अखिलेश के घर तक पहुंचा मनरेगा घोटाला

24 Oct 2013
0 mins read
इटावा जिले के बसरेहर इलाके के रिटौली गांव में तो जांच में 22 फर्जी जॉब कार्ड पकड़े भी गए थे। इसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सच्चाई यह है कि वर्तमान समय में सबसे अधिक फर्जी कार्ड 7199 दोहरे-तिहरे जॉब कार्ड महेवा ब्लॉक में बनाए गए। मुख्यमंत्री के गांव के ब्लॉक सैफई के 43 गाँवों में सबसे कम 1727 दोहरे-तिहरे जॉब कार्ड बनाए गए। जसवंत नगर ब्लॉक भी एक ही मुखिया के नाम कई कार्ड जारी करने में पीछे नहीं है। यहां 56 गाँवों में 6289 जॉब कार्ड जारी किए गए। वैसे तो पूरे देश में मनरेगा योजना में समय-समय पर घोटालों की खबर सामने आ रही है लेकिन अगर ऐसे में देश के किसी मुख्यमंत्री के जिले में घोटाले की बात उठे तो जाहिर है कि घोटाला किस मुहाने आ पहुंचा होगा। अखिलेश सरकार मनरेगा में हुए घोटालों में कार्रवाई तो नहीं कर रही है लेकिन वह दोषी अधिकारियों को संरक्षण दे रही है। ऐसे सनसनीखेज आरोप पिछले दिनो मढ़े थे केंद्रीय विकास मंत्री जयराम रमेश ने। जयराम रमेश के आरोपों के बाद इस बात की शंकाएं जताई जाने लगी थीं कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है। खुद केंद्रीय विकास मंत्री जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार मनरेगा के क्रियान्वयन में हुए घोटालों पर कार्रवाई करने की बजाए घोटालेबाज अफसरों को संरक्षण दे रही है। इन आरोपों का असर मुख्यमंत्री के खुद के जिले इटावा में दिखलाई दे तो जाहिर है कि मनरेगा योजना में ऐसे घोटाले अखिलेश सरकार की किरकरी करने के लिए पर्याप्त माने जाएंगे। इटावा में मनरेगा योजना फर्जीवाड़े का शिकार होने से मुख्यमंत्री के पारदर्शिता के कामकाजों पर सवाल खड़े होने लगा है।

इटावा में मनरेगा योजना में जमकर फर्जी वाड़ा किया गया। एक ही परिवार के मुखिया के कई-कई कार्ड बनाए गए। फर्जी कार्ड धारकों को कागजों में काम दिया गया और भुगतान भी ले लिया। यह खुलासा हुआ मनरेगा की मानीटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में। अगर पूरे इटावा जिले की बात करे तो यहा पर 33 हजार से अधिक फर्जी मनरेगा जॉब कार्ड पाए गए।

केंद्र सरकार ने ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन रोकने के लिए मनरेगा योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोज़गार उपलब्ध हो। योजना के तहत गांव में रहने वाले परिवार को एक वर्ष में अधिकतम सौ दिन का रोज़गार उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। परिवार के मुखिया के नाम जॉब कार्ड बनाया जाता है। इस जॉब कार्ड पर परिवार का कोई भी बालिग सदस्य काम की मांग कर सकता है। इस तरह एक वर्ष में एक परिवार को अधिकतम 100 दिन का काम दिया जाता है। यह भी प्रावधान है कि एक परिवार का केवल एक ही जॉब कार्ड बनाया जाएगा। इसके बावजूद जिले के लगभग चार सौ गाँवों में एक ही मुखिया के नाम से कई कई जॉब कार्ड बनाए गए। इनमें से अधिकतर जॉब कार्डों में काम भी दिया गया और भुगतान भी किया गया।

इटावा जिले के बसरेहर इलाके के रिटौली गांव में तो जांच में 22 फर्जी जॉब कार्ड पकड़े भी गए थे। इसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सच्चाई यह है कि वर्तमान समय में सबसे अधिक फर्जी कार्ड 7199 दोहरे-तिहरे जॉब कार्ड महेवा ब्लॉक में बनाए गए। मुख्यमंत्री के गांव के ब्लॉक सैफई के 43 गाँवों में सबसे कम 1727 दोहरे-तिहरे जॉब कार्ड बनाए गए। जसवंत नगर ब्लॉक भी एक ही मुखिया के नाम कई कार्ड जारी करने में पीछे नहीं है। यहां 56 गाँवों में 6289 जॉब कार्ड जारी किए गए। मनरेगा सेल से आंकड़े जारी होने के बाद ग्राम विकास अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।

