बूढ़ी नहरों के भरोसे खेतों तक कैसे पहुँचेगा नीर


मॉनसून के दगा देने के बाद कर्जे में डूबे भूमि-पुत्र फिर से खेत-खलिहानों की राह पर चल पड़े हैं। रबी की बुवाई वक्त पर हो और खाने के लिये कुछ इंतजाम हो सके इसे लेकर वे फिर से गम्भीर हो गए, लेकिन संकट फिर भी कम नहीं दिख रहा। पहले मॉनसून दगा दे गया, अब नहरों की दशा उन्हें रुला रही है। चम्बल की नहरों में दस अक्टूबर से पहले पानी छोड़ा जाना है, लेकिन सीएडी प्रशासन कहीं गम्भीर नजर नहीं आ रहा। इसके चलते जिले की कई नहरों में आखिरी वक्त तक भी सफाई का काम शुरू नहीं हो पाया। नहरों की दशा देखते ही बन रही है। चम्बल सिंचित क्षेत्र विकास प्राधिकरण (काडा) की बैठक में जनप्रतिनिधियों की नाराजगी के बाद बूंदी, केशवरायपाटन व कापरेन ब्रांच में तो सफाई का काम शुरू हो गया, लेकिन इन नहरों से खेतों तक पानी ले जाने वाली वितरिकाओं के हाल बेहाल हैं। वितरिकाएं झाड़ झंखाड़ से अटी हुई है। रविवार को ‘पत्रिका टीम’ ने इन नहरों का जायजा लिया तो हकीकत सामने आ गई। पेश है पत्रिका की ग्राउंड रिपोर्ट…

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क्षतिग्रस्त नहरों का समय रहते नहीं हुआ मरम्मत कार्य


बूंदी ब्रांच केनाल की वितरिका के क्षतिग्रस्त हिस्से की समय पर मरम्मत नहीं हुई। किसानों के अनुसार अंधेड़-दौलाड़ा वितरिकाओं की क्षतिग्रस्त दीवारों व गेटों का मरम्मत कार्य समय रहते नहीं करवाया गया।

ऐसे में अब इनसे जुड़े टेल क्षेत्र में जल प्रवाह शुरू होने के बाद पानी पहुँचना सीएडी के लिये चुनौती साबित होगा। जबकि नहरों के मरम्मत कार्य करवाने को लेकर चम्बल परियोजना समिति के सभापति ने भी कई बार जल उपयोक्ता संगम अध्यक्षों की बैठकों में सीएडी प्रशासन को चेताया था, लेकिन अब नहरों में जल प्रवाह शुरू होने के कुछ दिन शेष रह गए। ऐसे में क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत का कार्य कराना सीएडी प्रशासन के लिये चुनौती का सामना करना साबित होगा।

अध्यक्ष खफा


इस मामले को लेकर जल उपयोक्ता संगम अध्यक्ष नहरों की मरम्मत का कार्य नहीं होने से सीएडी प्रशासन से खफा है। कई अध्यक्ष तो नहरों में टेल क्षेत्र में पर्याप्त पानी नहीं पहुँचने के लिये अभी से सीएडी और प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यहाँ अध्यक्षों का तर्क है कि नहरों की सफाई जुलाई माह में शुरू होनी थी, लेकिन अभियन्ताओं ने निजी स्वार्थों के चलते इस काम को प्राथमिकता से नहीं लिया। अब आखिरी वक्त पर भाग-दौड़ करने से कोई लाभ नहीं होगा। किसान समय पर पानी के लिये परेशान हो जाएगा।

सफाई का काम अप्रैल में ही शुरू होना चाहिए


अधिकारियों ने समय रहते नहरों की सफाई नहीं कराई। सफाई का काम अप्रैल में ही शुरू होना चाहिए था। अब टेल के किसानों को परेशान होना पड़ेगा। डिस्ट्रीब्यूटरी व माइनर पर तो अभी सफाई का काम ही शुरू नहीं हुआ। जबकि दस अक्टूबर से पहले पानी छोड़ा जाएगा। - कुलदीप सिंह, निर्माण समिति अध्यक्ष, बूंदी

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