जलवायु परिवर्तन
काला झंडा, काला धुआँ और अपनी पृथ्वी
असल दुनिया लगातार यही मंत्र जाप कर रही है कि ‘ड्रील बेबी ड्रील’। मतलब निकालों कोयला-तेल और उड़ाओ धुआँ! तभी अमेरिका के शेल फील्ड और गल्फ की खाड़ी पर आर्कटिक के ग्लेशियर कुर्बान हुए जा रहे हैं। नतीजा सामने है। इस दशक का हर वर्ष 1998 के पहले के हर वर्ष के मुकाबले अधिक गर्म हुआ है। 2015 इतिहास में दर्ज अभी तक के रिकार्ड का सर्वाधिक गर्म वर्ष घोषित हुआ है। कोई आश्चर्य नहीं जो दिल्ली में अभी भी ठंड महसूस नहीं कर रहे हैं और चेन्नई में बारिश का कहर बरपा। खतरा गम्भीर है और घड़ी की सुई बढ़ रही है। जलवायु विशेषज्ञों की भविष्यवाणी है कि सिर्फ तीस वर्ष बचे हैं, सिर्फ तीस। अपने को हम सम्भाले। कार्बन उत्सर्जन रोकें अन्यथा बढ़ी गर्मी ऐसी झुलसाएगी कि तब बच नहीं सकेगें।