महासागरीय ज्वालामुखियों के अध्ययन भूमण्डलीय तापन की दृष्टि से जलवायु परिवर्तन को समझने में सार्थक साबित हो सकते हैं
इस टामू मस्सीफ महासागरीय ज्वालामुखी पर आज से बीस साल पहले अध्ययन शुरू किये गए थे। अध्ययनों से पता चला है कि पृथ्वी पर क्रिटेशियस युग अर्थात् 14 करोड़ से साढ़े छह करोड़ साल पहले प्रशान्त महासागर में अनेक पठार हुआ करते थे, जो फूट पड़े थे, लेकिन वो तब से दिखाई नहीं दिये थे। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि प्रशान्त महासागर में टामू मस्सीफ जैसे और भी महासागरीय ज्वालामुखी हो सकते हैं।
लानीना अलनीनो की विपरीत स्थिति होती है। इस परिस्थिति में मध्य तथा पश्चिमी प्रशान्त महासागर में उपोष्णकटिबन्धीय उच्च वायुभार पट्टी का सामान्य से बहुत अधिक प्रबल होना है। वैज्ञानिकों का अनुमान था कि 2015 में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बिना मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के बढ़ा होगा। लेकिन आँकड़े दर्शाते हैं कि पिछले एक साल में मानव-जनित तापमान में कोई वृद्धि नहीं हुई है तो ऐसे में वर्ष 2016 के लिये यह मानना होगा कि अलनीनो के कारण ही वर्ष 2016 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है।