असम की ‘शान’ बचाने की जद्दोजहद

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एक सींग वाले गैंडे को असम का ‘शान’ कहा जाता है। वह राज्य का प्रतीक है। काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क तो इसके लिए विश्व प्रसिद्ध भी है लेकिन पिछले कुछ दिनों से गैंडों की हत्या के मामले में हुई वृद्धि से लोग काफी आहत हैं। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) समेत अन्य संगठनों का आरोप है कि असम का गौरव माने जाने वाले गैंडों की हत्या को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही। घटना पिछले छब्बीस सितंबर की है। सैकड़ों लोग एक घायल गैंडे की कराह सुनकर मर्माहत हो गए और प्रतिवाद में सड़क पर उतर आए। गुस्साए लोगों ने असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और वन व पर्यावरण मंत्री रकीबुल हुसैन के खिलाफ नारे भी लगाए। दरअसल, बाढ़ की वजह से वह गैंडा अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था, तभी शिकारियों की गोली से घायल हो गया। उसके शरीर पर पाए गए बुलेट के कई निशान इसकी पुष्टी कर रहे थे। शिकारियों ने यहीं तक उसे नहीं छोड़ा। उन्होंने गैंडे के सींग और दायां कान भी काट लिए थे। गैंडा खून से लथपथ कराह रहा था। ऐसे में लोगों के सब्र का बांध टूट पड़ा और वे सड़क पर आ गए। इस बीच राज्य सरकार ने लोगों के गुस्से को देखते हुए पिछले तीन साल में प्रदेश में गैंडों की मौत की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। सरकार ने कार्बी की पहाड़ियों में सेना तैनात करने का भी मन बनाया है।

गौरतलब है कि एक सींग वाले गैंडे को असम का ‘शान’ कहा जाता है। वह राज्य का प्रतीक है। काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क तो इसके लिए विश्व प्रसिद्ध भी है लेकिन पिछले कुछ दिनों से गैंडों की हत्या के मामले में हुई वृद्धि से लोग काफी आहत हैं। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) समेत अन्य संगठनों का आरोप है कि असम का गौरव माने जाने वाले गैंडों की हत्या को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही। आंसू के महासचिव तपन गोगोई ने इन घटनाओं को शर्मानक बताते हुए वन मंत्री की आलोचना की है। असम में अब तक दो सौ बानबे गैंडों की हत्या की जा चुकी है। सिर्फ पिछले नौ महीने में ही चौदह गैंडों की हत्या कर दी गई है। राजनीतिक संगठनों के अलावा पशुप्रेमी तथा राज्य के विशिष्ट लोगों ने भी गैंडों की इस हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे सरकार की लापरवाही बताया है। साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ लेखक डॉ. नगेन सैकिया ने गैंडों की हत्या के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। उनके अनुसार, गैंडों की हत्या राष्ट्रीय अपराध है। बावजूद इसके राज्य सरकार इसे रोक नहीं पा रही है।

वैसे लोगों के इस प्रतिवाद का दबाव राज्य सरकार पर पड़ा है। यही वजह है कि आलोचनाओं से घिरे वन मंत्री रकीबुल हुसैन ने प्रधान महावन संरक्षक सुरेश चंद को समूची घटना की जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री गोगोई ने शिकारियों के बारे में जानकारी देने वालों को पांच लाख रुपए इनाम देने की घोषणा भी की है। वन मंत्री ने बताया कि घायल गैंडों का इलाज किया जा रहा है। काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क में ढाई हजार से अधिक गैंडे हैं जो पूरे विश्व में पाए जाने वाले गैंडे का दो-तिहाई है। संभागीय वन अधिकारी डी. गोगोई ने बताया कि बोगोरी रेंड इलाके में सींग विहीन एक अन्य गैंडे के भी बाढ़ के पानी में बहकर आने का समाचार मिला है। बताते हैं कि यह गैंडा भी गोलियों का शिकार हुआ है। दरअसल, राज्य में तीसरे चरण की आई भीषण बाढ़ से काजीरंगा के जीवों पर संकट का पहाड़ टूट पड़ा है जबकि सरकारी उपायों के नाम पर महज खानापूरी होती दिख रही है। ऐसी स्थिति में गैंडे समेत कई जानवर सुरक्षा के लिए उद्यान से बाहर निकल आए हैं। इसी का फायदा अवैध शिकारी उठा रहे हैं। इन सब बातों से वन विभाग के अधिकारी भलीभांति वाकिफ हैं लेकिन व्यवस्था के नाम पर कुछ भी उपाय नहीं किए गए हैं।

गैंडों की हिफाजत में विफलता को देख भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा गुवाहाटी की सांसद विजया चक्रवर्ती ने वन मंत्री रकीबुल हुसैन को उनके पद से हटाने की मांग की है। भाजपा सांसद ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में वन्य प्राणियों की हत्या, बाढ़ के कारण उद्यान की स्थिति और राष्ट्रीय पार्क की जमीन पर संदिग्ध लोगों के अतिक्रमण की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए काजीरंगा से संदिग्ध नागरिकों को हटाने के लिए मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को कड़ा निर्देश देने की अपील की है।

शिकारियों के निशाने पर असम के गैंडे, कठघरे में राज्य सरकार

उनका मानना है कि बाढ़ की वजह से काजीरंगा उद्यान के कुछ जानवर पड़ोसी जिलों में चले गए हैं। इससे शिकारियों को मौका मिलता है। उन्होंने कहा है कि वे पार्क से सटे जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ भी चंद बैठक कर वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। दूसरी ओर पार्क के अधिकारियों ने बताया कि शिकारियों के खिलाफ एक बड़ा खुफिया तंत्र विकसित किया जा रहा है क्योंकि शिकारियों की कुछ स्थानीय लोग मदद करते हैं। इसलिए खुफिया नेटवर्क में ग्रामीणों को भी शामिल किया जा रहा है ताकि वे संदिग्ध लोगों की सूचना वन अधिकारी को दे सकें। अच्छी बात यह है कि आसपास के लोग गैंडे के संरक्षण में काफी सहयोग दे रहे हैं। इसके साथ ही वनरक्षियों की संख्या बढ़ा दी गई है और उन्हें आधुनिक हथियार उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है। वन एवं पर्यावरण विभाग इसके लिए 200 एसएलआर खरीदने पर विचार कर रहा है। साथ ही साथ, असम फॉरेस्ट प्रोटेक्शन फोर्स के 11 सेक्शन को तैनात किया गया है। इधर, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने भी वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की टीम से पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

मारे गए गैंडे

साल

गैंडे

2012 (सितंबर तक)

14

2011

10

2010

11

2009

13

2008

12

2007

21

2006

05

2005

07

2004

04

2003

03

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