थम सकती है ग्लोबल वार्मिंग

Published on
3 min read

इन सारे 14 उपायों से काले कार्बन और मीथेन गैस के उत्सर्जन पर अंकुश लगाया जा सकता है। ये दोनों प्रदूषक तत्व जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को तेज करते हैं। इनका मानव और पेड़-पौधों के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इनसे बनने वाली ओजोन गैस भी बहुत नुकसान करती है। जीवाश्म आधारित ईंधन, लकड़ी या गोबर आदि जलाए जाने से निकलने वाले धुएं में काला कार्बन होता है। इससे सांस और दिल की बीमारियां और बदतर हो जाती हैं।

क्या जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है और क्या ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार धीमी की जा सकती है? नासा के एक वैज्ञानिक का दावा है कि यदि वायु प्रदूषण के कुछ उपाय किए जाएं तो 2050 तक न सिर्फ विश्व तापमान वृद्धि को कम किया जा सकता है बल्कि पूरी दुनिया में हर सीजन में 13.5 करोड़ मीट्रिक टन अतिरिक्त फसल का उत्पादन भी किया जा सकता है। प्रदूषक तत्वों के उत्सर्जन में कमी से दुनिया के सभी क्षेत्र लाभान्वित होंगे, लेकिन भारत सहित तमाम एशियाई देशों को स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्रों में अतिरिक्त लाभ मिलेगा। न्यूयॉर्क स्थित नासा के गोडार्ड इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के वैज्ञानिक ड्रयू शिंडेल के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए 400 उपायों पर गौर करने के बाद 14 ऐसे उपायों को चुना है, जो जलवायु के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होंगे।

इन सारे 14 उपायों से काले कार्बन और मीथेन गैस के उत्सर्जन पर अंकुश लगाया जा सकता है। ये दोनों प्रदूषक तत्व जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को तेज करते हैं। इनका मानव और पेड़-पौधों के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इनसे बनने वाली ओजोन गैस भी बहुत नुकसान करती है। जीवाश्म आधारित ईंधन, लकड़ी या गोबर आदि जलाए जाने से निकलने वाले धुएं में काला कार्बन होता है। इससे सांस और दिल की बीमारियां और बदतर हो जाती हैं। छोटे-छोटे प्रदूषक कण सूरज से आने वाले रेडिएशन को सोख लेते हैं, जिससे वायुमंडल गरम हो जाता है और वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन होने लगता है। इनके अलावा ये बर्फ को काला कर देते हैं, जिससे उनकी परावर्तकता कम हो जाती है। इससे ग्लोबल वार्मिंग की प्रक्रिया में तेजी आती है।

मीथेन एक रंगहीन और ज्वलनशील पदार्थ है। मीथेन गैस न सिर्फ तापमान में वृद्धि करती है, बल्कि जमीन पर ओजोन उत्पन्न करने में भी सहायक होती है। वैसे तो दीर्घावधि में कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्लोबल वार्मिंग के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होगी, लेकिन शिंडेल और उनकी टीम का मानना है कि काले कार्बन और मीथेन को सीमित करने का असर तत्काल पड़ेगा क्योंकि ये प्रदूषक तत्व वायुमंडल में बहुत तेजी से फैलते हैं। इन पर नियंत्रण के उपायों से दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया में वर्षा के पैटर्न में लाभकारी परिवर्तन होने से कृषि उत्पादन में सुधार होगा। इन उपायों से रूस जैसे देशों को भी फायदा होगा, जिनके बहुत बड़े भूभाग पर बर्फ छाई रहती है।

दक्षिण एशिया में भारत, बांग्लादेश और नेपाल में अकाल मौतों में भारी कमी आ सकती है। अध्ययन के मुताबिक पूरी दुनिया में 7 लाख से 47 लाख के बीच अकाल मौतें कम की जा सकती हैं। काले कार्बन के लिए जिन तकनीकों का विश्लेषण किया गया है, उनमें डीजल वाहनों के लिए फिल्टर लगाना, अधिक उत्सर्जन वाले वाहनों पर रोक, रसोई के चूल्हों को अपडेट करना, ईंट बनाने के लिए पारंपरिक भट्ठों की जगह अधिक प्रभावी भट्ठों का प्रयोग और कृषि कचरे को जलाने पर रोक शामिल है।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org