अल-नीनो व ला-नीना कर दें मुश्किल जीना
अल-नीनो के कारण ही भूमण्डल के एक हिस्से में बाढ़ और तूफान का बोलबाला रहता है, तो दूसरा हिस्सा भीषण सूखे और अकाल की चपेट में आ जाता है।
ला-नीना के प्रभाव के कारण पूरी दुनिया का सामान्य मौसम बुरी तरह प्रभावित होता है और इसके प्रभाव से विभिन्न क्षेत्रों में जबरदस्त बारिश होती है और इस कारण आने वाली बाढ़ तबाही मचाती है। ला-नीना की अवस्था में मौसम के प्रभाव साधारणतया अल-नीनो के विपरीत होते हैं। अब कई देशों के मौसम विज्ञानी मानने लगे हैं कि ला-नीना, अल-नीनो से भी ज्यादा नुकसानदायक है।
किसी ने सही कहा है ‘अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप’ लेकिन अल-नीनो और ला-नीना का मिजाज तो कुछ ऐसा ही है। अल-नीनो आए तो सूखा ही सूखा और ला-नीना आए तो बाढ़। पिछले वर्ष से सारा विश्व इसका सामना कर रहा है लेकिन अब मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अल-नीनो का प्रभाव समाप्त हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया की मौसम एजेंसी के अनुसार पिछले वर्ष से चली आ रही मौसम की इस असामान्यता ने भारत सहित विश्व भर के देशों में अपने निशान छोड़े हैं। एजेंसी के अनुसार उष्णकटिबन्धीय प्रशान्त महासागर अब वापस अपनी स्थिति में आने लगा है। अद्यतन आँकड़ों के अनुसार प्रशान्त महासागर के सम्बन्धित भागों में तापक्रम अब सामान्य से केवल 0.5 डिग्री ऊपर है। अनेक गतिमान एवं सांख्यिकी मॉडलों के आधार पर समुद्र जल का तापमान और भी ठण्डा होकर ला-नीना अवस्था उत्पन्न कर सकता है। यही कारण है कि इस वर्ष सामान्य से अधिक वर्षा होने की सम्भावना है। इस बार का यह अल-नीनो अब तक का सबसे गर्म अल-नीनो था जिसने विश्व भर में गर्मी के औसत तापक्रम को रिकॉर्ड ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया। पिछले वर्ष भारत में हुई कम वर्षा में भी अल-नीनो की ही मुख्य भूमिका थी।
क्या है अल-नीनो?
क्या है ला-नीना?
विश्व के विभिन्न भागों पर अल-नीनो का प्रभाव
स्वास्थ्य पर अल-नीनो का प्रभाव
जलवायु और अल-नीनो
सम्पर्क सूत्रः
(पूर्व सह-सम्पादक, साइंस रिपोर्टर एवं सीएसआईआर समाचार), एच 61, रामा पार्क मोहन गार्डन, नियर द्वारका मोड़, नई दिल्ली 110059[ई-मेल : vineeta_niscom@yahoo.com]