pankaj chaturvedi
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धारवाड़, हुबली, मैसूर: हर जगह का एक ही दर्द

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शहर से ढाई किलोमीटर दूर स्थित इस तालाब का क्षेत्रफल 250 एकड़ व कैचमेंट एरिया 4651 वर्ग किलोमीटर है। जब से भूगर्भ के पानी को निकालने का दौर चला, उनकल झील सरकार और समाज दोनो की उपेक्षा की शिकार हो गई। इसके बड़े हिस्से पर अवैध कब्जे कर कालेानियां बना ली गईं तो एक स्थानीय क्लब ने तालाब के एक तरफ बाल-उद्यान के नाम पर कब्जा कर लिया। अभी तीन दशक पहले तक दस लाख गैलन पानी सप्लाई करने वाले इस ऐतिहासिक तालाब के पानी को अब इंसान के इस्तेमाल के अयोग्य घोषित कर दिया गया है। आज यहां कूड़ा व गंदगी डाली जा रही है।

‘नंदन तिलुुकोंडू बिट्टिदे’ यानि ‘स्वर्ग का एक हिस्सा यहां है’।

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