प्रतिमत
भारत जल और भूमि संसाधनों से सम्पन्न देश है। विश्व में भारत की भूमि 2.5 प्रतिशत है, जल संसाधन वैश्विक उपलब्धता का 4 प्रतिशत है और जनसंख्या 17 प्रतिशत है। उपलब्ध क्षेत्र 165 मिलियन हेक्टेयर है जो दुनिया में दूसरा सबसे अधिक क्षेत्र है, उसी तरह जैसे भारत का स्थान जनसंख्या के मामले में भी दुनिया में दूसरा है। नब्बे के दशक में भारत में 65 प्रतिशत किसान और कृषि मजदूर थे जिससे स्पष्ट होता है कि हमारा देश कृषि यानि जमीन और पानी पर निर्भर रहा है। इसलिए इस बात को शुरुआत से ही माना जाता रहा है कि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये जल संसाधनों का विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है

पानी सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है और उसकी उपलब्धता लोगों के स्वास्थ्य और किसी क्षेत्र विशेष के विकास को बहुत हद तक प्रभावित करती है। मानक परिभाषा के अनुसार 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से 1700 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता स्थानीय कमी से होती है। 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से नीचे होने पर जल आपूर्ति स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और मानव कल्याण को बाधित करती है। 500 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष से कम पानी की आपूर्ति जीवन के लिये बाधक है और ऐसा होने पर किसी भी देश को पानी की अत्यन्त कमी झेलनी पड़ती है। विश्व बैंक और अन्य एजेंसियों द्वारा 1000 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष को पानी की कमी के एक सामान्य सूचक के रूप में स्वीकार किया जाता है।
जल संसाधन
दुनिया में जल संसाधन प्रचुर मात्रा में है। अगर विश्व की आबादी बढ़कर 25 अरब हो जाएगी (यानि तीन से चार गुना) तो भी उपलब्ध पानी पर्याप्त होगा। भारत में कुल उपलब्ध पानी 16500 लाख की आबादी के लिये पर्याप्त है (1500 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष)।
देश में जल संसाधनों का आकलन करने की बुनियादी हाइड्रोलॉजिकल इकाई नदी घाटियाँ (बेसिन) हैं। पूरा देश 20 बेसिनों में विभाजित किया गया है। हमारे यहाँ 20,000 वर्ग किलोमीटर के जलग्रहण क्षेत्र वाले 12 प्रमुख बेसिन हैं और शेष 8 बेसिन मध्यम आकार वाले और छोटे हैं।
एकीकृत जल संसाधन विकास योजना के लिये राष्ट्रीय आयोग ने 1999 में 19 करोड़ हेक्टेयर मीटर जल संसाधनों का आकलन किया था। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार सभी 20 बेसिनों में इस्तेमाल जल संसाधनों की मात्रा 690 लाख हेक्टेयर मीटर है जो कुल सतही जल का 35 प्रतिशत है। इतना पानी 760 लाख हेक्टेयर के फसल क्षेत्र की सिंचाई जरूरतों को पूरा कर सकता है। राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा प्रस्तावित अंतर बेसिन हस्तांतरण में 250 लाख हेक्टेयर मीटर पानी के अतिरिक्त उपयोग की परिकल्पना की गई। इसके अलावा एक प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार, 400 लाख हेक्टेयर मीटर भूमिगत जल के कृत्रिम रीचार्ज से 160 लाख हेक्टेयर मीटर जल संसाधनों का अतिरिक्त उपयोग किया जा सकता है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने वर्ष 1994-95 के लिये पुनर्भरणीय भूजल संसाधनों को 432 लाख हेक्टेयर मीटर बताया था जोकि बोर्ड का नवीनतम आकलन है। उपयोग करने योग्य भूजल को 395.6 लाख हेक्टेयर मीटर बताया गया है (70 लाख हेक्टेयर मीटर घरेलू, औद्योगिक उपयोग के लिये और 325.6 लाख हेक्टेयर मीटर सिंचाई के लिये) जोकि 640 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई कर सकता है। कुल सिंचाई 1400 लाख हेक्टेयर (सतही जल = 760 लाख हेक्टेयर और भूमिगत जल = 640 लाख हेक्टेयर) है। विभिन्न जल संसाधनों की बेसिन आधारित जानकारी और उनके उपयोग के घटकों की सूचना तालिका 1 में दी गई है।
तालिका 1 : न्यून प्रवाह, उपयोग योग्य सतही और भूमिगत जल संसाधन-बेसिन वार | |||||
न्यून प्रवाह | उपयोज्य प्रवाह | पुनर्भरणीय | ***उपयोज्य | ||
सतही जल | सतही जल | भूजल | भूजल | ||
1 | सिंधु | 73.31 | 46.0 | 26.50 | 24.3 |
2क | गंगा | 525.02 | 250.0 | 171.00 | 156.8 |
2ख | ब्रह्मपुत्र | *629.05 | 24.0 | 26.55 | 24.4 |
2ग | बराक | 48.36 | - | 8.52 | 7.8 |
3 | गोदावरी | 110.54 | 76.3 | 40.64 | 37.2 |
4 | कृष्णा | **69.81 | 58.0 | 26.40 | 24.2 |
5 | कावेरी | 21.36 | 19.0 | 12.30 | 11.30 |
6 | सुवर्णरेखा | 12.37 | 6.8 | 1.82 | 1.7 |
7 | ब्रह्मपुत्र- बरतमी | 28.48 | 18.3 | 4.05 | 3.7 |
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