जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में ऑक्सीजन पर निर्भर जीवों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन स्तर ज़रूरी
जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में ऑक्सीजन पर निर्भर जीवों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन स्तर ज़रूरीस्रोत: https://smartwatermagazine.com

तापमान बढ़ने से दुनिया भर की झीलों में घट रहा है ऑक्सीजन

जलीय जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र से लेकर तटीय अर्थव्यवस्थाओं तक पर पड़ रहा प्रतिकूल असर
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दुनिया भर की हज़ारों झीलें एक बड़े संकट का सामना कर रही हैं। इनमें घुलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen - DO) का स्तर लगातार घट रहा है और यह बदलाव जलीय जैव विविधता, ईकोसिस्टम से लेकर तटीय अर्थव्यवस्थाओं तक पर प्रतिकूल असर डाल रहा है।

साइंस एडवांस पत्रिका में छपी रिसर्च के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ती गर्मी के कारण दुनिया की लगभग 83% झीलों में ऑक्सीजन का स्तर तेज़ी से घट रहा है। यह रिसर्च साल 2003 से 2023 तक के आंकड़ों पर आधारित है। यह गिरावट महासागरों और नदियों की तुलना में कहीं ज़्यादा है।

क्या कह रहे हैं रिसर्च के आंकड़े

चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज के नानज़िंग इंस्टीट्यूट ऑफ जियोग्राफी एंड लिम्नोलॉजी से जुड़े वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस व्यापक अध्ययन में 15,535 झीलों के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण झीलों में घुली ऑक्सीजन में 55% तक गिरावट आती है। जबकि, समुद्रों के लिए यह गिरावट 50% है।

इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि हीटवेव (अत्यधिक गर्मी की लहरें) इस स्थिति को और भी बदतर बना देती हैं। हीटवेव के दौरान, सामान्य तापमान की तुलना में ऑक्सीजन के स्तर में 7.7% की तेज़ गिरावट दर्ज की जाती है।

पिछले दो दशकों में छह महाद्वीपों में स्थित झीलों में घुलित ऑक्सीजन में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। उदाहरण के लिए, अफ्रीका में 0.03 मिलीग्राम प्रति लीटर, एशिया में 0.024 मिलीग्राम प्रति लीटर, यूरोप में 0.074 मिलीग्राम प्रति लीटर, उत्तरी अमेरिका में 0.13 मिलीग्राम प्रति लीटर, दक्षिण प्रशांत में 0.052 मिलीग्राम प्रति लीटर, और दक्षिण अमेरिका में 0.012 मिलीग्राम प्रति लीटर की गिरावट दर्ज की गई है।

जलीय जीवन के लिए ऑक्सीजन का महत्व और खतरे

जलीय जीवों के लिए पानी में घुलित ऑक्सीजन की उचित मात्रा बेहद ज़रूरी है। जैसे हवा में रहने वाले जीव हवा से ऑक्सीजन लेते हैं, वैसे ही अधिकांश जलीय जीव जल में मौजूद ऑक्सीजन से श्वसन करते हैं। इसलिए, पानी में पर्याप्त घुलित ऑक्सीजन की मात्रा होना उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक है।

आम तौर पर, 6.5 से 8 मिलीग्राम प्रति लीटर ऑक्सीजन की घुलित मात्रा को जलीय जीवन के लिए उत्तम माना जाता है। हालांकि, यदि घुलित ऑक्सीजन 3 मिलीग्राम/लीटर से कम हो जाए, तो यह जलीय जीवन के लिए खतरनाक स्थिति बन जाती है। यदि यह स्तर घटकर एक मिलीग्राम/लीटर से भी कम हो जाए, तो कोई भी जलीय जीव जीवित नहीं रह सकता।

यह रिसर्च स्पष्ट करती है कि झीलों के पानी का बढ़ता तापमान जलीय पारिस्थितिकी में असंतुलन पैदा करता है, जिसका सीधा असर घुलित ऑक्सीजन (DO) पर पड़ता है। दरअसल, जब तापमान बढ़ता है, तो पानी में ऑक्सीजन घुलने की क्षमता घट जाती है, जिससे सतह के नीचे की परतों में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से कम होने लगती है।

