जलवायु परिवर्तन

साझा संसाधन केवल स्थानीय समुदायों की जीवनरेखा ही नहीं हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ सुरक्षा कवच भी हैं।
जलवायु परिवर्तन, लगातार खेती और रसायनिक खादों के बहुत ज़्यादा इस्‍तेमाल के चलते हमारी धरती पर साल दर साल बंजर ज़मीनों का दायरा बढ़ता जा रहा है।
सीएमएफआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक 2003 से 2013 के दौरान व्हेल के तटों पर फंसने की घटनाओं में दस गुनी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
नदियों का प्रवाह बदलने से नदी के पानी पर निर्भर लोगों की ज़िन्दगी में कई तरह की परेशानियां आती हैं। कई बार रोज़ी-रोटी के संकट के चलते लोगों को पलायन भी करना पड़ता है।
जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून के पैटर्न में आ रहे बदलाव के कारण पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में बारिश में कमी देखने को मिल रही है, जबकि सूखे राज्‍यों में बारिश में बढ़ोतरी हुई है।
ताज़े फूलों से भरा हुआ मुंबई का सौ मीनाताई ठाकरे फूल बाज़ार
extreme heat
समुद्र तल बढ़ने और जमीन धंसने के कारण भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से लेकर अमेरिका के मायामी तक दुनिया के कई शहर सागर में डूबने के खतरे का सामाना कर रहे हैं।
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