प्रलय के पदचिह्न

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भारत में पूर्वाशा और बांग्लादेश में दक्षिणी तालपट्टी कहा जाने वाला द्वीप समुद्र में समा चुका है, तो घोड़ामारा द्वीप का 90 फीसदी हिस्सा जलसमाधि ले चुका है। क्या यह प्रलय की आहट है? न भी हो तो भी बंगाल की खाड़ी में समुद्र का 3.3 मिमी प्रतिवर्ष की रफ्तार से बढ़ता जलस्तर वर्ष 2020 तक 14 द्वीपों का अस्तित्व मिटा चुका होगा। इन्ही द्वीपों के बढ़ते संकट को उजागर कर रहे हैं दीपक रस्तोगी।

वैज्ञानिकों की नजर में भारत का घोड़ामारा द्वीप, समंदर बढ़ने के खतरे का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह द्वीप क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और जैव-विविधता के लिहाज से समृद्ध रहा है। पिछले कुछ वर्षों में तो यह मशहूर पर्यटन स्थल भी बन चुका था। बंगाल की खाड़ी में स्थित यह द्वीप कभी नौ वर्ग किलोमीटीर के क्षेत्र में फैला हुआ था। पिछले 25 वर्षों में इसका क्षेत्रफल घटकर 4.7 वर्ग किलोमीटर रह गया है। इस द्वीप को लेकर बड़े पैमाने पर चिंता जताई जा रही है।

समुद्र में समाता जा रहा घोड़ामारा द्वीप

पूर्वाशा द्वीप का वर्ष 2009 में पूरी तरह डूबने से पहले लिया गया चित्र

डूब चुके अपने द्वीप की दिशा बताती ज्योत्स्ना गिरि

कभी भी समंदर में समा सकता है मौसुनी द्वीप

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