जल संरक्षण

संयुक्‍त राष्‍ट्र के सहयोग से भारतीय स्‍कूलों में आयोजित जलदूत कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को एक सीमित संसाधन के रूप में पानी के महत्‍व के बारे में समझाया गया।
हरियाणा के यमुना नगर ज़िले में 1999 में हथिनीकुंड बैराज का निर्माण ब्रिटिश काल में बने पुराने ताजेवाला हेडवर्क की जगह किया गया था।
अपने दफ्तर में रोज़मर्रा के काम में मशरूफ एनएलसीओ संस्‍था के संस्थापक मंज़ूर वांगनू।
झील के बचे हुए पानी में पर्यटकों को घुमाते कबरताल के मछुआरे।
तस्वीर में मौजूद टैंक में बारिश का पानी भरा हुआ है। मंदसौर ज़िले में गुरडिया प्रताप गांव के कालूराम पाटीदार के बेटे अर्जुन पाटीदार इस पानी की मदद से वर्मी कंपोस्ट बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
यमुना में जल प्रदूषण और  भूजल स्रोतों के सूखने के कारण दिल्‍ली में जल संकट साल दर साल गहराता जा रहा है।
विशेष प्रकार की सूक्ष्‍म छिद्र युक्‍त सामग्री से निर्मित सड़कें बड़ी आसानी से पानी को सोख लती है, जिससे जलभराव नहीं होता और सड़क को पानी से नुकसान भी नहीं होता।
महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले के अलीबाग कस्बे में एक स्टेपवेल (बाबड़ी)
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