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तिलक होली की अब है बारी

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भास्कर न्यूज/ March 01, 2009

भोपाल. बड़ी झील सिकुड़ चुकी है, पानी के लिए लंबी कतारें लगने लगी हैं। इसलिए इस बार प्रियजनों को होली पर तिलक लगाकर रंगों से भरे जीवन की शुभकामनाएं दें और बूंद-बूंद पानी बचाने में अपना योगदान दें। यह महासंकल्प पूरे शहर की जिम्मेदारी है। इसके लिए कई सामाजिक संगठन, महिला क्लब और संस्थाएं आगे आ चुकी हैं।

यह माना जाता है कि अगर महिलाएं परिवार के लिए कोई निर्णय लेती हैं तो पूरा परिवार उस निर्णय में शामिल रहता है। ऐसा ही निर्णय और महासंकल्प शनिवार को टपरवेयर प्रोडक्ट्स की सदस्य महिलाओं ने लिया। उन्होंने भास्कर परिवार द्वारा शुरू किए जा रहे ‘तिलक होली’ अभियान के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित होकर संकल्प लिया कि उनका पूरा परिवार इस बार तिलक लगाकर और फूलों से होली खेलेगा।

पानी बचाने के लिए महिलाओं द्वारा की गई यह शुरुआत घर-घर तक पहुंचेगी। टपरवेयर की प्रमुख प्रमिला झंवर ने कहा कि संस्था की 200 महिलाओं ने यह संकल्प लिया है कि होली के दिन उनके घरों में गीले रंगों से होली नहीं खेली जाएगी बल्कि फूलों के रंगों से वे एक-दूसरे को टीका लगाकर होली खेलेंगी।

गुफा मंदिर के महंत चंद्रमादास त्यागी का कहना है कि पानी बचाने के लिए तिलक लगाकर ही होली खेलें। रंग घोलने और गीली होली खेलने से लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। आश्रम में भी तिलक होली ही होगी।

डॉ. एन गणोश का कहना है कि तुलसी, गेंदा संतरे के छिलके के पाउडर और गुलाब की पंखुड़ियों को पीस कर रंग बनाएं और तिलक लगाएं। मैं परिवार और दोस्तों के साथ तिलक लगाकर होली खेलने का प्रण लेता हूं।

वरिष्ठ चित्रकार एलएन भावसार का कहना है कि शहर में पानी की कमी को देखते हुए हम सभी का तिलक लगाकर ही होली खेलें। तिलक भी छोटा सा ही लगाएं ताकि उसे साफ करने में पानी की आवश्यकता न हो।
 

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