीक समय निर्धारण 

फसल की आवश्यकता के आधार पर सही समय पर सिंचाई करना महत्वपूर्ण है। यदि पानी सीमित मात्रा में उपलब्ध है, तो सिंचाई का समय और विधि इस तरह से तय की जाती है कि पानी का अधिकतम उपयोग हो सके और पानी की बर्बादी कम हो। 

2. सिंचाई की विधि का चयन : 

पानी की गुणवत्ता के अनुसार चयन 

पानी की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए सिंचाई की विधि का चयन किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि पानी में लवणता अधिक है, तो ड्रिप सिंचाई (टपक सिंचाई) का उपयोग किया जा सकता है, जो पानी को सीधे जड़ों तक पहुंचाता है और पानी के वाष्पीकरण से लवणता के बढ़ने की संभावना को कम करता है।

क्षेत्र के आधार पर 

पानी की उपलब्धता और मिट्टी के प्रकार के आधार पर स्प्रिंकलर, बाढ़ सिंचाई या फुर्रो सिंचाई जैसी विधियों का चयन किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि पानी समान रूप से वितरित हो और फसलों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पानी प्राप्त हो। 

3. जल गुणवत्ता का परीक्षण और सुधार : 

जल गुणवत्ता की नियमित जांच 

सिंचाई प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाए। अगर पानी में किसी भी प्रकार के हानिकारक तत्व या लवणता पाई जाती है, तो इसे सुधारने के उपाय किए जा सकते हैं। 

संशोधन और उपचार: 

खराब गुणवत्ता वाले पानी को बेहतर बनाने के लिए संशोधन और उपचार विधियां अपनाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, यदि पानी का पीएच बहुत अधिक है, तो इसे संतुलित करने के लिए रसायनों का उपयोग किया जा सकता है।

 4. जल बचाव तकनीक : 

जल संरक्षण : 

जल की बर्बादी को रोकने के लिए सिंचाई प्रबंधन में जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि मल्चिंग, मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए। इसके अलावा, फसल चक्र और शुष्क खेती जैसी विधियों का उपयोग भी पानी की आवश्यक मात्रा को कम कर सकता है। 

सटीक सिंचाई (Precision Irrigation) : 

इस तकनीक में जल की आवश्यकता और उपलब्धता के आधार पर सिंचाई की योजना बनाई जाती है। इसमें मौसम, मिट्टी की नमी और फसल के विकास चरणों के अनुसार सिंचाई की जाती है, जिससे पानी का कुशलता से उपयोग होता है। 

5 . दीर्घकालिक योजना और आपातकालीन उपाय : 

जल संकट के लिए तैयारी: 

अगर भविष्य में जल संकट की संभावना हो, तो सिंचाई प्रबंधन में दीर्घकालिक योजना बनाना जरूरी है। इसमें जल संचयन, रीसाइक्लिंग और वैकल्पिक जल स्रोतों का उपयोग शामिल है।

आपातकालीन उपाय 

अचानक जल उपलब्धता में कमी आने पर सिंचाई प्रबंधन में वैकल्पिक उपाय, जैसे कि जल संसाधनों का पुनर्वितरण या पानी का संग्रहण किया जाता है। इस प्रकार सिंचाई प्रबंधन में पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त सिंचाई विधियों का चयन, जल की बचत और फसलों की जल आवश्यकताओं के अनुरूप पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। इससे फसल उत्पादन में सुधार होता है, जल संसाधनों का संरक्षण होता है और कृषि की दीर्घकालिक स्थिरता बनाए रखी जाती है।

लेखकगण - नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आतिल २, मदन लाल 1 और केतन 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय

India Water Portal Hindi
hindi.indiawaterportal.org