सिंचाई के अभाव में अब नहीं सूखने दिए जाएंगे बुन्देलखण्ड के खेत

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उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह से ‘दैनिक भास्कर’ की विशेष बातचीत

लखनऊ। प्रदेश के किसानों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराया जाना योगी आदित्यनाथ सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। तीन साल पूरी कर चुकी केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार ने किसानों को खाद-बिजली के अलावा सिंचाई आदि के संबंध में जो सुविधाएँ मुहैया कराई हैं, उन्हीं को आगे बढ़ाते हुए राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने संकल्प लिया है कि आने वाले दिनों में किसानों की फसल सिंचाई के अभाव में सूखने नहीं दी जाएगी। कर्जमाफी के बाद किसानों को सिंचाई सुविधाएँ बढ़ाने और उनमें रियायत दिये जाने की गरज से सरकार जल्द ही कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने जा रही है। किसानों के सम्बंध में सरकार की आगामी योजनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह से दैनिक भास्कर प्रतिनिधि योगेश श्रीवास्तव ने बात की-

सिंचाई को लेकर सरकार की क्या, किन योजनाओं को मूर्तरूप देने जा रही है?
वैसे तो यूपी में दैवीय सम्पदाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन इसके बाद भी यहाँ की नदियों का अस्तित्व संकट में है। पूर्ववर्ती सरकारों में इस महकमें में योजनाएँ बनाने का काम केवल कागजों तक सीमित रहा। सभी दलों और उनकी सरकारों में किसानों का हमदर्द साबित करने की गलाकाट स्पर्धा रही, लेकिन यदि थोड़ा भी कुछ किया गया होता, तो आज बुन्देलखण्ड और विध्यांचल क्षेत्र में पेयजल के साथ सिंचाई सुविधाओं का संकट न होता। केंद्र की ‘वन ड्रॉप वन क्रॉप’ की पॉलिसी को फालो करते हुए यहाँ भी काम हो रहा है। बुन्देलखण्ड और विध्यांचल में किसानों को सिंचाई के साथ ही वहाँ की जनता को पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इस पर तेजी से काम चल रहा है। इस बार इन क्षेत्रों का काई भी खेत सिंचाई के अभाव में सूखने नहीं पाएगा। सरकार की प्राथमिकता है कि बुन्देलखण्ड का कोई भी किसान न तो पलायन करे, न ही आत्महत्या करे। पीएम नरेंद्र मोदी जी ने मध्य प्रदेश की केन नदी को बुन्देलखण्ड की बेतवा नदी से जोड़कर वहाँ के लिये बड़ा काम किया है। इससे उत्तर प्रदेश को काफी लाभ मिलेगा।

किसानों को बदले निजाम का एहसास कैसे कराएगी सरकार?
हर जिले में किसानों की समस्या के बारे में अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सिंचाई आदि की सुविधाओं के बारे में मिलने वाली शिकायतों का त्वरित निस्तारण करे। ऐसा न करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती की जाएगी। राज्यमुख्यालय से भी जिलों में संचालित होने वाले किसान सहायता केंद्रों की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखी जाएगी। इस बाबत विभागीय बैठक पर अधिकारियों को निर्देश दे दिए गये हैं।

गोमती रिवरफ्रंट इन दिनों सुर्खियों में है। उस संबंध में कुछ कहेंगे?
उस बारे में जो भी जाँच आदि की बात है, वह एक अलग पहलू है। लेकिन, सरकार गोमती रिवरफ्रंट का काम तीन महीने में पूरा कर लेगी। यही नहीं, गोमती रिवरफ्रंट प्लान के लिये जितनी धनराशि निर्धारित की गई है, उससे कम में इस काम को पूरा किया जाएगा। गोमती का शुद्धिकरण भी बड़ा मुद्दा है। इस समय गोमती में 28 नालों का पानी आ रहा है। गोमती के प्रदूषित पानी को शुद्ध कर उसे आचमन लायक बनायेंगे। इसके अलावा बरसात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की अधिकारियों की बैठक करके उन्हें निर्देश दिये गये हैं कि वे नहरों की सिल्ट का सफाई का काम युद्धस्तर पर करें।

संभावित बाढ़ से निपटने की दिशा में सरकार कितनी तैयार है?
यद्यपि यह विभाग इस समय मुख्यमंत्री जी के पास है, बावजूद इसके मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही बाढ़ प्रभावित जिलों के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर आवश्यक सुझाव लिये गये हैं। कोशिश होगी कि यदि बाढ़ की स्थिति पैदा होती है, तो उससे किसी तरह की जनधन और पशुहानि न होने पाये। इस समय यूपी में बाढ़ से प्रभावित 28 जिले हैं। सरकार की एक और महत्तवाकांक्षी योजना तालाब विकास प्राधिकरण है। इसके अंतर्गत खुदने वाले तालाबों में 50 फीसदी अनुदान सरकार द्वारा दिया जाएगा। इससे जहाँ गाँवों में बेकार बहने वाला पानी संचित होगा, वहीं यह पानी सिंचाई के साथ ही पशुओं के भी काम आएगा।

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