अपने हक के लिए आगे आए नरेगा के जॉब कार्ड धारक

5 Jul 2009
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हमीरपुर। इस जनपद की राठ तहसील के अंतर्गत एक गाँव है नौरंगा। नौरंगा में ज्यादातर दलित और पिछड़ी जाति के लोग निवास करते है , यहाँ की प्रधान हैं सुश्री अशोक रानी जो की पिछड़ी जाति से है । गाँव काफी संपन्न प्रतीत होता है बाहर से, लेकिन प्रशासनिक अमले के अनदेखी का शिकार है । इस गाँव में ग्राम सचिव तो है लेकिन उसे कार्यभार नहीं मिला है । कार्यभार विहीन सचिव ग्राम में क्या कार्य करेगा यह अपने आप में एक विषय हो सकता है । इस गाँव में जो जॉब कार्ड धारक लोग है उन लोगों का एक संगठन है जिसका नाम 'जन शक्ति मंच' है।

संगठन के पीछे की कहानी यह जानने को मिली कि राठ के एक सामाजिक संगठन जिसका नाम 'सुमित्रा सामाजिक कल्याण संस्थान' है उसने नरेगा के लागू होने के बाद राठ सहित पूरे हमीरपुर जनपद में नरेगा का प्रचार-प्रसार किया और इसी दरम्यान सुमित्रा सामाजिक कल्याण संसथान के कार्यकर्ताओं को इन जॉब कार्ड धारकों को संगठित करने की आवश्यकता महसूस हुई । जिसका कारण पिछले कई सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में धांधली और सरकारी अधिकारियों की उदासीनता थी ।

नौरंगा गाँव में जॉब कार्ड धारकों की संख्या ५५० से अधिक है, और इन सब लोगों ने संगठित होने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी, जाति धरम को भूल करके संगठित होने के लिए सब के सब आगे आए, इन सब लोगों ने अपना नेता संयोजक चुना श्री प्रभुदयाल उर्फ़ 'बब्बा' को । बब्बा भी बाकी लोगों की तरह एक जॉब कार्ड धारक हैं और सभी जॉब कार्ड धारकों के काम के लिए सिंचाई विभाग, वन विभाग और विकास खंड कार्यालय पर एक दबाव समूह के साथ लगातार लोगों के हित की आवाजें उठाते रहते हैं ।

बब्बा ख़ुद एक पिछड़ी जाति से हैं और उनके पास थोडी सी खेती भी है लेकिन दुर्भाग्य यह है की इनकी खेती वर्षा के जल के भरोषे है , अगर समय से वर्षा होती है तब तो पैदावार ठीक-ठाक हो जाती है अगर असमय हुई तो लागत को डूबते हुए भी देर नहीं लगती । इसलिए बब्बा नरेगा को लेकर के शुरू से ही बहुत उत्साहित रहे है लेकिन अब निराशा की लकीरें उनके माथें पर उभरने लगी है । उनकी कोशिशें हमेशा सफल नहीं हो पाती हैं तो, सफलता के कारणों को जानने व समझने के लिए वह अक्सर संगठन के साथियों के साथ बैठ करके समझने की कोशिश करते है । पूछने पर बताते हैं कि सुमित्रा सामाजिक कल्याण संस्थान उन लोगों की हर कदम पर हर सम्भव मदद के लिए तैयार रहता है । संगठन के विस्तारीकरण को वह काफ़ी तरजीह देते है वह कहते है की 'अगर संगठन में हमारे पूरे जनपद के जॉब कार्ड धारक शामिल हो जाएं तो हम लोग किसी भी सरकारी अधिकारी को कोई ग़लत काम नही करने देंगे हम लोग फ़िर नरेगा के काम के सोशल ऑडिट की तरह उन सब अधिकारियों का भी सोशल ऑडिट कर पाएंगे।'

आगे की रणनीति पूछने पर उन्होंने बताया कि संगठन बहुत गंभीरता से सोच रहा है एक पदयात्रा करने के लिए जिसका मकसद होगा जॉब कार्ड धारकों को नरेगा के बारे में और भी गहराई से बताना और उनसे आग्रह करना जन शक्ति मंच से जुड़ने के लिए। इस यात्रा में हम सब यह भी लोगों को बताएँगे की संगठित होने से हमें शोषण और भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकती है । बब्बा आशान्वित हैं सुनहरे भविष्य के लिए; उनका मानना है की एक दिन मेहनतकश लोगों की मेहनत रंग लाएगी और कोई मेहनतकशों का शोषण नहीं करेगा।
 
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