स्वच्छ जल अपर्याप्त है
• पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल में स्वच्छ जल का हिस्सा केवल तीन प्रतिशत है। शेष समुद्र में उपलब्ध नमकीन या क्षारीय जल है।
• धरती पर उपलब्ध कुल स्वच्छ जल का 11 प्रतिशत भूजल के रूप में 800 मीटर की गहराई तक उपलब्ध है जिसे उपयोग के लिए निकाला जा सकता है।
• प्रकृति के इस सीमित मात्रा में उपलब्ध मूल्यवान संसाधन का नियमित उत्सर्जन एवं अति उपयोग ने, इसकी मात्रा एवं गुणवत्ता में भी कमी ला दी है।
पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीक
शहरी क्षेत्र | ग्रामीण क्षेत्र |
छत से प्राप्त वर्षाजल/वर्षाजल से उत्पन्न अप्रवाह संचित करने के लिए निम्नलिखित संरचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। | वर्षा जल संचित करने के लिए निम्नलिखित संचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है |
ग्रामीण क्षेत्रों में भू जल पुनर्भरण
ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा जल का संचयन वाटर शेड को एक इकाई के रूप लेकर करते हैं। आमतौर पर सतही फैलाव तकनीक अपनाई जाती है क्योंकि ऐसी प्रणाली के लिए जगह प्रचुरता में उपलब्ध होती है तथा पुनर्भरित जल की मात्रा भी अधिक होती है। ढलान, नदियों व नालों के माध्यम से व्यर्थ जा रहे जल को बचाने के लिए निम्नलिखित तकनीकों को अपनाया जा सकता है।
गली प्लग द्वारा वर्षा जल का संचयन
• गली प्लग का निर्माण स्थानीय पत्थर चिकनी मिट्टी व झाड़ियों का उपयोग कर वर्षा ऋतु में पहाड़ों के ढलान से छोटे कैचमैन्ट में बहते हुये नालों व जलधाराओं के आर-पार किया जाता है।
• गली प्लग मिट्टी व नमी के संरक्षण में मदद करता है।
• गली प्लग के लिए स्थान का चयन ऐसी जगह करते हैं जहां स्थानीय रूप से ढलान समाप्त होता हो ताकि बंड के पीछे पर्याप्त मात्रा में जल एकत्रित रह सके।
परिरेखा (कन्टूर) बॉंध के द्वारा वर्षा जल संचयन

• यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है जहां मानसून का अपवहित जल समान ऊँचाई वाले कन्टूर के चारों तरफ़ ढलान वाली भूमि पर बांध बना कर रोका जा सकता है।
• बहते हुए जल को कटाव वेग प्राप्त करने से पहले बंड के बीच में उचित दूरी रख कर रोक दिया जाता है।
• दो कन्टूर बंड के बीच की दूरी क्षेत्र के ढलान व मृदा की पारगम्यता पर निर्भर होती है। मृदा की पारगम्यता जितनी कम होगी कन्टूर बंड के बीच दूरी उतनी कम होगी।
• कन्टूर बंड साधारण ढलान वाली ज़मीन के लिए उपयुक्त होते हैं इनमें सीढ़ियां बनाया जाना शामिल नहीं होता।
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