तापमान और यूट्रोफिकेशन का जटिल संबंध

गर्म पानी फाइटोप्लैंकटन और शैवाल की अत्यधिक वृद्धि (algal bloom) को भी बढ़ावा देता है। ये शैवाल दिन में प्रकाश संश्लेषण के दौरान ऑक्सीजन तो छोड़ते हैं, लेकिन रात में और जब वे सड़ने लगते हैं, तो बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की खपत करते हैं। इस प्रक्रिया से झीलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता अस्थिर हो जाती है, जो मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए घातक साबित हो सकती है। इस प्रकार, झीलों का बढ़ता तापमान DO स्तर को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से प्रभावित करता है।

इसके विपरीत, ऐसी स्थितियों में जहां प्रकाश-संश्लेषण से ऑक्सीजन की आपूर्ति ऑक्सीजन की खपत से अधिक होती है, ऑक्सीजन की सांद्रता बढ़ जाएगी और ऑक्सीजन सुपरसैचुरेशन भी हो सकता है। यह स्थिति कई प्रणालियों में देखी गई है, जिनमें यूट्रोफिक झीलें और उच्च जलीय वनस्पति वाली झीलें शामिल हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि यूट्रोफिक झीलें वे झीलें होती हैं जिनमें प्रदूषण के कारण पोषक तत्वों, खासकर नाइट्रोजन (N) और फॉस्फोरस (P) की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है, जिससे शैवाल और जल वनस्पति की अत्यधिक वृद्धि होती है।

यह परिणाम दर्शाता है कि झीलों में तापमान बढ़ने से अधिक यूट्रोफिकेशन हो सकता है। यदि यूट्रोफिकेशन में वृद्धि के कारण ऑक्सीजन की खपत ऑक्सीजन की आपूर्ति से अधिक हो जाए, तो घुलित ऑक्सीजन सांद्रता में शुद्ध कमी आती है। इससे पूरा पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में पड़ जाता है।

हीटवेव और ऑक्सीजन असंतुलन का प्रभाव

इस शोध में हीटवेव के ऐतिहासिक रुझानों का विश्लेषण किया गया और सतही घुलित ऑक्सीजन (SDO) स्तरों पर उनके प्रभावों का मात्रात्मक मूल्यांकन किया गया। हीटवेव का SDO में गिरावट पर तीव्र और स्पष्ट प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण औसत जलवायु तापमान की तुलना में SDO में 7.7% की कमी आती है।

झीलों में घुलित ऑक्सीजन में कमी का पहला और सबसे सीधा दुष्परिणाम मछलियों और अन्य जलीय जीवों की मौत से जैव विविधता का घटना होता है। इसके अलावा, नाइट्रोजन फिक्सेशन में कमी, खाद्य सुरक्षा पर असर, आजीविका का नुकसान और तटीय अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव तो होता ही है।

भविष्य के लिए चेतावनी और समाधान

इस अध्ययन के निष्कर्ष दुनिया भर में झीलों के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए ग्लोबल वार्मिंग शमन और अनुकूलन रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हैं। इसके अलावा, यह अध्ययन मीठे पानी में ऑक्सीजन की कमी के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए काम कर रहे नीति निर्माताओं और पर्यावरण प्रबंधकों के लिए भी महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

झीलों में ऑक्सीजन बढ़ाने के कुछ उपाय भी सुझाए गए हैं। सबसे पहले, पौधों और शैवालों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, ताकि ऑक्सीजन के स्तर को संतुलित रखा जा सके।

दूसरे, कृत्रिम वायु प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है। इसके अंतर्गत बबलर, फव्वारे या एयरेशन मशीनों का प्रयोग करके झील में कृत्रिम तरीके से हवा या ऑक्सीजन डाली जा सकती है, जिससे घुलित ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाया जा सके। इन उपायों को अपनाना झीलों को 'दम तोड़ने' से बचाने में सहायक हो सकता है।

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