दो पावर प्लांटों के हैवी वाटर पंप, यमुना के कलेजे से खींच लेंगे सारा पानी
सरकार ने न तो यहां के किसानों से और न ही यमुना नदी के बल पर गुजारा करने वाले समुदाय से ही यह पूछने की जरूरत समझा कि यमुना नदी का पानी बेचना चाहिये या नहीं। जे.पी. ग्रुप ने पानी के लिये किससे अनुमति ली है, यह भी नहीं बताया जा रहा है। सरकार का दावा है कि इससे जनता को बिजली दी जायेगी और कंपनियों तथा इलाके में नौकरियों का विकास होगा। पर जनता समझने लगी है कि खाना-पानी छीनकर और खेती बर्बाद करके बिजली देना कौन सी समझदारी है? लोग भूखे पेट व प्यासे रहकर क्या करेंगे बिजली का? उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद जिले के बारा तहसील में जे.पी. ग्रुप का ‘प्रयाग राज पावर कारपोरेशन’ नाम से बिजली उत्पादन कारखाना लग रहा है। इस पावर प्लांट के लिए करीब 150 क्यूसेक प्रति घंटा से अधिक पानी चाहिये, जिसके लिए 6 फुट व्यास की लोहे की पाइप बिछायी जा रही है। बारा के करीब ही करछना में भी इसी ग्रुप का एक पावर प्लांट लगाने की तैयारी हो रही है। इस प्लांट के लिए इतना ही पानी यमुना से लिया जायेगा। कंपनी ने यमुना नदी से पानी लेने के लिए उचित अनुमति भी नहीं लिया है। जबकि बारा के पड़ुआ गांव में यमुना के पेटे में इस समय जेपी ग्रुप की हैवी वाटर पंप मशीन लगाने का काम तेजी के साथ हो रहा है। इस वाटर पंप के करीब 200 मीटर दूरी पर ही सिंचाई विभाग का एक पंप पहले से लगा हुआ है, जिससे करीब 30 किमी के दायरे में लाखों हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई होती है। इस सिंचाई पंप की स्थापना उस समय की गई थी, जब देश भयंकर सूखे की चपेट से जूझ रहा था और लोग अमेरिका की घटिया लाल दलिया खाने को मजबूर थे। बाद में यह सिंचाई पंप किसानों के लिए वरदान बना। अब यहां अधिकांश पहाड़ी इलाके में नहरों का जाल बिछा है, जिससे ज्यादातर ज़मीन सिंचित हो गई है। इन नहरों की वजह से जीवन के बहुत सारे काम चलते हैं। खेती से अन्न मिलता है। अन्य लाभकारी फसलें होती हैं। भूगर्भ में जल स्तर बना रहता है, प्यास बुझती है। फिर भी यमुना में पर्याप्त पानी रहता है, क्योंकि पंप जुलाई से फरवरी तक ही चलता है।
जे.पी. ग्रुप द्वारा लगाये जा रहे हैवी वाटर पंप को देखकर किसान डरे हुए हैं। यह हैवी वाटर पंप बारहों महीने यमुना से पानी उठायेंगे। बिजली उत्पादन कारखाना लगाने की बात आई तो इलाके के किसानों को यह मालूम ही नहीं था कि पावर प्लांट के लिए इतने अधिक पानी की भी जरूरत पड़ती है। पड़ुआ गांव के रहने वाले नकुल निषाद यमुना नदी में नाव चलाकर परिवार पालते हैं, इनका कहना था कि वाटर पंप लगता देख उनका पूरा समुदाय डरा-सहमा हुआ है। उन्होंने बताया कि जनपद चित्रकूट, बांदा, कौशाम्बी व इलाहाबाद में यमुना के तट पर एक लाख से अधिक मछुआरों, नाविकों का परिवार बसा हुआ है। यमुना में नाव चलाना, मछली पकड़ना व गर्मी की ऋतु में ककड़ी, खीरे व सब्जी की खेती करना इनका पुश्तैनी काम है। इसी से इनके परिवार का खूब अच्छी तरीके से गुजारा होता है। गुजारा ही क्यों, आशियाना बनाने, बच्चों की पढ़ाई व लड़की-लड़कों की शादी के लिए भी यमुना नदी इनके लिए वरदान है।

अखिल भारतीय किसान सभा पावर प्लांटों को गंगा-यमुना नदियों से पानी देने के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। इस बाबत कामरेड डॉ. आशीष मित्तल कहते हैं-सरकार पूरे इलाके की खेती, नदी का पानी, आम लोगों का जीवन क्यों बर्बाद करने पर उतारू है, क्योंकि इस धंधे में ज़मीन, नदी व अन्य प्राकृतिक संसाधन हड़पकर, शहरीकरण, ज़मीन के व्यापार में कंपनियों, दलालों व बिचौलियों की मोटी कमाई है। वह कहते हैं कि यमुना नदी में लगाये जा रहे वाटर पंप की पाइपों के व्यास को देखकर इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पावर प्लांट को कितनी मात्रा में पानी चाहिये। मजे की बात यह है कि अभी तक किसान इस बात से अनभिज्ञ थे। अब पानी की मोटी पाइपों को देखकर उनमें हलचल मची हुई है। उन्हें यह लगने लगा है कि यमुना नदी को सुखाकर, सिंचाई नहरें व शहर का पेयजल सुखाने, नदी किनारे रह रहे निषाद, केवटों व अन्य गरीब बिरादरियों के पारम्परिक जीवन, खेती, मछली, बालू निकासी व उतरवाई के काम को नष्ट करने की बहुत बड़ी साज़िश हुई है।

यमुना नदी के किनारे बसे गांव कटरी डेढ़ावल निवासी मोहन लाल बताते हैं कि उनके गांव के समीप (मउ चित्रकूट) यमुना अभी से सूखने की कगार पर हैं। यहां पर बमुश्किल कमर तक पानी होगा। जे.पी. ग्रुप के वाटर पंप लगने की बात पर वह आश्चर्य में पड़ जाते हैं, कहते हैं कि होइ गवा तब तो होइ चुकी सिंचाई। मोहन लाल ने ही बताया कि कौशाम्बी जनपद के चम्पहा बभोसा में भी यमुना नदी पर एक सिंचाई पंप स्थापित है। जे.पी. ग्रुप के वाटर पंप के कारण यह सिंचाई पंप भी बंद हो सकता है। कुल मिलाकर किसानों का ही नुकसान होगा। सिंचाई विभाग के एक रिटायर्ड इंजीनियर डीके त्रिपाठी ने बताया कि जहां पर जे.पी. ग्रुप हैवी वाटर पंप लगा रहा है, उसके नीचे यानि डाउन फ्लो पर करीब आधा दर्जन छोटे सिंचाई पंप यमुना नदी में पहले से ही स्थापित हैं, जिनसे लाखों हेक्टेयर खेतों की सिंचाई की जा रही है। अब यह सारे पंपों के ड्राई होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।


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