इटावा के बढ़पुरा 2785, बसरेहर में 4004,भरथना में 5909, चकरनगर में 2349, जसवंतनगर में 6289, महेवा में 7199, सैफई में 1727, ताखा में 3139 मिला करके कुल 33401 फर्जी जाब कार्ड बनाए जाने का मामला मनरेगा मानिटरिंग कमेटी की ओर से उठाया गया है। मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अशोक चंद्रा ने इस मामले के सामने आने के बाद कहा कि सभी ब्लॉकों में जॉब कार्ड का वेरिफिकेशन कराया जाएगा। एक से अधिक होने पर जॉब कार्डों को निरस्त कराया जाएगा। एक से अधिक जॉब कार्ड जारी करने के जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मनरेगा निगरानी समित के चेयरमैन आशुतोष दीक्षित का कहना है कि एक ब्लाक में कई हजार की तादाद में फर्जी जॉब कार्ड इस्तेमाल हो रहे हैं और उनका लगातार भुगतान भी किया जा रहा है। एक बार नहीं कई बार शिकायत की गई लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई सुधारात्मक कार्य अफसरों की ओर से नहीं किया गया इससे यह लगता है कि अफसर जानबूझ करके मनेरगा योजना में घोटाले करने की मंशा बनाए हुए हैं। उनका कहना है कि बसरेहर ब्लाक के रिटौली गांव में मनरेगा योजना से काम कराया गया है लेकिन आरटीए एक्ट के तहत यहां पर कराए गए कार्यों का ब्यौरा मांगा गया तो जो कार्ड उसमें दर्शाए गए वो हकीक़त में योजना के फर्जी कार्ड निकले। ऐसे 22 जाब कार्ड फर्जी पाए गए जिन पर भुगतान भी 54000 कराया गया और तो और यह कार्य कराने वाली संस्थाएं खुद में सरकारी ही थी। तत्कालीन वीडीओ ने अपनी जांच में इन तथ्य की पुष्टि भी की लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला।

उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के जिले इटावा में रोज़गार गारंटी योजना में छद्म लोग जिनका अस्तित्व नहीं है उनके जॉब कार्ड बनाकर, अथवा जॉब कार्ड पर ऐसे लोगों को परिवार का सदस्य दिखाकर जो हैं ही नहीं, या एक ही व्यक्ति के एक से अधिक जॉब बनाकर या ऐसे लोग जो मर गए हैं को परिवार का सदस्य दिखाकर कार्यरत दिखाकर लाखों रुपयों के फर्जी भुगतान कराया गया है। उनका कहना है कि संगठित तथा योजनाब़द्ध तरीके से मनरेगा योजना के धन के व्यापक दुरूपयोग का अपनी तरह का पहला उदाहरण है। आखिरकार ऐसे लोगों के जॉब कैसे बने जो हैं ही नहीं? उनके नाम परिवार के सदस्यों के रूप कैसे दिखाए गए जिनका अस्तित्व ही नहीं है? मरे हुए व्यक्तियों को जिंदा कैसे दिखाया गया? कैसे स्पेलिंग में थोडा अंतर कर उसी व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति बना दिया गया? कैसे एक ही व्यक्ति के एक से अधिक जॉब कार्ड बने? जब एक ऐसे व्यक्ति को कार्यरत दिखाया जाता है जो है जी नहीं तब उसकी हाजरी कैसे लगती है? फिर जब काम होता ही नहीं है तो कैसे उस कार्य का दर्शाया जाता है?

नरेगा कानून के अनुसार विकास खण्ड स्तर पर कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा पाक्षिक रूप से शत प्रतिशत स्थल पर सभी कार्य के सत्यापन की ज़िम्मेदारी है, तो कैसे इस तरह के मामले संज्ञान में नहीं आ पाते? जिन अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि जिला कार्यक्रम समन्वयक स्तर पर इस तरह के मामलों को संज्ञान में लाए वह ऐसा क्यों नहीं कर पायें यह सभी विस्तृत जांच का विषय है।

आप को जानकार हैरत होगी कि प्रदेश में मनरेगा जैसी योजना जिसमें करोड़ों रुपया आता है उसके खर्च की देख-रेख के लिए कोई निगरानी व्यवस्था नहीं है और न ही प्रदेश सरकार इस में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ठोस कदम उठा रही है। प्रदेश के सभी जिलों में वर्तमान में मनरेगा के अंतर्गत सम्पर्क मार्ग,बाढ़ नियंत्रण,जल संचय,छोटी बड़ी नहरें कि सफाई निर्माण,सिंचाई सुविधा देने सहित दर्जन भर कई और नई योजनाएं प्रगति पर हैं, लेकिन मनरेगा से जुड़े कार्यालय में इससे जुड़े खर्च का कोई हिसाब-किताब प्रदेश में कहीं नहीं है।

मुख्य विकास अधिकारी डा.अशोक चंद्रा का कहना है कि मनरेगा योजना में गड़बड़ियों को लेकर जो रिर्पोटें सामने आ रही है उसका लेकर कई स्तरीय जांच कराए जाने संबधी प्रकियाएं अपनाई जा रही हैं बहुत जल्दी ही इस संबंध में पूरी रिर्पोट आ जाएगी उसके बाद दोषी संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading