वेनेजुएला ने आधिकारिक रूप से अपने सभी ग्लेशियर खो दिए हैं
वेनेजुएला ने आधिकारिक रूप से अपने सभी ग्लेशियर खो दिए हैं—एक ऐतिहासिक जलवायु आपदा जो यह दर्शाती है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन किस कदर गंभीर हो चुके हैं। अंतिम बचा हम्बोल्ट ग्लेशियर भी 2024 में पूरी तरह पिघलकर बर्फ के मैदान में बदल गया। यह वेनेजुएला को आधुनिक इतिहास का पहला ग्लेशियर-मुक्त देश बना देता है। यह लेख वेनेजुएला के ग्लेशियरों के नुकसान की पृष्ठभूमि, उनके पिघलने के कारण, और इसके स्थानीय व वैश्विक प्रभावों का विश्लेषण करता है।
वेनेजुएला के ग्लेशियरों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
सिएरा नेवादा डे मेरिडा के छह ग्लेशियर
लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिएरा नेवादा डे मेरिडा पर्वत श्रृंखला में 1910 में छह प्रमुख ग्लेशियर थे: टिमोनकिटोस, एस्पेजो, ला गार्सिया, कॉन्स्टांजा, नुएस्ट्रा सेनोरा और हम्बोल्ट। ये सभी ग्लेशियर स्थानीय जल आपूर्ति और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे।
ग्लोबल वार्मिंग और मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण वेनेजुएला के ग्लेशियरों ने तेज़ी से सिकुड़ना शुरू किया। 1990 के दशक तक अधिकांश ग्लेशियर आधे से अधिक खत्म हो चुके थे। 2000 के दशक तक केवल दो छोटे ग्लेशियर बचे थे। 2011 तक इनमें से भी अधिकांश पिघल गए।
2024 में, वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि वेनेजुएला का अंतिम ज्ञात ग्लेशियर — Humboldt Glacier (जिसे La Corona भी कहा जाता है) — आधिकारिक रूप से 'dead glacier' घोषित कर दिया गया है क्योंकि अब उसमें सक्रिय रूप से बर्फ का प्रवाह नहीं है और उसका क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर से भी कम रह गया है।
हम्बोल्ट ग्लेशियर: अंतिम बर्फ का अंत
1910 में 3.0 वर्ग किमी में फैला हम्बोल्ट ग्लेशियर, जिसे ला कोराना भी कहा जाता है, 2024 में 0.01 वर्ग किमी तक सिकुड़ गया और अब ग्लेशियर नहीं रहा। यह सिर्फ बर्फ का मैदान है। NASA, ICCI और BBC सहित प्रमुख संस्थाओं ने इस बदलाव की पुष्टि की है।
नदियों का स्रोत
ये ग्लेशियर कई स्थानीय नदियों के प्रमुख स्रोत थे। उनसे निकलने वाले पिघलते पानी ने विशेष रूप से निम्नलिखित नदियों को जीवन दिया:
Mocotíes River
Santo Domingo River
ये नदियाँ Mérida राज्य के लिए पीने के पानी, सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन का आधार थीं।
स्थानीय प्रभाव और सांस्कृतिक धरोहर
सिएरा नेवादा के ग्लेशियर केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक भी थे। NBC News के अनुसार, उनके पिघलने से पारिस्थितिक बदलाव शुरू हुए, जैसे लाइकेन और मॉस का उगना, जो नए पारिस्थितिक तंत्र का संकेत हैं। बारिश पर निर्भरता बढ़ी है, जिससे कृषि और खाद्य सुरक्षा को खतरा है। पर्यटन पर भी इसका सीधा असर पड़ा है।
वैश्विक संदर्भ: बाकी दुनिया को चेतावनी
BBC और ExplorersWeb के अनुसार, 2100 तक दुनिया के 20-80% ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं, विशेषकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में। इंडोनेशिया, मैक्सिको और स्लोवेनिया जैसे देश अगली कतार में हो सकते हैं। यदि कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं की गई, तो यह संकट और गहरा होगा।
यह विषय हिमालय में बर्फबारी की कमी से भी जुड़ा है, जहाँ दो अरब लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है।
वेनेजुएला अब 'ग्लेशियर रहित' देश
2024 के बाद वेनेजुएला उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो अब ग्लेशियर रहित (glacier-free) हैं। यह एक प्रतीकात्मक और पर्यावरणीय रूप से चिंताजनक संकेत है कि कैसे जलवायु परिवर्तन उष्णकटिबंधीय पर्वतीय ग्लेशियरों को समाप्त कर रहा है।
भविष्य के लिए सबक और नीति सिफारिशें
वेनेजुएला का ग्लेशियर संकट स्पष्ट करता है कि जलवायु परिवर्तन केवल भविष्य की चिंता नहीं, बल्कि वर्तमान का खतरा है। नीति-निर्माताओं को चाहिए कि वे नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दें, कार्बन उत्सर्जन घटाएं और जल संरक्षण के उपाय लागू करें।