अब मनरेगा-2 की राह पर दौड़ेगी सरकार

मिहिर शाह कमेटी ने तैयार किया सुधारों का खाका, आज सौंपी जाएगी रिपोर्ट


महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) में कमियों को दुरूस्त कर सरकार मनरेगा-2 की राह पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है। यूपीए सरकार की इस सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना में सुधारों का खाका तैयार करने के लिए बनी योजना आयोग के सदस्य मिहिर शाह की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसमें जल प्रबंधन, मत्स्यपालन सहित करीब 30 नए कार्यों को मनरेगा की जद में शामिल करने की बात है। पारदर्शी और प्रभावी काम के लिहाज से मोबाइल पर भी काम के लिए रजिस्टर कराने की सुविधा का सुझाव रिपोर्ट में दिया गया है। अशिक्षित कामगारों के लिए इंटरेक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आईवीआरएस) उपलब्ध कराने की सलाह दी गई है। पंद्रह दिनों के भीतर काम नहीं मिला तो अपने आय बेरोजगारी भत्ता का पे आर्डर जारी कर दिया जाएगा। ग्रामपंचायत या कार्यक्रम अधिकारी वैध प्रार्थना पत्रों को स्वीकार करने के लिए बाध्य होगा। एससी, एसटी और वंचित तबकों पर विशेष ध्यान की बात रिपोर्ट में की गई है। साथ ही स्वयंसेवी समूहों की भागीदारी बढ़ाने का सुझाव भी दिया गया है। बुधवार को यह रिपोर्ट केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को सौंप दी जाएगी।

रिपोर्ट की अहम बातें


• काम मांगने वाले आवेदनकर्ता को तिथि अंकित करके रसीद देना अनिवार्य हो। आवेदन निरंतर व कई माध्यमों के जरिए स्वीकार किए जाने चाहिए। ग्राम पंचायत की ओर से तय किसी भी माध्यम के जरिए आवेदन स्वीकार हों।
• काम की मांग करने वालों को वेबसाइट के साथ ही मोबाइल पर आवेदन रजिस्टर करने की सुविधा मिले और इसे सीधे एमआईएस सिस्टम में फीड किया जाए।
• मोबाइल टेलीफोन की जानकारी न रखने वाले अशिक्षित कामगरों के लिए इंटरेक्टिव वाइस रिस्पांस सिस्टम और वायरस इनेबल्ड इंटरेक्शन की सुविधा दी जाए।
• राज्य सरकारें सुनिश्चित करेंगी कि मनरेगा एमआईएस काम की मांग का रिकॉर्ड रखा जाए। इससे काम के लिए आवेदन और काम देने की तिथि के बीच के अंतर पर निगरानी रखी जाएगी।
• ऐसे लोग जिन्हें मांग के बदले 15 दिनों में काम नहीं मिला, उनके लिए सॉफ्टवेयर से ऑटोमेटिक बेरोजगारी भत्ता का पे-ऑर्डर निकलेगा।

रिपोर्ट में एक लेबर बजट तैयार करने की भी सलाह दी गई है। इसमें काम की समय, काम में लगने वाले समय और काम मांगने वालों के लिए काम की मात्रा व पूरा होने के समय की जानकारी देने वाली योजना शामिल होगी।

कड़ी समयसीमा: रिपोर्ट में कड़ाई से पालन किए जाने वाली समयसीमा बनाने को कहा गया है। 15 अगस्त से एक मार्च के बीच ग्राम सभा से सालाना प्लान मंजूरी से लेकर अगले वित्त वर्ष के काम की शुरुआत तक का हर काम तय समयसीमा के तहत होगा।

पूर्ण मानव संसाधन: रिपोर्ट में सभी प्रखंडों में एक फुलटाइम प्रोग्राम ऑफिसर मनरेगा के लिए नियुक्त करने को कहा गया है। ऐसे ब्लॉक जहां एससी, एसटी आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है और जहां बजट 12 करोड़ से ज्यादा होगा, उनके लिए तीन क्लस्टर फेसिलिटेशन टीम बनाने को कहा गया है। एक समूह करीब 15 हजार जॉब कार्ड को कवर करेगा।

रोजगार के नए क्षेत्र: रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते छह सालों में कई राज्यों ने नए काम मनरेगा में शामिल करने का सुझाव दिया है। यह भी सुझाव आया कि मनरेगा, कृषि और ग्रामीण जीवनयापन से जुड़ी चीजों में मजबूत सहभागी बने। इस ध्यान में रखते हुए जल प्रबंधन और कृषि से जुड़े कई काम मनरेगा में जोडऩे को कहा गया है। इसमें मेड़ बांधना, छोटी सुरंगें बनाना, छोटे चेक डैम बनाना, पोखर खोदना, मिट्टी के बांध बनाना, स्प्रिंग शेड डेवलपमेंट, कंपोस्टिंग, वर्मी कम्पोस्टिंग और बॉयो गैस प्लांट को शामिल किया गया है।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading