नदी जोड़ की आवश्यकता और कुशल जल प्रबंधन

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प्रतिमत

भारत जल और भूमि संसाधनों से सम्पन्न देश है। विश्व में भारत की भूमि 2.5 प्रतिशत है, जल संसाधन वैश्विक उपलब्धता का 4 प्रतिशत है और जनसंख्या 17 प्रतिशत है। उपलब्ध क्षेत्र 165 मिलियन हेक्टेयर है जो दुनिया में दूसरा सबसे अधिक क्षेत्र है, उसी तरह जैसे भारत का स्थान जनसंख्या के मामले में भी दुनिया में दूसरा है। नब्बे के दशक में भारत में 65 प्रतिशत किसान और कृषि मजदूर थे जिससे स्पष्ट होता है कि हमारा देश कृषि यानि जमीन और पानी पर निर्भर रहा है। इसलिए इस बात को शुरुआत से ही माना जाता रहा है कि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये जल संसाधनों का विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है



भारत में जल संसाधन प्रचुर मात्रा में है लेकिन देश के कई राज्यों में पानी की समस्या बहुत गम्भीर है। इस साल यानि 2016 में देश के 10 राज्य जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि पानी की समस्या और कमी से जूझ रहे हैं। लगभग 32 करोड़ लोगों को पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। एक वैज्ञानिक के तौर पर पिछले 60 वर्षों से अधिक समय से इस क्षेत्र में काम करते हुए मैं 30-40 वर्षों से यह चेतावनी देता रहा हूँ कि देश में पानी की समस्या प्रकृति जनित नहीं, मनुष्य जनित है। भारत में 1150 मि.मी. वार्षिक वर्षा होती है, जबकि विश्व का औसत 840 मि.मी. का है और इजरायल में तो केवल 400 मि.मी. वार्षिक वर्षा होती है। इजरायल सफलतापूर्वक पानी का प्रबंधन कर रहा है जबकि भारत के चेरापूँजी में जहाँ 11,000 मि.मी. वर्षा होती है, हर साल मानसून की शुरुआत से पहले दो-तीन महीने पानी की समस्या बनी रहती है।

पानी सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है और उसकी उपलब्धता लोगों के स्वास्थ्य और किसी क्षेत्र विशेष के विकास को बहुत हद तक प्रभावित करती है। मानक परिभाषा के अनुसार 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से 1700 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता स्थानीय कमी से होती है। 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से नीचे होने पर जल आपूर्ति स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और मानव कल्याण को बाधित करती है। 500 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से कम पानी की आपूर्ति जीवन के लिये बाधक है और ऐसा होने पर किसी भी देश को पानी की अत्यन्त कमी झेलनी पड़ती है। विश्व बैंक और अन्य एजेंसियों द्वारा 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष को पानी की कमी के एक सामान्य सूचक के रूप में स्वीकार किया जाता है।

जल संसाधन

तालिका 1 : न्यून प्रवाह, उपयोग योग्य सतही और भूमिगत जल संसाधन-बेसिन वार

 

न्यून प्रवाह

उपयोज्य प्रवाह

पुनर्भरणीय

***उपयोज्य

सतही जल

सतही जल

भूजल

भूजल

1

सिंधु

73.31

46.0

26.50

24.3

2क

गंगा

525.02

250.0

171.00

156.8

2ख

ब्रह्मपुत्र

*629.05

24.0

26.55

24.4

2ग

बराक

48.36

-

8.52

7.8

3

गोदावरी

110.54

76.3

40.64

37.2

4

कृष्णा

**69.81

58.0

26.40

24.2

5

कावेरी

21.36

19.0

12.30

11.30

6

सुवर्णरेखा

12.37

6.8

1.82

1.7

7

ब्रह्मपुत्र- बरतमी

28.48

18.3

4.05

3.7

8

महानदी

66.88

50.0

16.50

15.1

9

पेन्नार

6.32

6.9

4.93

4.5

10

मणि

11.02

3.1

7.20

6.6

11

साबरमती

3.81

1.9

-

-

12

नर्मदा

45.64

34.5

10.80

9.9

13

ताप्ति-ताद्रि के बीच #

87.41

11.9

17.70

16.20

14

ताद्रि-कन्याकुमारी के बीच #

113.53

24.3

-

-

15

महानदी-पेन्नार के बीच ##

22.52

13.1

11.22

10.3

16

कच्छ और सौराष्ट्र एवं लूनी के बीच #

16.46

16.7

18.80

17.20

17

कच्छ और सौराष्ट्र एवं लूनी के बीच

15.10

15.0

0

0

18

राजस्थान में अंतर्देशीय जल निकासी

0.00

-

-

-

19

बांग्लादेश और म्यामांर में छोटी नदियाँ

31.0

-

18.12

16.8

 

कुल

1937.99

675.8

423.05

388.0

स्रोतः सीडब्ल्यूसी, पब्लिकेशंस 6/93-रीएसेसमेंट ऑफ वॉटर रिसोर्सेज पोटेंशियल ऑफ इंडिया, ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेज ऑफ इंडिया सीजीडब्ल्यूडी-1995

#पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ ##पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ

*ब्रह्मपुत्र से मिलने वाली 9 सहायक नदियों के प्रवाह के साथ 91.81 अरब घन मीटर का अतिरिक्त योगदान शामिल

**केडब्ल्यूटी अवॉर्ड द्वारा स्वीकृत उपज श्रृंखलाओं के न्यून प्रवाह पर आधारित आकलन। विजयवाड़ा में रन ऑफ डेटा से विश्लेषित सीडब्ल्यूसी का आँकड़ा 78.12 अरब घन मीटर है।

*वार्षिक पुनर्भरणीयता से सानुपातिक आधार पर अभिकलित

10 अरब घन मीटर = 1 मिलियन हेक्टेयर मीटर

सकल उपलब्ध पानी और उपयोग करने योग्य पानी का मूल्यांकन

नदी प्रवाह (सतही जल) + भूजल = 195,290 + 43,200 = 238,490 लाख हेक्टेयर मीटर

मूल्यांकित उपयोग के योग्य पानी = 69,000 + 39,560 = 1,08,600 लाख हेक्टेयर मीटर

1991-2050 तक भारत की जनसंख्या के आधार पर (संभावित) पानी की सकल उपलब्धता और प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष जल संसाधनों के उपयोग को तालिका 2 में दिखाया गया है।

प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति उपयोग योग्य जल संसाधन नर्मदा बेसिन में 3020 घन मीटर और साबरमती बेसिन में लगभग 180 घन मीटर है। 1991 में जब देश की जनसंख्या 85 करोड़ 10 लाख थी, 20 बेसिनों में से 4 बेसिन में 1700 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से अधिक उपयोग योग्य जल संसाधन था जबकि 9 बेसिनों में 1000-1700 घन मीटर, 5 बेसिनों में 500-1000 घन मीटर के बीच और 2 बेसिनों में 500 घन मीटर से कम जल संसाधन थे। 2050 में जनसंख्या के 165 करोड़ लाख तक पहुँचने की उम्मीद है और देश में 550-600 मीट्रिक टन खाद्यान्न की जरूरत होगी जिसमें भंडारण और परिवहन में नुकसान, बीजों की जरूरत और कई सालों से मानसून की विफलता के कारण होने वाला कैरी ओवर भी शामिल है (15 प्रतिशत भत्ता आदि)।

तालिका 2: भारत में उपलब्ध और उपयोग योग्य जल प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष (घन मीटर में) (1991 से 2050)

वर्ष

जनसंख्या (मिलियन)

उपलब्ध जल*

उपयोग्य जल**

टिप्पणियाँ

1991

850

2830

1290

500 घन मीटर=अत्यंत कमी

2001

1030

2316

1055

1000=कमी और दबाव

2011

1210

1970

910

1700=कमी स्थानीय होगी और दुर्लभ

2025

1350-1400 अनुमानित

1700

780

>1700 घन मीटर- जल - समस्या नहीं

2050

1650 अनुमानित

1445

680

एमएचएम = मिलियन हेक्टेयर मीटर

*283.5 मिलियन हेक्टेयर मीटर प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष घन मीटर

**108.60 मिलियन हेक्टेयर मीटर प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष घन मीटर

1995 तक बड़ी और मध्यम परियोजनाओं के जरिये विभिन्न बेसिनों में कुल जल भंडारण 173.7 लाख हेक्टेयर मीटर था। निर्माणाधीन चिन्हित बड़ी और मध्यम परियोजनाओं के तहत भंडारण क्रमशः 75.4 लाख हेक्टेयर मीटर और 132.3 लाख हेक्टेयर मीटर था। कुल भंडारण 381.5 लाख हेक्टेयर मीटर था। टैंक/तालाबों सहित छोटी भंडारण संरचनाओं (लगभग 4 मिलियन हेक्टेयर मीटर) को मिला दिया जाए तो कुल भंडारण क्षमता लगभग 420 लाख हेक्टेयर मीटर थी। 121 करोड़ लाख की आबादी को देखते हुए इस भंडारण क्षमता के साथ देश में प्रति व्यक्ति उपलब्धता 350 घन मीटर होती है। अमेरिका में यह आँकड़ा 5961 घन मीटर और चीन में 2486 घन मीटर है। इस सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि विश्व में 45000 बाँध हैं जिनमें से 46 प्रतिशत चीन में हैं और 14 प्रतिशत अमेरिका में। भारत में सिर्फ 9 प्रतिशत बाँध हैं, जबकि जापान में 6 प्रतिशत और स्पेन में 3 प्रतिशत। इन आँकड़ों से यह संकेत मिलता है कि जनसंख्या को देखते हुए भारत की जल भंडारण क्षमता और बाँध, दुनिया के विभिन्न देशों की अपेक्षा बहुत कम है।

तालिका 1 और 2 में दिए गए आँकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2050 में 165 करोड़ लाख की आबादी के साथ देश के समूचे सतही और भूमिगत जल, जोकि 23 करोड़ 85 लाख हेक्टेयर मीटर है, तुलना की जाए तो जल की प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति उपलब्धता 1450 घन मीटर होगी जोकि 1700 घनमीटर से कम है। इससे पानी की कमी का संकेत मिलता है और विश्व बैंक/संयुक्त राष्ट्र मानदंडों के अनुसार देश को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। अगर वर्ष 2050 में अनुमानित 16,500 लाख की आबादी के लिहाज से उपयोग योग्य जल पर विचार किया जाये (10 करोड़ 86 लाख हेक्टेयर मीटर) तो प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 680 घन मीटर होगी जोकि 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष है। इससे यह पता चलता है कि देश में पानी की बहुत अधिक कमी होगी, साथ ही देश के खाद्य उत्पादन और आर्थिक विकास पर गंभीर खतरा होगा।

नदियों को आपस में जोड़ना

प्रायद्वीपीय नदियों को आपस में जोड़ना

कर्नाटक में पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों को पूर्व की ओर मोड़ना

तालिका 3: कर्नाटक में पश्चिमोन्मुखी नदियों की वार्षिक प्राप्ति

उपबेसिन

जलग्रहण क्षेत्रफल

औसत प्राप्ति (एमसीएम)

काली नदी

412

934

श्रावती

3592

8816

चक्र नदी

336

991

नेत्रावती

3222

9939

वराही

759

2263

महादेवी

412

934

बेथी

3574

5040

बेथी-अघनाशिनी*

401

906

अघनाशिनी

1330

3028

श्रावती-चक्र*

1042

3066

वराही-नेत्रावती*

3067

9457

नेत्रावती-बारापोल*

1320

4474

बारापोल

560

1274

कुल

57489 एमसीएम और 2000 टीएमसी

स्रोतः जल संसाधन विकास संगठन, कर्नाटक सरकार, बेंगलुरु

*दोनों नदियों के बीच स्वतंत्र जल ग्रहण क्षेत्र, #वर्ग किलोमीटर, एमसीएम = मिलियन क्यूबिक मीटर

अगर उपरोक्त पाँचों परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जाता है तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी की पानी और ऊर्जा की समस्या को हल किया जा सकता है और हम सभी आराम से रह सकते हैं।

गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों को मोड़ना (हिमालयी नदी विकास)

कुशल जल प्रबंधन

लेखक परिचय

लेखक अन्तरराष्ट्रीय जल संसाधन सलाहकार तथा तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में जल प्रौद्योगिकी केंद्र के पूर्व निदेशक हैं। वह तमिलनाडु राज्य योजना आयोग के सदस्य भी रहे हैं। ईमेल : sivanappanrk@hotmail.com

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