कृषि-आधारित उद्योग अर्थव्यवस्था के विकास के लिए काफी अहम हैं। चूंकि ज्यादातर कृषि-आधारित उद्योग लघु, छोटे और मध्यम श्रेणी के हैं, और मुमकिन है कि उनके पास सस्ते या सब्सिडी वाले आयात से प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता नहीं हो। ऐसे में सरकार की भूमिका काफी अहम हो जाती है। अन्य देशों के निर्यातकों की अनुचित व्यापार गतिविधियों के कारण सरकार को कृषि-आधारित उद्योगों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की जरूरत है।
कृषि-आधारित उद्योग, अर्थव्यवस्था के प्राथमिक और सहायक क्षेत्रों के बीच पारस्परिक निर्भरता का बेहतर उदाहरण है। जाहिर तौर पर यह निर्भरता दोनों क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है। यह साबित हो चुका है कि भारत में कृषि-आधारित उद्योग स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर गरीबी और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में काफी मददगार हैं। हालांकि, अन्य देशों से खराब गुणवत्ता वाले आयात के कारण अक्सर इन उद्योगों की प्रतिस्पर्धा क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इन उद्योगों को अलग-अलग देशों के व्यापार प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ता है। इस लेख में व्यापार सम्बन्धी उन दिक्कतों के बारे में बताया गया है, जिनका सामना इन उद्योगों को करना पड़ता है।
कृषि आधारित उद्योग
जैसाकि नाम से ही पता चलता है, कृषि-आधारित उद्योग को कृषि उत्पादों के रूप में कच्चा माल मिलता है। इस तरह के उद्योगों का दायरा कई क्षेत्रों में फैला है-मसलन खाद्य प्रसंस्करण, रबर के उत्पाद, जूट, कपास, वस्त्र, तम्बाकू, लकड़ी आदि। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के उद्योग सम्बन्धी आंकड़ों के अनुसार, ऐसे उद्योगों से जुड़ी कई इकाइयां हैं और इनमें बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं। (सारणी-1) मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 43.6 प्रतिशत फैक्ट्रियां कृषि-आधारित उद्योगों से सम्बन्धित है। तकरीबन इसी अनुपात में (42.7 प्रतिशत) लोग कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े हैं। जैसा कि सारिणी-1 से स्पष्ट है, न तो स्थाई पूंजी और न ही आमदनी के मामले में इन उद्योगों की बड़ी हिस्सेदारी है। इन उद्योगों में सबसे ज्यादा फैक्ट्रियां खाद्य उत्पादों, वस्त्र और रबड़ उत्पादों से जुड़ी हैं। जहाँ तक रोजगार का सवाल है, तो खाद्य उत्पाद, वस्त्र और परिधान जैसे क्षेत्रों की कम्पनियां इसमें अग्रणी हैं।
डी.जी.सी.आई.एंड.एस. के आंकड़ों की माने, तो देश के कुल निर्यात में सूक्ष्म, लघु और मध्यम-स्तर के उद्योगों की हिस्सेदारी तकरीबन 20 फीसदी है और पिछले 4 साल में निर्यात 5,600 करोड़ डॉलर से 5,900 करोड़ डॉलर के बीच रहा है (सारणी-2)। इनमें वस्त्र, रेडीमेड कपड़े आदि के निर्यात की हिस्सेदारी ज्यादा है।
सरकारी हस्तक्षेप
कृषि-आधारित उद्योगों में रोजगार पैदा करने की जबर्दस्त सम्भावनाएं हैं। साथ ही, ये उद्योग विदेशी मुद्रा की कमाई का भी अहम जरिया हैं। जाहिर तौर पर इन उद्योगों के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए इन उद्योगों को अवसर प्रदान करने की खातिर कभी-कभी सरकार के लिए हस्तक्षेप या पहल करना जरूरी हो जाता है। उदाहरण के तौर पर इन उद्योगों को क्लस्टर या समूह के रूप में संगठित करना, कौशल और तकनीकी विकास के लिए जरूरी पहल, वित्तीय मदद की सुविधा, बाजार की चुनौतियों से निपटना, मार्केटिंग इकाइयों का नवीनीकरम, कारीगरों के उत्पादों का प्रदर्शन, प्रदर्शनी आयोजित करना, अन्तरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में भागीदारी को बढ़ावा देना आदि। इसके अलावा, सरकार का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर भी है कि ऐसे उद्योग अन्य देशों के निर्यातकों के अनुचित व्यापार नियमों के शिकार न बनें।
अनुचित व्यापार नियम
अन्य देशों के निर्यातकों की तरह से अपनाए गए अनुचित व्यापार नियमों के कारण कृषि-आधारित उद्योगों की प्रतिस्पर्धा क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इस तरह का प्रचलन दो स्वरूपों में देखने को मिलता है।
सारिणी-1 एएसआई 2017-18 (पी) में प्रमुख औद्योगिक समूह से जुड़ी मुख्य जानकारी | ||||
विवरण |
फैक्ट्रियां |
स्थायी पूंजी |
काम करने वाले कुल लोग |
कुल मेहनताना |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
खाद्य उत्पाद |
37,833 |
2,11,19,573 |
17,72,399 |
34,21,585 |
टेक्सटाइल |
17,957 |
1,66,68,852 |
16,78,561 |
31,31,708 |
रबड़ उत्पाद |
14,193 |
95,92,433 |
7,12,872 |
18,01,918 |
परिधान |
10,498 |
28,57,883 |
11,89,520 |
20,99,762 |
कागज और इससे बने उत्पाद |
7,109 |
58,59,566 |
2,84,057 |
6,81,274 |
तम्बाकू उत्पाद |
3,591 |
6,08,951 |
4,61,335 |
2,94,121 |
चमड़ा और इससे बने उत्पाद |
4,617 |
11,23,972 |
3,87,134 |
6,84,473 |
कपास से रूई तैयार करना, बीज प्रसंस्करण |
3,316 |
4,73,207 |
79,471 |