जलवायु कारकों से भी प्रभावित होता है पक्षियों का गायन (bird songs influenced by astronomical and meteorological factors)

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अध्‍ययनकर्ताओं के अनुसार ‘‘चाँदनी के प्रकाश का असर भी सुरीले पक्षियों के गायन पर पड़ता है। पूर्णिमा के दिन पक्षियों का गाना कम समय तक सुनाई देता है। जबकि अमावस्या को पक्षी ज्यादा कलरव करते पाए गए। रात की चाँदनी में मौसम ठंडा होने या हवाएँ तेज चलने के बाद सुबह पक्षियों के गीत गाने की दर बढ़ जाती है। पर्यावरणीय कारकों के कारण सुरीले पक्षियों के गायन पर पड़ने वाले प्रभाव का यही असर उनकी प्रजनन क्रिया पर भी पड़ता है।'

वास्को-द-गामा (गोवा) :
‘‘वातावरण, तापमान, नमी, हवा के बहाव की दिशा एवं गति और वर्षा जैसे जलवायु कारकों के साथ-साथ सूर्योदय का समय, दिन की अवधि और चंद्रमा की गतिविधियों का संबंध भी सुरीले पक्षियों के गायन से होता है।’’
‘‘तापमान, नमी और हवा की गति के कम या ज्यादा होने से पक्षियों के गायन की दर भी उसी अनुपात में कम या ज्यादा हो जाती है। गाने वाले पक्षियों में मौसम के पूर्वानुमान को भाँप लेने की एक अद्भुत क्षमता होती है। ध्यान से सुना जाए तो मौसम के बदलने से सुरीले पक्षियों के गीत गाने का अंदाज और गाने की अवधि बदल जाती है। सुबह के समय और गोधूली बेला में भी मौसम के खुशनुमा होने से पक्षियों का सुर विशेष मधुरता लिए होता है।’’
‘‘चाँदनी के प्रकाश का असर भी सुरीले पक्षियों के गायन पर पड़ता है। पूर्णिमा के दिन पक्षियों का गाना कम समय तक सुनाई देता है। जबकि अमावस्या को पक्षी ज्यादा कलरव करते पाए गए। रात की चाँदनी में मौसम ठंडा होने या हवाएँ तेज चलने के बाद सुबह पक्षियों के गीत गाने की दर बढ़ जाती है। पर्यावरणीय कारकों के कारण सुरीले पक्षियों के गायन पर पड़ने वाले प्रभाव का यही असर उनकी प्रजनन क्रिया पर भी पड़ता है।’’
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