रासायनिक दुर्घटनाएँ: समाधान, राहत व प्रबन्धन
वैश्वीकरण, उदारीकरण व निजीकरण के इस युग में समूचा विश्व प्रगति पथ पर बढ़ रहा है। 21वीं सदी में उद्योगों का बोलबाला है। हर छोटी-बड़ी आवश्यकता की पूर्ति के लिये सामग्री का उत्पादन उद्योगों में ही होता है, लेकिन उद्योगों का केन्द्रबिन्दु विभिन्न रसायन हैं। जो निजी व सरकारी क्षेत्रों में आपदा का कारण बन रहे हैं। इन रसायनों का प्रबन्धन सरकार के लिये बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। रासायनिक दुर्घटनाएँ मानवजनित आपदाओं का ही उदाहरण हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक रासायनिक दुर्घटनाएँ रसायनों का अनियन्त्रित बहाव हैं, जो वर्तमान में घातक हैं अथवा भविष्य में घातक हो सकते हैं। ऐसी घटनाएँ अकस्मात या फिर जानकारी के बाद भी हो सकती हैं। देश में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। यूनियन कार्बाइड कम्पनी की लापरवाही के परिणामस्वरूप विषैली गैस मिथाइल आइसोसाइनाइड के रिसाव ने देखते ही देखते 2500 से अधिक निर्दोष जिन्दगियों को लील लिया। इस घटना की भयावहता के जख्म आज भी भोपाल की आबोहवा में तैर रहे हैं।
रासायनिक दुर्घटनाएँ न केवल मनुष्यों को, बल्कि इनके साथ प्रकृति व सम्पत्ति को भी प्रभावित करती हैं। वर्तमान वैज्ञानिक युग में जिस कदर उद्योगों में घातक रसायनों का प्रयोग बढ़ा है, उससे यहाँ कार्य करने वाले लाखों कर्मियों पर जान का खतरा मंडरा रहा है। साथ ही आस-पास की मानवीय बस्तियाँ और प्रकृति भी दुर्घटनाओं की जद में आ गई हैं। औद्योगिक इकाइयों में इस्तेमाल आने वाले विस्फोटक रसायनों का भंडारण व परिवहन पर्यावरण में इनके रिसाव की आशंका को बढ़ाता है। इकाइयों में हुई जरा सी चूक बड़ी रासायनिक आपदा को सहज ही आमन्त्रण देती है। थोड़ी सी सूझबूझ और सम्पूर्ण जानकारी की मदद से घातक रासायनिक दुर्घटनाओं से विश्व को बचाया जा सकता है। अब जब हम यह दृढ़ संकल्प कर चुके हैं, कि रासायनिक घटनाओं से संसार को बचाना है तो इन घटनाओं के प्रमुख कारक, स्रोत व इनके निवारण को जानना भी जरूरी हो गया है। साथ ही इस दिशा में भारत सरकार एवं विश्व द्वारा की गई पहल से भी साक्षात्कार करते हैं।
रासायनिक आपदा के कारक
प्राकृतिक आपदा से रासायनिक दुर्घटनाएँ
रासायनिक जोखिमों को दूर करने के लिये भारत में किए गए सुरक्षा उपाय
जागरूकता
तालिका 1 : भारत में घटी प्रमुख रासायनिक घटनाएँ 2002-2006 | |||
इकाई का नाम | तिथि | कारण | क्षति |
जीएसीएल, वड़ोदरा, गुजरात | 5.9.2002 | क्लोरीन का विस्फोट | 4 मौतें, 20 घायल |
आईपीसीएल, गंधार, गुजरात | 20.12.2002 | क्लोरीन का रिसाव | 18 कर्मचारी, 300 ग्रामीण घायल |
आईओसी रिफाइनरी, डिगबोई, असम | 7.3.2003 | स्प्रिट टैंक में आग लगना | 11 करोड़ रुपये के धन की हानि |
रेनबेक्सी लेबोरेटरी लिमिटेड, मोहाली, पंजाब | 11.6.2003 | टोलोइन का रिसाव | 2 मौतें, 19 घायल |
बीपीसीएल बॉटलिंग प्लान्ट, धार, मध्य प्रदेश | 5.10.2003 | टैंक से एलपीजी का रिसाव | शून्य |
ओरिएंट पेपर मिल अमला, शहडोल (मध्य प्रदेश) | 13.10.2003 | द्रव्य क्लोरीन का रिसाव | 88 कर्मी घायल |
