रेगिस्तानी जीव
”विशाल शुष्क रेगिस्तान किसी भी प्रकार से आबाद होने का अहसास नहीं कराते, किन्तु फिर भी यहां अनेक प्रकार की वनस्पति तथा विभिन्न जीव-जन्तु जैसे कीट, सरीसृप, स्तनधारी तथा मछलियां जीवित रहती हैं।“
- चिल्ड्रन्स इलस्ट्रेटेड एनसाइक्लोपीडिया, डोर्लिंग किंडरस्ले लि. लंदन, 1998
रेगिस्तान में जीवन अत्यंत कठोर है। यहां जल तथा आहार का आभाव और उच्च तापमान जीवन को और भी जटिल बना देता है। लेकिन इतनी विषम परिस्थिति के बावजूद यहां जीवों की अनेक प्रजातियां जीवित रहती हैं। रेगिस्तान में जीवन की उत्तरजीविता का कारण रेगिस्तानी जीवों का यहां के वातावरण के अनुसार सुरक्षात्मक क्रियाविधियां विकसित कर लेना है। प्रायः दिन के समय रेगिस्तान निर्जन स्थल लगता है लेकिन दिन ढलते ही रात के अंधेरे में यहां विभिन्न जीव अपने-अपने सुरक्षित आवास स्थलों से बाहर निकल कर मरुभूमि को जीवन्त स्थान बना देते हैं। कुछ जीवों (विशेषकर स्तनधारी और सरीसृप) को सान्ध्य जीव भी कहते हैं जो केवल भोर के समय और अंधेरे में ही सक्रिय होते हैं।
अनेक रेगिस्तानी जन्तु (कीट आदि) छोटे होते हैं जो धरती में बिल बना कर अथवा पेड़-पौधों की पत्तियों में छिप जाते हैं लेकिन रात्रि होने पर बाहर आकर अपने आहार की व्यवस्था करते हैं। यहां तक कि बड़े-बडे़ पशु, जैसे कंगारू, खरगोश, लोमड़ी, बेडगर (रीछ के समान एक चैपाया) ‘कोयोट’ (भेडि़या के प्रकार के पशु) तथा स्कंक (गिलहरी के आकार का एक मांसाहारी पशु), अंखफोड़वा, झींगुर आदि अनेक सरीसृप जैसे गिरगिट, छिपकली, सर्प तथा विभिन्न पक्षियों जैसे उल्लू, कैलिफोर्निया थ्रेशर, भी धरती के अन्दर बिल, खोह बनाकर रहते हैं।