नहीं चाहिए नयाचर में केमिकल हब

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पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य जमीन के सवाल पर निकट अतीत की गलतियों से सबक नहीं लेना चाहते। उनकी सरकार अब पूर्वी मेदिनीपुर के नयाचर में केमिकल हब स्थापित करने को तत्पर हो उठी है। नयाचर द्वीप की जमीन इंडोनेशिया के सलेम समूह को केमिकल हब बनाने के लिए दी जा रही है। भोपाल गैस त्रासदी की यादें अभी ताजा हैं फिर भी यह सरकार, जो अपने को जनवादी कहती है, किसलिए केमिकल हब के लिए व्याकुल है? यह रहस्य है।

केंद्र सरकार ने नयाचर में केमिकल हब बनाने की भले मंजूरी दे दी है, वैज्ञानिकों व पर्यावरणविदों ने बार-बार आशंका जताई है कि केमिकल हब बनने पर उसके नतीजे सांघातिक होंगे। इस आशंका पर भी बुद्धदेव सरकार ने चुप्पी ओढ़ रखी है।

पश्चिम बंगाल के मत्स्यपालन विभाग ने 1983 में नयाचर में दो मत्स्य समवाय केंद्र खोले थे। उस अंचल के सैकड़ों लोग मछलीपालन कर ही जीवन-यापन करते हैं। बंगाल के मछलीपालन मंत्री किरणमय नंद ने कहा था कि नयाचर ही चिंगड़ी नामक मछली उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र होगा। अब उसी वाममोर्चा सरकार ने केमिकल हब की स्थापना के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए दोनों मत्स्य समवाय केंद्र खत्म कर दिए हैं।

सिंगापुर के जुरंग द्वीप के केमिकल हब का बार-बार हवाला दिया जा रहा है, लेकिन कौशलपूर्वक यह तथ्य छिपाया जा रहा है कि जुरंग द्वीप की जमीन बहुत सख्त है, जबकि नयाचर की जमीन मुलायम है। इसके अलावा जुरंग में अभी केमिकल हब निर्माणाधीन है। यह समझ से परे है कि नयाचर के जन्म के कारणों को भी ध्यान में रखने की जरूरत क्यों नहीं महसूस की गई? बहुत ज्यादा सिल्ट जमने के कारण ही नयाचर का जन्म हुआ। नयाचर द्वीप की उम्र बहुत अधिक नहीं है।

1802 में इसका संधान हुआ। ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले सौ वर्षो में नयाचर की स्थिति और आति में बार-बार परिवर्तन हुए हैं। केमिकल हब बनने पर यहां और सिल्ट जमेगा जिससे नयाचर होते हुए पानी के जहाजों का हल्दिया बंदरगाह पहुंचना भी कठिन होता जाएगा। इस तथ्य पर यदि विचार करें तो क्या वाम मोर्चा सरकार को नयाचर में केमिकल हब बनाने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करना चाहिए?

वहां पहले की तरह मत्स्य समवाय केंद्रों को पुन: चालू किए जाने की मांग को सरकार क्यों अनसुनी किए हुए है? यह काम तुरंत होना चाहिए और मछली पालन मंत्री किरणमय नंद की पूर्व घोषणा के मुताबिक नयाचर में संसार के सबसे बड़े चिंगड़ी मछली उत्पादन का केंद्र बनाने के लक्ष्य को हासिल करने की प्रक्रिया प्रारंभ करनी चाहिए।

मुझे लगता है कि नयाचर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र बन सकता है। सरकार को उसे विकसित करने के लिए आगे आना चाहिए। नयाचर के पास ही जेलिंगहोम है। वहां की 350 एकड़ जमीन का अधिग्रहण जहाज निर्माण व मरम्मत कारखाने के लिए किया गया है। उस अधिग्रहण के फैसले पर भी पुनर्विचार होना चाहिए।

नंदीग्राम में केमिकल हब नहीं बन पाया तो नयाचर में बन जाएगा, यह विचार राज्य सरकार को जल्द से जल्द त्याग देना चाहिए। माकपा के बाहुबली सांसद लक्ष्मण सेठ ने नंदीग्राम की जमीन का अधिग्रहण करने की कोशिश की थी, नतीजा सबके सामने है। बुद्धदेव ने सिंगुर की जमीन टाटा समूह को देनी चाही तो अनिच्छुक किसानों ने तीव्र प्रतिवाद किया। टाटा को खुद परियोजना अन्यत्र ले जानी पड़ी।

पश्चिमी मेदनीपुर में जिंदल समूह के सेज के लिए बुद्धदेव ने आठ हजार वर्दीधारी उतार रखे हैं। राज्य सरकार से अपेक्षा की जाती थी कि वह पूर्वी मेदिनीपुर के नयाचर-हल्दिया-जेलिंगहोम को लेकर एक मास्टर प्लान बनाएगी। उस दिशा में उसने कुछ न किया, हां नयाचर के साथ ही राज्य के कतिपय दूसरे महत्वपूर्ण हिस्सों की जमीन भी सलेम समूह को दिए जाने का फैसला जरूर कर लिया। सलेम समूह को पानागढ़ में 500, हल्दिया में 300 और वृहत्तर कोलकाता में 300 एकड़ जमीन बहुमंजिली इमारतें बनाने के लिए दी जा रही है। गलतियों से नहीं सीखने का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा?
 

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