आईडीएल गल्फ ऑइल, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश | 25.11.2003 | विस्फोट | 8 मौतें, 05 घायल, 01 गुमशुदा |
अनिल एंटरप्राइजेज, जखीरा, रोहतक, हरियाणा | 28.4.2004 | एलपीजी में आग लगना | 6 मौतें, 2 घायल |
एचआईएल उद्योग, मण्डल, केरल | 6.7.2004 | टोलोइन गैस में आग लगना | शून्य |
श्यामलाल इंडस्ट्रीज, अहमदाबाद, गुजरात | 12.4.2004 | बेंजीन के टैंकर में आग लगने से | शून्य |
केमिकल कारखाना, महाराष्ट्र | 31.3.2004 | हैग्जेन गैस के रिसाव से आग लगना | 1 मौत, 8 घायल |
कैम्पलास्ट, मेट्टूर, तमिलनाडु | 18.7.2004 | क्लोरीन का रिसाव | 27 घायल |
गुजरात रिफाइनरी, वड़ोदरा | 29.10.2004 | घोल आबादकार में विस्फोट | 2 मौतें, 13 घायल |
रेनबैक्सी लैब, मोहाली, पंजाब | 3.10.2004 | शुष्क कक्ष में आग | 1 मौत, 2 घायल |
मैटिक लैब यूनिट, वन, आंध्रप्रदेश | 5.3.2005 | सोडियम हाइड्राइड का रिसाव | 8 मौतें |
कोरोमान्डल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड एन्नोर, तमिलनाडु | 22.7.2005 | अमोनिया का रिसाव | 5 घायल |
गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड | 4.10.2005 | विस्फोट | 2 मौतें, 2 घायल |
ऑर्किड केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड, तमिलनाडु | 3.11.2005 | आग व विस्फोट | 2 मौतें, 4 घायल |
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, मथुरा (उत्तर प्रदेश) | 29.12.2005 | आग | 1 मौत |
कनौरिया केमिकल्स, सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) | 29.3.2006 | क्लोरीन रिसाव | 6 मौतें, 23 घायल |
अंजना एक्सप्लोसिव लिमिटेड, आंध्रप्रदेश | 18.7.2006 | घातक रसायनों का रिसाव | 5 मौतें |
रवि ऑर्गेनिक्स लिमिटेड मुजफ्फरनगर, (उत्तर प्रदेश) | 19.9.2006 | गैस का रिसाव | 1 मौत |
रिलायंस इंडस्ट्रीज रिफाइनरी जामनगर, गुजरात | 25.10.2006 | तेल की गर्म भाप के रिसाव से विस्फोट | 2 मौतें |
यूनियन कार्बाइड कम्पनी, भोपाल मध्य प्रदेश | 3.12.1984 | मिथाइल आइसोसाइनाइड का रिसाव | 2500 से अधिक मौतें |
स्रोत : नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की अप्रैल 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट |
रासायनिक आपदाओं के दुष्प्रभाव
रासायनिक दुर्घटनाओं पर नियन्त्रण के लिये अन्तरराष्ट्रीय प्रयास
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन
प्रोजेक्ट अपील
आईएसडीआर
पायलट प्रोजेक्ट ट्रांस अपील
एसएआईसीएम समझौता
सन्दर्भ
1. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, की मार्च 2009 की केमिकल डिजास्टर मैनेजमेंट वर्कशॉप की प्रोसीडिंग
2. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट, अथॉरिटी ऑफ इंडिया की अप्रैल 2007 में प्रकाशित केमिकल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइंस ऑन केमिकल डिजास्टर्स
3. इंडिया वाटर पोर्टल
4. नवसंचार समाचार डॉट कॉम में 13 मई 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट
5. एनएससी डॉट ओआरजी डॉट इन
6. एनडीएमए डॉट जीओबी डॉट इन
लेखक परिचय
लेखिका रसायन विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य करती रही हैं। ऊर्जा क्षेत्र से सम्बन्धित विषयों पर नियमित लेखन। ईमेल: agarwalseema803@gmail.com